Saturday 23 December 2017

सनातनी हिंदुओं के अस्तित्व पर भयावह संकट मंडरा रहा है ----

संकट क्या ? और क्यों है ??
भारत के संविधान में ,मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, सिक्ख, जैन, पारसी ये ही धर्म हैं जिनके संरक्षण और वृद्धि के लिए भारत सरकार अरबों खरबों के अनुदान प्रतिवर्ष देती है। शेष बचे सारी जनसंख्या को हिन्दू मान लिया जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने भी परिभाषित किया है --हिन्दू कोई धर्म नहीं, जीवन शैली है। अर्थात जो मन में आये करो, हजारों देवी, देवता, बाबा, पंथ,मत, सम्प्रदाय बनाकर लोग अपनी दुकानदारी चमकाने में लगे हैं।
शिरडी के साईं संस्थान, निर्मल बाबा, राम रहीम, राम पाल, इत्यादि सब सनातन हिन्दू धर्म की जड़ें ही खोदने में लगे हैं।
90% हिन्दू सेकुलर हो चुके हैं,अर्थात सनातन हिन्दू धर्म रहे चाहे नष्ट हो जाये उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। वे किसी न किसी रूप में राम,कृष्ण, शिव, दुर्गा, हनुमान आदि का नाम लेते रहते हैं पर निष्क्रिय जीवन जीते हैं।  बस राम जी करेंगे बेड़ा पार इसी पर हाथ पे हाथ धरे बैठे रहते हैं।
 स्पष्ट है कि सनातनी हिन्दू  की जनसंख्या 5 % से अधिक नहीं बची है। विश्वास नहीं होता ? नियमित गायत्री जप यज्ञ करने वाला, गीता, रामायण पढ़ने वाला हिन्दू  100 में एक भी, शायद ही ढूंढने पर मिले। हम वास्तविक अल्प संख्यक हो चुके हैं।
देश,धर्म,संस्कृति पर आए भयावह संकटों से रक्षा के लिए हम सनातनी राष्ट्रवादी, हिंदुओं के लिए मात्र 6 वर्ष ही बचे हैं।गुजरात चुनावों से यह स्पष्ट  है ि देश विरोधी ताकतें, सनातन हिन्दू धर्म के विरोधी-विधर्मी, दलों की सारी रणनीति इसी बात पर केंद्रित है कि हिन्दू समाज को जाति, वर्ग के नाम पर इतना तोड़ दिया जाए कि वृहत्तर हिन्दू समाज कभी संगठित न हो सके,और 2019 के लोकसभा चुनावों में ही, मोदी और बीजेपी को उखाड़ फेंका जाए। 2024 के लोकसभा चुनाव के परिणाम इस देश में राष्ट्रवादी, सनातनी हिंदुओं का भविष्य तय कर देंगे।
 सेकुलर दलों का शासन होते ही, हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ेंगे। धर्मांतरण तीव्र होगा। और ये 90 % तथाकथित हिन्दूआसानी से ईसाई, मुस्लिम या बौद्ध बन जाएंगे,धर्मांतरित हो जाएंगे।
समाधान एक ही है ----
श्री सत्य सनातन धर्म के सिद्धांतों, मूल आधार गायत्री साधना, यज्ञ, भगवद्गीता, रामचरित मानस के नियमित स्वाध्याय से जोड़ने के लिए, धर्म के माध्यम से वृहत्तर हिन्दू समाज को जोड़ने के लिए, युद्ध स्तर पर अभियान चलाने की आवश्यकता है। यह आपातकाल है। गुरु जी कहते थे कि जब गाँव मे कहीं आग लगने की आवाज सुनाई दे तो खाना छोड़ कर भी दौड़ना होता है नहीं तो आग हमारे घर तक भी पहुंचेगी।

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