Thursday 5 February 2015

एक आदमी के 3 बेटे और 1 बेटी थी और विदेश में रहते थे -
एक बार उनकी माँ बहुत सिरियस बीमार हो गयी ,
उनके पिता जी अपने पहले बेटे को फ़ोन किया - बेटा तुम्हारी माँ बहुत बीमार है जल्दी से आ आओ, बेटा बोला पापा मै 3 साल की ट्रेनिंग पर हूँ , कृप्याआप उन दोनो भाइयो को फ़ोन करके बुला लो, फिर पिता ने अपने दुसरे बेटे को फ़ोन किया तो वो बोला मेरी पत्नी Pregnent है मै नहीं आ सकता , आप उन दोनों भाइयों को फोन कर के बुला लो , फिर बाप ने तीसरे बेटे को फ़ोन किया तो वो बोला मेरे तो INDIA आने के सिर्फ 3 महीने बाकी हैं , फिर ही आ पाउँगा कृप्या आप उन दोनो भाइयों को फोन कर लो , बाप रो पड़ा
जिस मां बाप ने बैंक से लोन
लेकर उन्हे विदेश भेजा
आज वो ही इंकार कर रहे हैं
वे इतने Busy हैं कि मां तक
को देखने नहीं आ सकते
वो खुद को संभाल नहीं सका
उसने फिर अपनी बेटी को
फोन किया
और मां के बारे में बताया
बेटी रो पड़ी
कहा पापा आप संभालिये
अपने आप को
मां को
मैं और मेरा पति अभी पहली
flight से वहां पहुंच रहे हैं
आप टेंशन न लें, पिता -
अरे बेटा पर तेरे पति का
Business का क्या होगा ???
बेटी -
क्या पापा इस वक्त भी आप
ऐसी बात कर रहे हो
मां से ज्यादा क्या काम
जरूरी है क्या ????
सब अच्छा ही होगा पापा।।।
ख्याल रखना ....
बाप सोचने लगा
यही है आज का युग
हम बेटा मांगते हैं
बेटी नहीं
बाप रो पड़ा
कहा बेवकूफ हैं वे लोग जो
बेटे की इच्छा रखते हैं
ये प्यारी बेटियाँ
ये दुलारी बेटियाँ
मां बाप का गुरूर हैं ये
बेटियाँ
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अशफाक के राम !
अमर शहीद क्रन्तिकारी अशफाक उल्ला खां एक बार ज्वर से पीड़ित होकर राम-राम की रट लगाए हुए थे| माता-पिता तथा पड़ोसियों ने बहुत समझाया की ‘खुदा का नाम लो|’ यह राम राम क्या बक रहे हो? पर अशफाक तो राम का दीवाना था| सभी ने कहा ये काफ़िर हो चुका है| एक पड़ोसी अशफाक के राम
का राज़ जानता था| वो दौड़कर गया आर्यसमाज मन्दिर से रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ जी को बुला लाया| ‘बिस्मिल’ को देख अशफाक ने सन्तोष की साँस ले कहा “राम,
तुम आ गये|” उस समय परिवारीजनों को अशफाक के राम का पता चला|
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