Wednesday 13 December 2017

vqt ke jharokhe se



पन्नों के परे भी  एक ज़िन्दगी ..है,
सब किरदार, किताबों में नहीं होते...

पिछले 100 वर्षों में भारत के कितनी बार टुकडे किये गए
क्या आप जानते हैं पिछले 100 वर्षों में भारत के कितनी बार टुकडे किये गए और उसके पीछे किसकी सरकार और सोच रही है l
1. सन 1911 में भारत से श्री लंका अलग हुआ ,जिसको तत्कालीन कांग्रेसी नेताओं का समर्थन प्राप्त था
2. सन 1947 में भारत से बर्मा -म्यांमार अलग हुआ ,
3. सन 1947 में भारत से पाकिस्तान अलग हुआ । कारण कांग्रेस ही थी
4. सन 1948 में भारत से आज़ाद कश्मीर काटकर अलग कर दिया गया और नेहरु जी की नीतियों ने सरदार पटेल के हाथ बांधे रखे
5. सन 1950 में भारत से तिब्बत को काटकर अलग कर दिया गया और नेताओं ने मुह बंद रखा
6. सन 1954 में बेरुबादी को काट कर अलग कर दिया गया
7. सन 1957 में चीन ने भारत के कुछ हिस्से हड़प लिए और नेहरु ने कहा की यह घास फूंस वाली जगह थी
8. सन 1962 में चीन ने अक्साई चीन का 62000 वर्ग मिल क्षेत्र भारत से छीन लिया ,और नेहरु जी हिंदी चीनी भाई-भाई कहते रहे । जब हमारी सेनाओं ने चीन से लड़ाई लड़ने का निर्णय किया और कुछ मोर्चों पर जीत की स्थिति में थी तो इन्ही नेहरु ने सीज फायर करा दिया
9. सन 1963 में टेबल आइलैंड पर बर्मा ने कब्ज़ा कर लिया ,और हम खामोश रहे । वहां पर म्यामांर ने हवाई अड्डा बना रखा है
10.सन 1963 में ही गुजरात का कच्छ क्षेत्र छारी फुलाई को पाकिस्तान को दे दिया गया
11. सन 1972 में भारत ने कच्छ तिम्बु द्वीप सर लंका को दे दिया
12. सन 1982 में भारत के अरुणांचल के कुछ हिस्से पर चीन ने कब्ज़ा कर लिया , और हम बात करते रहे
13. सन 1992 में भारत का तीन बीघा जमीनी इलाका बांगला देश ने लेकर चीन को सौंप दिया ।
14. सान 2012 मे भी बांग्लादेश को कुछ वर्गमील इलाका कॉंग्रेस ने दिया और कहा की ये दलदली इलाका था
इसके अलावा भी अनेक छोटी बड़ी घटनाएं होती रहती हैं जिनका रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है , जैसे कि हाल ही की चीन की घटना है , जिस पर कोई अधिकारिक दस्तावेज अभी जारी नहीं किया गया है।
वैसे एक बात और ध्यान देने वाली है की जब भारत की धरती यूंही बंजर, घास-फूस वाली तथा दलदली है तो इन कोंग्रेसियों को हमारी इस धरती मे इतनी दिलचस्पी क्यूँ है। या जैसे अमुक सारे देशों से ये कोंग्रेसी खतम हो चुके हैं वैसे ही यहाँ से भी खतम हो कर ही मानेंगे।
जो हिंदू इस घमंड मे जी रहे है कि अरबो सालो से सनातन धर्म है और इसे कोई नही मिटा सकता, मै उन्हें मुर्ख और बेवकूफ ही समझता हूँ..
आखिर अफगानीस्तान से हिंदू क्यों मिट गया? काबुल जो भगवान राम के पुत्र कुश का बनाया शहर था, आज वहाँ एक भी मंदिर नही बचा ! गांधार जिसका विवरण महाभारत मे है, जहां की रानी गांधारी थी, आज उसका नाम कंधार हो चूका है, और वहाँ आज एक भी हिंदू नही बचा l
कम्बोडिया जहां राजा सूर्य देव बर्मन ने दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर अंकोरवाट बनाया, आज वहाँ भी हिंदू नही है l
बाली द्वीप मे 20 साल पहले तक 90% हिंदू थे, आज सिर्फ 20% बचे है l
कश्मीर घाटी मे सिर्फ 20 साल पहले 50% हिंदू थे, आज एक भी हिंदू नही बचा l
केरल मे 10 साल पहले तक 60% जनसंख्या हिन्दुओ की थी, आज सिर्फ 10% हिंदू केरल मे है l
नोर्थ ईस्ट जैसे सिक्किम, नागालैंड, आसाम आदि मे हिंदू हर रोज मारे या भगाए जाते है, या उनका धर्मपरिवर्तन हो रहा है l
मित्रों,
1569 तक ईरान का नाम पारस या पर्शिया होता था और वहाँ एक भी मुस्लिम नही था, सिर्फ पारसी रहते थे.. जब पारस पर मुस्लिमो का आक्रमण होता था, तब पारसी बूढ़े-बुजुर्ग अपने नौजवान को यही सिखाते थे की हमे कोई मिटा नही सकता, लेकिन ईरान से सारे के सारे पारसी मिटा दिये गए. धीरे-धीरे उनका कत्लेआम और धर्म-परिवर्तन होता रहा. एक नाव मे बैठकर 21 पारसी किसी तरह गुजरात के नवसारी जिले के उद्वावाडा गांव मे पहुचे और आज पारसी सिर्फ भारत मे ही गिनती की संख्या मे बचे है l
हमेशा शांति की भीख मांगने वाले हिन्दुओं आजतक के इतिहास का सबसे बड़ा संकट हिन्दुओं पर आने वाला है, ईसाईयों के 80 देश और मुस्लिमो के 56 देश है, और हिन्दुओं का एकमात्र
देश भारत ही अब हिन्दुओं के लिए सुरक्षित नहीं रहा. भारत को एक फ़ोकट की धर्मशाला बना दिया गया है, जहाँ इसके मेजबान हिन्दू ही बहुत जल्दी मुस्लिम सेना तैयार करने वाली संस्था PFI द्वारा शुरू होने वाले गृहयुद्ध में कश्मीर की तरह पुरे भारत में हिन्दुओं के हाथ-पैर काट दिए जायेंगे, आंखे निकाल ली जाएँगी, और कश्मीर की ही तरह उनकी सुरक्षा के लिए कही पर भी सरकार नाम की संस्था कोई भी सेना नहीं भेजेगीे, हिन्दू खुद तो ख़तम हो रहा है और समस्त विश्व के कल्याण की बकवास करता फिरता है, जबकि समूचा विश्व उसको पूरी तरह निगल लेने की पूरी तैयारी कर चूका है l
आज तक हिन्दू जितनी अधिक उदारता और सज्जनता दिखलाता रहा है, उसको उतना ही कायर और मुर्ख मानकर उस पर अन्याय और हर तरह का धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक विश्वासघात किया जाता रहा है और हिन्दू है कि आंख बंद करके बस कहावतों में जिंदा रहकर बस भगवान के शांति स्वरूपं की पूजा करते-करते सच में नपुंसक बन चूका है.. जबकि हमारे किसी भी देवी देवता का स्वरुप अश्त्र-शस्त्र के बिना नहीं है, हमारे धर्म में धर्म की परिभाषा के 10 लक्षणों में अहिंसा नाम का कोई शब्द ही नहीं है, रक्षा धर्म ही हम हिन्दुओ की रक्षा कर सकता है l
इसके बाद भी अति भाग्यवादी, अवतारवादी हिन्दुओं ने आज तक अपनी दुर्दशा के इतिहास से कोई सबक न लेकर आज भी सेकुलार्ता का नशा लेकर मुर्छित होकर जी रहा है, और अपने ही शुभचिंतक भाइयों को सांप्रदायिक कहकर उनसे नपुंसक बनने की सीख देता फिरता है l

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