Sunday 17 July 2016

स्वाति जी आपके जज्बे और स्व.संतोष महाडिक की शहादत और महाडिक परिवार के देशप्रेम को सहस्त्र प्रणाम...

 जो अपने देश से प्यार करते है वो हमेशा देश पर अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार होते है.ऐसे ही देश के प्रति अपने जज्बे को साहस के साथ दिखाया और देश के युवाओ के समक्ष अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया श्रीमती स्वाति महाडिक ने
.कुछ माह पूर्व कुपवाड़ा ,कश्मीर के जंगलो में आतंकवादियो के साथ मुठभेड़ में कर्नल संतोष महाडिक लड़ते हुए शहीद हो गए थे स्वाति महाडिक उनकी ही धर्मपत्नी है.32 वर्षीय स्वाति ने अपने पति के शहीद होने के बाद निर्णय लिया की वे भारतीय सेना में जाएंगी पेशे से शिक्षक और सेन्ट्रल स्कूल में कार्यरत स्वाति के लिए आसान नहीं था.लेकिन यदि देश के लिए मन में कुछ करने का जज्बा हो तो बड़ी से बड़ी बाधा पार की जा सकती है और ये जज्बा दिखाया स्वाति महाडिक ने उन्होंने हिम्मत नही हारी.उन्होंने सेना से नौकरी मांगी नहीं बल्कि सेना की एस एस बी की परीक्षा मेहनत करके पास की और उसके बाद भर्ती की 5 राउंड चलने वाली परीक्षा भी पास की लेकिन उनकी राह में रोड़ा बन रही थी उनकी उम्र वे 32 वर्ष की है और इस उम्र में सेना में नौकरी नहीं दी जाती
 लेकिन उनके असीम जज्बे को देख सेनाध्यक्ष दलबीर सिंह ने उन्हें छूट देने की सिफारिश रक्षा मंत्रालय को भेजी जहा रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर जी ने उनके इस जज्बे को मान देते हुए उनकी सिफारिश मान ली और फ़ौज में जाने का उनका रास्ता खोल दिया अब जल्द ही चेन्नई में उन्हें ट्रेनिंग पर भेजा जाएगा.
इसके लिए स्वाति के जज्बे के साथ महाडिक परिवार के देशप्रेम को भी प्रणाम की संतोष महाडिक का परिवार भी स्वाति के इस साहसपूर्ण निर्णय में उनके साथ खड़ा रहा उनकी पढाई के दौरान संतोष के छोटे भाई जयवंत ने स्वाति के दोनों बच्चों 12 साल की बेटी और 6 साल के बेटे को अपने पास रखा और अब उन्हें देहरादून और पंचगनी के बोर्डिंग स्कूल में रखा.
स्वाति जी आपके जज्बे और स्व.संतोष महाडिक की शहादत और महाडिक परिवार के देशप्रेम को सहस्त्र प्रणाम करता हु.
और केजरीवाल जैसे अत्यंत घटिया और निकृष्ट व्यक्ति को सन्देश देना चाहता हु की जिन्हें कुछ करना होता है वे बिना किसी शिकायत के अपने कार्य को अंजाम देते है सदा रोते नहीं रहते की "हमें काम नहीं करने दिया जाता"
"जय हिन्द की सेना मुझे आप पर गर्व है"

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