Wednesday, 22 April 2015

हाय रे राजनीति।


हाय रे राजनीति।
इसे क्या कहेंगे। यह किसी को भी झकझोड़ देने के लिए काफी है। एक व्यक्ति खुदकुशी के लिए पेंड़ पर चढ़ा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, अन्य मंत्री वहां हैं और सभा चल रही है। हालांकि नेता लोग मंच से उसे नीचे उतरने का आग्रह कर रहे हैं, अपने वोलंटियर्स को कह रहे हैं कि उनको उतारो। पुलिस से आग्रह कर रहे हैं कि उसे बचाओ।
किंतु एक क्षण में ही कुमार विश्वास का तेवर बदलता है और वो इसे सरकार की साजिश, पुलिस की साजिश कहने लगते हैं। वे कहते लगते हैं कि कुछ लोग आए ही हैं अपना एजेंडा लेकर। इनसे सावधान रहें। उसके बाद सरकार पर हमला। अजीब स्थिति थी। वैसे समय राजनीति क्यों? राजनीति में कोई भी समूह इतना अमानवीय कैसे हो सकता है?
हालांकि पेंड़ पर चढ़े व्यक्ति के हावभाव से आरंभ में नहीं लग रहा था कि वह आत्महत्या करेगा। लेकिन वैसे माहौल में जहां भीड़ हो कई बार ऐसा व्यक्ति अनपेक्षित कर जाता है। कोई भी कह सकता है कि उसकी जान आसानी से बचाई जा सकती थी।
पेंड़ पर उसकी जान बचाने के लिए चढ़ा व्यक्ति कह रहा कि उनकी आंखों से निकल रहे थे। मैं चिल्ला रहा था कि कुछ लोग नीचे से पकड़ो। लेकिन नीचे दरी छूट जाती है और फिर जो होता है वह बताने की आवश्यकता नहीं।
जितनी भीड़ थी उसके अनुरुप आकस्मिक सेवा की व्यवस्था में शायद कमी थी या आकस्मिक सेवा में कमी थी। हालांकि आश्चर्य है कि ऐसे प्रदर्शनों के समय अग्निशमन विभाग वहां उपस्थित रहता है और ऐसी सामान्य घटना को वह मिनट में नियंत्रित कर सकता था। तो यह कमी दिख रही है।
किंतु यह ऐसा वाकया है जिसमें राजनीति के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए थी।, पर शर्मनाक राजनीति यहां आ गई। आम आदमी पार्टी के नेताओं के लिए क्या शब्द प्रयोग किया जाए। आखिर एक व्यक्ति इस तरह उनकी सभा में देखते देखते खत्म हो जाता है और उनकी सभा चलती रहती है। इसका अर्थ क्या है?
उतनी संख्या में लोग और एक व्यक्ति को बचा नहीं पाए! कम से कम सभा तो शोक सभा में परिणत हो जानी चाहिए थी और रुक जानी चाहिए थी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जब भाषण देने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने कहा कि हमलोगों की आंखों के सामने वे मंच पर चढ़ें। हम पुलिस से आग्रह करते रहे कि बचा लीजिए। पुलिस हमारे कंट्रोल में नहीं है, लेकिन भगवान के कंट्रोल में तो है.....। तो पुलिस पर राजनीति और चूंकि पुलिस केन्द्र के नियंत्रण में इसलिए पूरा दोष केन्द्र पर मढ़ने की कोशिश। वे कह रहे थे कि आज बहुत ग्लानि आ रही है।एक साल पहले मोदी सरकार को विश्वास से मत दिया था। एक साल में ऐसा क्या हो गया?
इस प्रकार का भाषण वैसे दर्दनाक घटना के बाद। दोष मढ़ना और इतना लंबा भाषण देना ही उनकी अमानवीयता का प्रमाण देता है।

Sanjay Dwivedy

दौसा के किसान की मृत्यु 2.55 मिनट पर हुई लेकिन अल्का लंबा ने श्रद्धांजलि 2.20 पर ही दे दिया था।
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केजरीवाल को पहले से ही पता था की किसान दौसा-राजस्थान का है।
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भाषण में Kejriwal ने कहा व्यक्ति Dausa से है (कैसे पता लगा) जबकि उसकी SuicideNote Hospital में निकाली गयी(AsPerTV)?
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Was This Pre-Planned Mock Suicide By AAP Which Accidentally Turned Fatal ??
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किसान की मौत की खबर सुनकर केजरीवाल इतने खुश क्यों हुए?
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आजतक चैनल की पत्रकार प्रमिला दिक्षित ने आँखों देखा हाल बयान किया।

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आखिर एक किसान आज केजरीवाल की दिल्ली रैली में केजरीवाल के अपराधी गैंग की टुच्ची राजनीति की भेट चढ़ गया !!!
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पूर्वायोजित लगता है स्टंट जैसे स्याही + थपड + कार पर पथराव इत्यादि .....नौटंकीलाल का स्टंट हकीकत में परिवर्तित हो गया। जिस तरह अपने दोनों हाथ पेड़ की डाली से जकड़े हुवे दिख रहे है इससे साबित होता है की किसान आत्महत्या करना नहीं चाहता था।
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मै संपूर्ण भारत की जनता से एक प्रश्न पूछना चाहता हू कि जब अरविंद केजरीवाल जनता को कुछ घंटो की राहत देने के लिये बिजली के खंभो पर चड़ कर बिजली जोड़ सकते है तो क्या एक किसान की जिन्दगी बचाने के लिये पेड़ पर नही चड़ सकते थे...और बजाय उसकी जान बचाने के मंच पर चड़ कर पब्लिक को भड़का रहे है..अपना वोट बैंक बना रहे है,उनके लापरवाही के वजह से एक बेगुनाह किसान की मौत हो गई..भले कानून उन्हे माफ़ कर दे लेकिन भगवान उन्हे माफ़ नही करेगा...
‪#‎हत्याराकेजरीवाल‬
Neeraj Kaushik
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गजेन्द्र का हत्यारा अरविन्द केजरीवाल है ... उसे बहला फुसलाकर दिल्ली लाया गया था की तुम्हे सिर्फ जान देने की नौटंकी करनी है ..ताकि मोदी को घेरा जा सके ... लेकिन केजरीवाल ने अपनी घटिया राजनीती के लिए एक गरीब किसान की जान ले ली ...
हत्यारा, खुनी और दरिंदा है ये केजरीवाल ..
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मोदीजी ने AAP को नक्सली गलत नहीं कहा था
आज ये साबित हो गया
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 4 hours ago
फोटो इस बात का गवाह है की उसे झाड़ू देकर पेड़ पर चढाया गया .वालंटियर कह रहे थे की फंदा हल्का बनाना वरना सच में मरोगे
गजेन्द्र वास्तव में सुसाइड नही करना चाहता था .. आप खुद पढ़े .. वो वापस अपने घर जाना चाहता था ..उसकी हत्या हुई है
Deepak Kamboj








राहुल गांधी और कांग्रेस द्वारा भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर जनता को भ्रमित करने वाले दुष्प्रचार की सच्चाई
कृपया निम्नलिखित तथ्यों को देखें ।
1. श्री राहुल गांधी ने भूमि अधिग्रहण के गुजरात माॅडल को दोष दिया है । क्या उन्हें नहीं पता है कि सुप्रीम कोर्ट और यूपीए सरकार ने गुजरात के लैंड माॅडल की सराहना की है ?
2. राहुल गांधी को अपना होमवर्क ठीक से करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण के गुजरात माॅडल की प्रशंसा की थी। http://archive.indianexpress.com/…/land-act-a-fraud-…/827449
3. क्या राहुल गांधी उस वक्त भी छुट्टी पर थें जब उनकी सरकार के अंदर DIPP ने कहा था कि गुजरात का भूमि अधिग्रहण माॅडल सर्वोत्तम है ? http://indianexpress.com/…/gujarat-follows-best-land-polic…/
4. कांग्रेस को सुविधानुसार भूलने की बीमारी है । यूपीए सरकार ने २०१३ के बिल में किसानों के हित वाले 13 प्रावधानों को क्यों नहीं शामिल किया था ? एनडीए सरकार ने अब उन प्रावधानों को भूमि अधिग्रहण बिल में शामिल किया है ।https://www.youtube.com/watch
5. सहमती के प्रावधान (Consent Clause) पर कांग्रेस लोगों को भ्रमित कर रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भ्रमित करने वाले इस दुष्पचार की सच्चाई को उजागर कर दिया है। https://www.youtube.com/watch
6. भूमि अधिग्रहण बिल में किया गया प्रत्येक संशोधन पूरी तरह से किसानों के हित में है। जिन्हें उद्योगपतियों ने पूर्व में किसानों की जमीन हड़प कर उनका शोषण किया था, अब वे ऐसा नहीं कर पायेंगे। https://www.youtube.com/watch
7. नये बिल में किसानों को चार गुना तक मुआवजा मिलेगा, साथ ही वे रोजगार के भी हकदार होंगे। उनके लिए यह प्रावधान भी है कि वे अब 20 फीसदी विकसित भूमि का स्वामित्व भी वापस पा सकेंगेे। https://www.youtube.com/watch
8. श्री नितिन गडकरी ने भूमि अधिग्रहण पर हो रहे झूठे प्रचार का पर्दाफाश किया है।https://www.youtube.com/watch
9. श्री राहुल गांधी कहते हैं कि इस बिल के ज़रिये सरकार उद्योगपतियों को जमीन देने वाली है। उन्हें इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि यह बिल केवल केन्द्र/राज्य सरकार के योजनाओं पर ही लागू होगी, न कि निजी कंपनियों द्वारा भूमि अधिग्रहण पर।
10. हमारी पूरी आबादी की 60 प्रतिशत आबादी किसानों की है पर आज उनका जीडीपी में योगदान मात्र 15 प्रतिशत रह गया है। क्या 60 सालों में कांग्रेस ने किसानों का सशक्तिकरण ऐसे ही किया है ?
11. क्या हमलोग नहीं चाहते हैं कि किसानों को बिजली, स्कूल, रोजगार, सड़क की सुविधा उपलब्ध होे ? कांग्रेस उनको हमेशा के लिए गरीब क्यों रखना चाहती है?
12. क्या यह दुख की बात नहीं है कि राहुल गांधी कहते हैं ‘मेक इन इंडिया’ असफल हो जाएगा क्योंकि मोदी सरकार के साथ उनका राजनीतिक विरोध है? क्या उन्हें भारत के गरीबों की कोई चिंता नहीं है?
13. क्या राहुल गांधी ने यूएसए (USA) के राजनयिक को यह नहीं कहा था कि लश्करे तोयबा और जैश-ए-मोहम्मद से ज्यादा बड़ा खतरा भारत के नागरिक है ?http://www.rediff.com/…/slide-show-1-rahul-war…/20101217.htm
14. कैसी विडम्बना है -- महीनों तक देश के बाहर रहकर छुट्टी मनाते है और वापस आकर किसानों के बीच झूठ फैलाते हैं।
15. भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सभी भारतीयों एवं भारत के विकास के लिए समर्पित है।
और तथ्य देखें - http://www.bjp.org/lab/hi/




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