Tuesday 15 October 2013

रामसेतु को तोडने का फ़ैसला

रामसेतु को तोडने का फ़ैसला किया गया है इस कांग्रेस सरकार द्वारा

http://indiatoday.intoday.in/story/¬setusamudram-project-will-be-made-says-centre/1/251414.html

ये इसे तोड़ने मे एक बार असफल हो चुके हैं ये दुबारा नया प्लान बना है

खबर आ रही है कि रामसेतु को तोडने का फ़ैसला किया गया है इस कांग्रेस सरकार द्वारा, हिन्दुओ की आस्था और भगवान रामचन्द्र जी निशानी को कांग्रेस सरकार अपने फ़ायदे के लिए तोडना चाहती है केंद्र सरकार ने सेतुसमुद्रम परियोजना पर आरके पचौरी समिति को खारिज करने का फैसला किया है। यानी अब यह परियोजना रामसेतु को तोड़कर ही पूरा किया जाएगा।

हिंदुओ का 17 लाख पुराना(राम सेतू) ये मनमोहन सिहं खुद तोड़्वाना चाहता हैं। क्यों कि ऐसा करने के लिये उसको अमेरिका ने आदेश दिया हैं।

मनमोहन सिंह अमेरिकन एजेंट है जिसने करुणानिधि और T.R.Balu के साथ मिलकर ये प्लान बनाया है

भगवान श्री राम की सबसे बड़ी निशानी श्री राम सेतु को तोड़ा जाए और कचरा अमेरिका को बेचा जाये ….

ये कचरा नही है भारतीय साइंटिस्ट का कहना है | की इस सेतु ( धनुस कोटि ) के तली मे 7 तरह के रेडियो एक्टिव एलीमेंट है | जो सिर्फ़ भारत में ही मिले है


जिससे निकाल कर 150 साल तक बिजली और परमाणु बम्ब बनाये जा सकते हैं । और ये
बात भारत के सबसे बड़े वैज्ञानिक डॉ ऐ . पी . जे अबदुल कलाम जी ने कही थी ।

ये रहा कलाम साहब की बात का लिंक …

http://www.newmediacomm.com/NuclearEzine/30Sept-6Oct08/05facetoface.html


मित्रो अमेरिका की नजर इस रेडियो एक्टिव मैटिरियल पर लगी ।ये लोग इसे अमेरिका
को बेचना चाहते हैं ,

ये इसे तोड़ने मे एक बार असफल हो चुके हैं ये दुबारा नया प्लान बना रहे
है..उसे युनेस्को जैसी बाहरी संस्था के हवाले न किया जाए…

जिन लोगो ऊपर लिखे पर विशवास न हो वो सिर्फ़ एक बार ये video देखें ।
must click

विडियो लिंक :-http://www.youtube.com/watch?v=6vL2imvw4FA&sns=fb



थोरियम एक “रेडियोएक्टिव” पदार्थ है जिसका उपयोग परमाणु ऊर्जा बनाने के लिए होता हैl भारत में इसके भण्डार प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, जिसका मूल्य 48 लाख करोड़ रुपयों से भी ज्यादा हैl

इसकी शुरुआत तब होती है, जब पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति जोर्ज बुश भारत आये थे और एक सिविल न्यूक्लीयर डील पर हस्ताक्षर किये गए जिसके अनुसार अमरीका भारत को युरेनियम-235 देने की बात कही l उस समय पूरी मीडिया ने मनमोहन सिंह की तारीफों के पुल बांधे और इस डील को भारत के लिए बड़ी उपलब्धि बताया, पर पीछे की कहानी छुपा ली गयी l

आप ही बताइए जो अमरीका 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद भारत पर कड़े प्रतिबंध लगाता है वो भारत पर इतना उदार कैसे हो गया की सबसे कीमती रेडियोएक्टिव पदार्थ भारत को मुफ्त में देने की डील करने लगा ?
दरअसल इसके पीछे की कहानी यह है की इस युरेनियम-235 के बदले मनमोहन सिंह ने यह पूरा थोरियम भण्डार अमरीका को बेच दिया जिसका मूल्य अमरीका द्वारा दिए गए युरेनियम से लाखो गुना ज्यादा है l आपको याद होगा की इस डील के लिए मनमोहन सिंह ने UPA-1 सरकार को दांव पर लगा दिया था, फिर संसद में वोटिंग के समय सांसदों को खरीद कर अपनी सरकार बचायी थी l यह उसी कड़ी का एक हिस्सा है l

थोरियम का भण्डार भारत में उसी जगह पर है जिसे हम ‘रामसेतु’ कहते हैं, यह रामसेतु भगवान राम ने लाखों वर्ष पूर्व बनाया था, क्योंकि यह मामला हिन्दुओं की धार्मिक आस्था से जुड़ा था इसलिए मनमोहन सरकार ने इसे तोड़ने के बड़े बहाने बनाये …….जिसमें से एक बहाना यह था की रामसेतु तोड़ने से भारत की समय और धन की बचत होगी, जबकि यह नहीं बताया गया की इससे भारत को लाखों करोड़ की चपत लगेगी क्योंकि उसमें मनमोहन सिंह, कांग्रेस और उसके सहयोगी पार्टी डीएमके का निजी स्वार्थ था l

भारत अमरीका के बीच डील ये हुई थी की रामसेतु तोड़कर उसमें से थोरियम निकालकर अमरीका भिजवाना था तथा जिस कंपनी को यह थोरियम निकालने का ठेका दिया जाना था वो डीएमके के सदस्य
टी आर बालू की थी………अभी यह मामला सुप्रीमकोर्ट में लंबित है l
इस डील को अंजाम देने के लिए मनमोहन (कांग्रेस) सरकार भगवान राम का अस्तित्व नकारने का पूरा प्रयास कर रही है, ओने शपथपत्रों में रामायण को काल्पनिक और भगवान राम को मात्र एक ‘पात्र’ बताती है और सरकार की कोशिश है की ये जल्द से जल्द टूट जाये, जबकि अमरीकी अन्तरिक्ष एजेंसी नासा ने रामसेतु की पुष्टि अपनी रिपोर्ट में की है l
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महान आयुर्वैदाचार्य वागभट्ट जी कहते है कि पिसा गेंहू का हुआ आटा 15 दिन से पुराना नही खाना चाहिए, जवार बाजरा चने का आटा 7 दिन पुराना न खाए क्यो कि इसके बाद इसमें पोष्ण कम होने लगता है, इसलिए भारत में चक्की है जो आपको ताजा आटा और स्वास्थय देती है, आप जो बाजार से आटा पिसवाते है या बाजार का लाते है वो बिजली की चक्की पर पिसता है जो बहुत तेजी से पिसता है जिस्से गर्मी की वजह से काफ़ी पोषक तत्व नष्ट हो जाते है, राजीव भाई ने एक रिसर्च किया चक्की पर अपने एक आयुर्वैदिक वैध मित्र के साथ मिलकर, उन्होने देखा जो माताए बहने चक्की चलाती है उन्हे कभी भी आप्रेशन से डिलवरी की जरूरत नही पडी और उन्हे कभी घुटनो का दर्द नही हुआ, पैरो का दर्द नही, मोटापा नही है

इसका कारण ये है कि जब हम चक्की चलाते है तो सारा दबाव आपके पेट पर पडता है जिससे महिलाओ के गर्भाश्य का व्यायाम होता रहता है जिस्से इसकी मुलायमियत (flexibility) बढ जाती है जिस्से डिलवरी आसानी से होती है बिना आप्रेशन बिना दर्द के, आपने सुना ही होगा कि कई साल पहले आपकी दादी नानी के जमाने में 8-10 बच्चे होते थे और गांव की दाई के द्वारा बिना आप्रेशन के

*मासिक धर्म बंद होने के समय जो मुश्किले महिलाओ को आती है उसका उपचार चक्की चलाने से अपने आप हो जाता है
*आयुर्वैद के अनुसार गर्भवती महिला 7वें महिने तक चक्की चला सकती है पर उसके बाद नही

आपको शायद ये भी पता होगा जो बच्चे आप्रेशन से हो रहे है वो ज्यादा बीमार रह रहे है सामान्य बच्चो से,
इसलिए आप अगर ताजा आटा खाकर स्वस्थ रहना चाहते है तो अपने घर चक्की ले आए जिस्से आपको स्वस्थय लाभ होगा, घर में माताओ बहनो को लाभ होगा, बीमारिया दूर होगी


हाथ की चक्की का महत्त्व एव लाभ ::
- आज मशीनीकरण ने महिलाओं के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाला है।
- सुबह सुबह योग करते हुए हम आटा चक्की चलाने की सिर्फ एक्टिंग करते है और पेट , कमर की चर्बी कम होती है. दिल स्वस्थ रहता है.
- क्या ही अच्छा हो अगर ये एक्टिंग ना हो कर असली चक्की हो तो उस कसरत से हमें ताज़ा आटा भी मिल जाएगा !
- पहले गांवों में विवाह-शादी के दौरान भी आस-पास के घरों में एक-एक मण गेहूं पीसने के लिए दे दिया जाता था.
- कभी पूरे परिवार का आटा पीसने वाली चक्की अब कुछेक घर में महज शो पीस व सिर्फ मसाला आदि पीसने के काम आ रही है.
- इससे महिलाओ के गर्भाश्य का व्यायाम होता रहता है डिलवरी आसानी से होती है बिना आप्रेशन बिना दर्द के
- कई घरों में तो हाथ की चक्की है ही नहीं.तो आज ही ले आइये.खादी ग्रामोद्योग में यह मिल सकती है . इससे चक्की बनाने वालों को रोज़गार मिलेगा.
- चक्की लेते वक़्त ज़्यादा मोल भाव ना करे. गरीब व्यक्ति को दान योग्य दान है जिसका लाभ मिलेगा.
- महिलाओं द्वारा आटा पीसने से शारीरिक कसरत भी जबरदस्त होती थी, जिससे पुराने जमाने की महिलाओं का स्वास्थ्य बनिस्बत आधुनिक महिलाओं की तुलना में बेहरत है. आज विशेष तौर से नई पीढ़ी की अधिकांश महिलाएं कुंठा, तनाव सहित पेट की विभिन्न बीमारियों से पीड़ित है.इसका मुख्य कारण उनकी दिनचर्या अव्यवस्थित होना व शारीरिक श्रम नहीं होना है.
- पुरुष भी अगर बढे हुए पेट को कम करना चाहते है तो हाथ की चक्की पर रोज़ थोड़ा आटा पिसे. आप अगर रोजाना 15-20 मिण्ट चक्की चला लेते है तो 3 महीने में आपका वजन कम हो जाएगा, पेट अन्दर चला जाएगा
- ताजे पिसे हुए आटे में स्वास्थ्य से जुड़े फायदे तो मिलते ही हैं, इसका स्वाद व सुंगध भी बरकरार रहते हैं.
- शुद्धता के मामले में घरेलू आटा चक्की का आटा शत प्रतिशत खरा होता है।
- इसके बने आटे में शरीर के लिए पोषण संबंधी सभी आवश्यक तत्व मौजूद रहते हैं। वैसे शरीर को अपना काम करने के लिए 49 पोषक तत्वों की रोजाना आवश्यकता होती है।
सबसे बड़ी बात यह कि जब जरूरत हो तब आटा पीस लें।
- सबसे बड़ा फायदा यह कि फसल के मौसम में पूरे साल के लिए अनाज खरीद लें, जो सस्ता भी पड़ेगा और पूरे साल शुद्ध ताजे आटे की रोटियां का मजा लेंगे।
- हाथ कि चक्की से हाथ से पिसे गए अनाज में चोकर ज्यादा रहता था लेकिन आजकल बिजली की चक्की से पिसे अनाज का आटा उपयोग में लिया जाता है, जो बहुत बारीक़ पिसा जाता है.
- ताजा आटा विटामिन बी और विटामिन ई से भरपूर होता है।
- घर पर पिसे आटे की रोटियों का आनंद ही कुछ और होता है। इससे परिवार की सेहत के साथ-साथ आत्मसंतुष्टि भी प्राप्त हो रही है.
- मशीन चक्की से अनाज का हीर हट जाता है अर्थात उसकी शक्ति क्षीण हो जाती है।, जिससे आज की तमाम युवा पीढ़ी कमजोर होती जा रही है.
-वैसे भी चक्की को घर में रखना शुभ माना जाता है, इससे घर के वास्तुदोष भी कम होते है
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