Sunday 22 February 2015


भगवान विष्णु जी के चक्र से निर्मित चक्राकार कुंड like इमोटिकॉन like इमोटिकॉन like इमोटिकॉनlike इमोटिकॉन

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद में गोमती नदी के तट पर है नैमिषारण्य तीर्थ। स्थानीय निवासी इस तीर्थ को नीमषार कहते हैं। यहां भगवान विष्णु ने अपने चक्र से निमिष मात्र में दैत्यों का वध किया था, इसीलिए इसे नैमिषारण्य कहा जाने लगा।
कहते हैं कि दैत्यों के वध के बाद वह चक्र इतने वेग से भूमि पर गिरा कि भूमि को फाड़ते हुए पाताल तक चला गया और वहां से जलप्रवाहित होने लगा। जिस स्थान पर गिरा वहां एक चक्राकार कुंड बन गया। उसे अब चक्रकुंड कहते है।
मान्यता है कि इस कुंड की पूरी परिधि में पक्की सीढ़ियां बनी हैं। प्रत्येक अमावस्या में यहां मेला लगता है।

दर्शनीय स्थल
ललितादेवी : चक्रतीर्थ से लगभग चौथाई किलोमीटर दक्षिण-पूर्व की ओर वह मंदिर है। जिसमें ललितादेवी की भव्य मूर्ति विराजमान है। मंदिर के घेरे के बाहर क्षेमकायदेवी का मंदिर है। चक्रतीर्थ के तट पर कई मंदिर हैं। जिनमें भूतेश्वर शिव का

मंदिर प्रमुख है।
हनुमान मंदिर: चक्रतीर्थ से लगभग एक किलोमीटर दूर गोमतीतट पर एक टीला है। जिसको हनुमानटीला कहते हैं। धरातल से बीस सीढ़ियों के ऊपर हनुमानजी का मंदिर है। जिसमें हनुमानजी की खड़ी मूर्ति स्थापित है। मूर्ति के कंधे पर राम-लक्ष्मण विराजमान हैं और चरणों में अहिरावण पड़ा है।

उत्तरप्रदेश में हनुमानजी की तीन मूर्तियां प्रसिद्ध हैं। जिनमें नैमिषारण्य में खड़ी, अयोध्या में बैठी एवं इलाहाबाद में लेटी हुई मू्र्ति है।

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