Saturday 30 December 2017


उत्तर प्रदेश में बदलाव की नई बयार----
 जागरण की सम्पादकीय में प्रदीप_सिंह का यह लेख इस बदलाव की एक झलक दिखाने के लिये काफी है --
यह सबको पता है बदलाव का एहसास सबसे पहले व्यवसायियों और उद्योगपतियों को होता है। उद्योगपति कितना भी देशप्रेमी क्यों न हो, वह अपना पैसा वहां कभी लगाने को तैयार नहीं होगा जहां वह असुरक्षित महसूस करे।
बीते 22 दिसंबर को मुंबई में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की देश के बड़े उद्योगपतियों से बात हुई। उत्तर प्रदेश सरकार 21-22 फरवरी को लखनऊ में इनवेस्टर समिट का आयोजन कर रही है। उनसे मिलने वालों में रतन टाटा, मुकेश अंबानी, पवन गोयनका, एचडीएफसी बैंक के दीपक पारीख, सनफार्मा के दिलीप सांघवी, हिंदुजा समूह के अशोक और प्रकाश हिंदुजा, बजाज समूह के शेखर बजाज, मोदी इंडस्ट्रीज के केके मोदी और लार्सन ऐंड टुब्रो (एल एंड टी) और स्टेट बैैंक के प्रतिनिधि सहित कई वित्तीय संस्थानों के प्रमुख मौजूद थे।
 बड़ा बदलाव यह दिखा कि मुख्यमंत्री निवेश के लिए अनुरोध करें उससे पहले ये उद्योगपति अपनी ओर से तैयारी करके आए थे कि कौन किस क्षेत्र में निवेश के लिए तैयार है। जो रतन टाटा लखनऊ से टीसीएस का सेंटर खत्म करने की बात कर रहे थे वह अब उसका विस्तार करने की बात कर रहे हैं। टाटा वाराणसी में कैंसर का अत्याधुनिक अस्पताल खोलना चाहते हैं। साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास में हाथ बंटाना चाहते हैं। टाटा समूह लखनऊ या आगरा में से किसी एक शहर को गोद लेना चाहता है। समूह ने ईको टूरिज्म और स्मार्ट सिटी के विकास में भी रुचि दिखाई है। दिलीप सांघवी उत्तर प्रदेश को फार्मा हब बनाना चाहते हैं। मुकेश अंबानी जिन्होंने मायावती के कार्यकाल में घोषणा कर दी थी कि वह उत्तर प्रदेश में कोई निवेश नहीं करेंगे, अब उत्तर प्रदेश में कृषि से लेकर रिटेल (तीन सौ से बढ़ाकर एक हजार स्टोर), पेट्रोल पंप (तीन सौ से बढ़ाकर एक हजार) और युवाओं के लिए नॉलेज प्लेटफार्म बनाने के लिए तत्पर हैं। रिलायंस और महिंद्रा मिलकर किसानों के लिए मृदा परीक्षण सहित खेती के लिए तमाम उपयोगी अद्यतन जानकारियां उपलब्ध कराने के लिए तंत्र बनाने को तैयार हैं। महिंद्रा समूह ने कहा कि वह एग्री विलेज परियोजना के जरिये किसानों की आय दोगुना करेगा। वह बैट्री चालित वाहनों के निर्माण में निवेश करना चाहता है।
 हिंदुजा बंधुओं ने कहा कि हमने तो तय कर रखा था कि उत्तर प्रदेश कभी जाएंगे ही नहीं। हमने अयोध्या की दीपावली भी टीवी पर ही देखी, पर अब वह इलेक्ट्रिक बस और धार्मिक स्थलों के विकास के लिए उत्सुक हैं। वहीं टॉरेन्ट समूह के अध्यक्ष सुधीर मेहता ने कहा कि गुजरात के बाद उनका अगला निवेश उत्तर प्रदेश में होगा। उनकी नजर कानपुर और गोरखपुर है।
 इस उत्साह के दो बड़े कारण हैं। एक, उन्हें पता है कि अब उत्तर प्रदेश में उद्योग लगाना सुरक्षित है। यह सुरक्षा का भाव आर्थिक और शारीरिक दोनों तरह का है। दूसरा, राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ईमानदारी और निष्ठा संदेह से परे है। योगी आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का जैसा समर्थन हासिल है वैसा भाजपा के कम ही मुख्यमंत्रियों को है।
उन्हें पता है कि मुख्यमंत्री एक सख्त प्रशासक, योजनाओं को लागू करने में कोताही न बरतने वाले और भ्रष्टाचार से समझौता न करने वाले व्यक्ति हैं। पहले की तरह कोई सुविधा शुल्क नहीं देना पड़ेगा। फिर उन्हें बिजली, पानी और सड़क तो मिलेगी ही। 
किसी निवेशक के लिए निश्चिंत होकर निवेश के लिए इतना पर्याप्त होता है। ऐसे समय जब देश में निजी निवेश मुश्किल हो रहा हो। देश के उद्योगपति भारत के बजाय दूसरे देशों में पैसा लगाना ज्यादा सुरक्षित महसूस कर रहे हों तब यह खबर ताजा हवा के झोंके की तरह है।

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