Thursday 17 October 2013

जापान में 'पर्सनल ला' जैसा कोई शगूफा नहीं है।




जापान में किराए पर किसी मुस्लिम को घर मिलेगा, इसकी तो कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
यदि किसी जापानी को उसके पड़ोस के मकान में अमुक मुस्लिम के किराये पर रहने की खबर मिले तो सारा मोहल्ला सतर्क हो जाता है।•
जापान में कोई इस्लामी या अरबी मदरसा नहीं खोल सकता है।
मतांतरण पर रोक•
जापान में मतान्तरण पर सख्त पाबंदी है।•
किसी जापानी ने अपना पंथ किसी कारणवश बदल लिया है तो उसे और साथ ही मतान्तरण कराने वाले को सख्त सजा दी जाती है।•
यदि किसी विदेशी ने यह हरकत की होती है उसे सरकार कुछ ही घंटों में जापान छोड़कर चले जाने का सख्त आदेश देती है।•
यहां तक कि जिन ईसाई मिशनरियों का हर जगह असर है, वे जापान में दिखाई नहीं देतीं।
वेटिकन के पोप को दो बातों का बड़ा अफसोस होता है। एक तो यह कि वे 20वीं शताब्दी समाप्त होने के बावजूद भारत को यूनान की तरह ईसाई देश नहीं बना सके। दूसरा यह कि जापान में ईसाइयों की संख्या में वृध्दि नहीं हो सकी।
•जापानी चंद सिक्कों के लालच में अपने पंथ का सौदा नहीं करते। बड़ी से बड़ी सुविधा का लालच दिया जाए तब भी वे अपने पंथ के साथ धोखा नहीं करते हैं।•
जापान में 'पर्सनल ला' जैसा कोई शगूफा नहीं है। यदि कोई जापानी महिला किसी मुस्लिम से विवाह कर लेती है तो उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाता है। जापानियों को इसकी तनिक भी चिंता नहीं है कि कोई उनके बारे में क्या सोचता है। तोकियो विश्वविद्यालय के विदेशी अध्ययन विभाग के अध्यक्ष कोमिको यागी के अनुसार, इस्लाम के प्रति जापान में हमेशा यही मान्यता रही है कि वह एक संकीर्ण सोच का मजहब है। उसमें समन्वय की गुंजाइश नहीं है।
स्वतंत्र पत्रकार मोहम्मद जुबेर ने 9/11 की घटना के पश्चात अनेक देशों की यात्रा की थी। वह जापान भी गए, लेकिन वहां जाकर उन्होंने देखा कि जापानियों को इस बात पर पूरा भरोसा है कि कोई आतंकवादी उनके यहां पर भी नहीं मार सकता।

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Kritika Vyas PaGe (Kritika)
‘ये कश्मीर नहीं गुजरात है ,
मारना हो तो मार डालो,
कसाइयो को नहीं छोड़ेंगे’
वडोदरा। बकरीद पर गौ-हत्या रोकने
के लिए गुरुवार को पुलिस
की दो टीमों ने करजण तहसील के
सांसरोद गांव में
छापेमारी की कार्रवाई की। पुलिस
जब कसाईयों को पकड़कर ले जाने लगी,
तभी ग्रामीणों ने पुलिस टीम पर
हमला बोल दिया।
इस हमले में पीएसआई सहित 6
पुलिसकर्मी घायल हो गए। गुस्साए
लोगों ने पुलिस की कार (टाटा सूमो)
को भी आग लगा दी। सूचना मिलते
ही कुछ देर बाद भारी पुलिस बल मौके
पर पहुंचा और लाठीचार्ज व आंसू गैस के
गोलें छोड़कर लोगों को नियंत्रित
किया। इस बीच ग्रामीणों ने चार
पुलिसकर्मियों को बंधक
बना लिया था।
पुलिस ने एक कसाई सहित 4
व्यक्तियों को गिरफ्तार किया। इन
पर हत्या का प्रयास और लूट का आरोप
दर्ज किया गया है। जब पुलिस
चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर ले
गई तो कुछ देर बाद गांव के कुछ लोग
पुलिस थाने पहुंचे और पुलिस से
कहा कि वे उनके
चारों व्यक्तियों को छोड़ दें तो वे
भी उनके चार पुलिसकर्मियों को छोड़
देंगे।
यह बात सुनते ही डीएसपी ने कड़े
शब्दों में लोगों से कहा.. ‘
कसाइयो को नहीं छोड़ा जाएगा, ये
कश्मीर नहीं गुजरात है , अगर ग्रामीण
पुलिसकर्मियों को मारन चाहें तो मार
दें।’
पुलिस का यह जवाब सुनने के कुछ देर
बाद ही ग्रामीणों ने तीन
पुलिसकर्मियों को रिहा कर दिया,
जबकि एक पुलिसकर्मी जान बचाकर खुद
ही मौके से भागकर पुलिस थाने आ
पहुंचा था।
गोरतलब है की गुजरात में गो हत्या के
लिए कानून में कड़े प्रावधान है।
Admin By > #उमा_शँकर_आर्य

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