Friday 27 February 2015

ॐ का उच्चारण आपको दिला सकता है ये लाभ
उपनिषदों में कहा गया है कि सृष्टि के प्रारम्भ में जो सबसे पहला ध्वनि बनी वह ॐ थी. सनातन धर्म के समस्त मंत्रों का उच्चारण इस ध्वनि के साथ ही होता है. ॐ तीन अक्षरों ‘अ’,’ ऊ’ और ‘म’ से बना है. उपनिषदों के अनुसार सृष्टि के सृजन के समय सुनहरी गर्भाशय के फूटने से जो सबसे पहली ध्वनि स्फुटित हुई वह ॐ ही थी. छंदोग्य उपनिषद के अनुसार ॐ ब्रह्म रूपी शाश्वत चेतना है. विभिन्न वेदों में मौलिक अर्थ और भाव में अंतर किये बिना ॐ की अलग-अलग व्याख्या की गई है. पतंजलि के योग सूत्र में ॐ को उपासना से ईश्वर तक पहुँचने का रास्ता बताया गया है. विभिन्न पंथों में यह ओंकार, समा, नमोकार के नाम से प्रचलित है.
क्या हैं इसके उच्चारण के फायदे-
ॐ का उच्चारण शरीर में स्पंदन और ध्वनि पैदा करती है जिसे स्वर तंत्री और नाड़ी में महसूस किया जा सकता है. अगर पूरी तन्मयता से इसे उच्चारित किया जाय तो यह शरीर के छिद्रों को खोल देती है जिससे कष्ट बाहर निकल जाते हैं.
ॐ के उच्चारण से मनुष्य अपने मस्तिष्क को एकाग्र करने के साथ ही उसमें उठने वाले विरोधाभासों पर आसानी से काबू पा सकता है.
‘ओ’ का लंबा उच्चारण शरीर में पीड़ानाशक के उत्पादन का काम करता है और ‘म’ का लंबा उच्चारण कष्टों का निवारण करता है.
इस ध्वनि के उच्चारण से रक्तचाप नियंत्रित और सामान्य रहती है.
ॐ का उच्चारण सामंजस्य, समरसता और तारतम्यता स्थापित करने में सक्षम है.
ॐ सर्वश्रेष्ठ प्रतिध्वनि है जिसके उच्चारण से मन को वश में कर भौतिकता से बचा जा सकता है.
उम्र, नस्ल से कोसों दूर इस ध्वनि के सही उच्चारण से अपनी आत्मा के साथ सम्पर्क स्थापित किया जा सकता है.
इस प्रकार ॐ ऐसी ध्वनि है जो बिना किसी नुकसान के आपके शरीर को सकारात्मक उर्जाओं से भरपूर रखती है

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