Monday 1 February 2016

कोल्हापुर. महाराष्ट्र के कोल्हापुर के पास स्थित पन्हाला शहर वैसे तो हिल स्टेशन के रूप जाना जाता है। लेकिन इस शहर का इतिहास शिवाजी महाराज से जुड़ा है। बताया जाता है कि यहां बने पन्हाला किले में शिवाजी सबसे अधिक समय तक रहे थे। इसे 'सांपों का किला' भी कहा जाता है। इस किले में 22 किमी लम्बी सुरंग है। जो किले से शुरू होकर एक देवी के मंदिर तक जाती है।
जानिए क्यों नाम पड़ा 'सांपों का किला'.....
- पन्हाला किला कोल्हापुर-रत्नागिरी मार्ग पर स्थित है। जो 7 किमी एरिया में फैला है।
- इसके ज़िग-जैक शेप के कारण इसे सांपों का किला भी कहा जाता है।
- कहा जाता है कि शिवाजी ने यहां 500 से भी ज्यादा दिन बिताए थे। बाद में वर्ष 1827 ई. में पन्हाला अंग्रेजों के अधीन हो गया था।
- बताया जाता है कि इसका निर्माण राजा भोज ने करवाया था, लेकिन समय के साथ यह किला कई राजाओं के अधीन रहा।
- इस किले के पास अंबरखाना एक अन्य क़िला है, जो पुराने समय में अन्न भण्डार की तरह इस्तेमाल किया जाता था।
22किमी लम्बी सुरंग...
इसी किले के पास जूना राजबाड़ा में कुलदेवी तुलजा भवानी का मंदिर भी स्थित है। जिमें बनी सुरंग के जरिए 22 किमी दूर पन्हाला किले पर आसानी से जाया जा सकता है। फिलहाल सुरक्षा कारणों से सुरंग के रास्तें बंद है। ऐसा कहा जाता है कि इस सुरंग में कभी महर्षि पराशर रहते थे। यहीं नहीं यहां 18वीं सदी के मशहूर कवि मोरोपंत ने कविताओं की रचना की थी।
अंधार बावड़ी...
पन्हाल किले में एक अंधार बावड़ी है। जो एक इमारत के नीचे गुप्त तरह से बनाई गई है। बताया जाता है कि इसका निर्माण मुग़ल शासक आदिल शाह ने करवाया था। उसका मानना था कि जब किले पर हमला होगा तो दुश्मन पानी में जहर मिला देंगे। इसलिए शाह ने तीन मंजिला इमारत के नीचे गुप्त रूप से बावड़ी बनवाई थी।
कई राजवंशों के रहा अधीन....
यह किला कई राजवंशों के अधीन रह चुका है। यादवों, बहमनी, आदिलशाही आदि के हाथों से होते-होते सन् 1673 में इस किले का आधिपत्य छत्रपति शिवाजी के अधीन हो गया। शिवाजी ने इस किले को अपना मुख्यालय बना लिया था।

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