बालियान खाप के प्रतापी चौधरी दानत राय और मराठा सेनापति सदाशिव भाऊ ।।।।
सदाशिव भाऊ की सेना का युद्ध अहमदशाह अब्दाली के साथ सन् 1761 ई० में पानीपत के मैदान में हुआ था। उस समय दिल्ली का शासक बादशाह जलालुद्दीन शाह आलम द्वितीय (सन् 1759-1806 ई०) था। सदाशिवराव भाऊ ने सर्वखाप पंचायत बालियान खाप के गाँव शोरम को अपनी सहायता के लिए एक निवेदनपत्र भेजा जिसका लेख निम्नलिखित है -
“सेवा में जाट, गुर्जर, अहीर और 18 खापों के जाट एवं पंचायतों के नेताओं का मैं आदर एवं नमस्कार करता हूँ। प्रत्येक हिन्दू का कर्त्तव्य है कि वह धर्म एवं देश की रक्षा के लिए मेरी सहायता करे। आनेवाले आक्रमणकारी के विरुद्ध देश को बचाने के लिए प्रत्येक को लड़ना होगा। शताब्दियों से मुसलमान हमारे देश को अपना गढ़ बनाकर इस पर शासन कर रहे हैं। इनको यहां से बाहर निकालने का इससे बेहतर अवसर और कोई नहीं मिलेगा।हिन्दू धर्म का दाससदाशिव भाऊ”(मोहर सदाशिव भाऊ)
यह पत्र जाट, गुर्जर, अहीर, राजपूत तथा अन्य सब हिन्दू जातियों को भेजा गया। इस पत्र पर विचार करने के लिए सर्वखाप पंचायत का सम्मेलन चौ० दानत राय की अध्यक्षता में संवत्
1817 (सन् 1760 ई०) में सिसौली गांव में हुआ। इस सम्मेलन में सर्वसम्मति से अब्दाली के विरुद्ध मराठा सेनापति को सैनिक सहायता देने का निर्णय लिया गया। निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किया गया -
भाऊ की सैनिक सहायता की प्रार्थना स्वीकार की गई, क्योंकि मराठों की सहायता करना देश की रक्षा करना है।प्रत्येक खाप को एक सेनादल भेजना होगा।2000 घुड़सवार भेजे जायेंगे।सर्वखाप सेनाओं का प्रधान सेनापति चौ० श्योलाल को नियुक्त किया गया।खापों के सैनिक धार्मिक प्रतिज्ञा करें कि देश की रक्षा के लिए अन्तिम सांस तक लड़कर अपनी जान का बलिदान करेंगे।पानीपत की तीसरी लड़ाई में अहमदशाह अब्दाली के विरुद्ध मराठा सेनापति के नेतृत्व में सर्वखाप पंचायत ने अपने 20,000 वीर सैनिक भेजे। इस युद्ध में मराठों की हार हुई और सर्वखाप पंचायती सेना के अधिकतर वीरों ने शत्रु के साथ वीरता से लड़कर अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। (दस्तावेज 50, सर्वखाप रिकार्ड) निचे उस पत्र की फोटो कॉपी ।।।।
हर हर महादेव ।।।।।
Source :- बालियान खांप इतिहास का फ़ेसबुक पेज..
सदाशिव भाऊ की सेना का युद्ध अहमदशाह अब्दाली के साथ सन् 1761 ई० में पानीपत के मैदान में हुआ था। उस समय दिल्ली का शासक बादशाह जलालुद्दीन शाह आलम द्वितीय (सन् 1759-1806 ई०) था। सदाशिवराव भाऊ ने सर्वखाप पंचायत बालियान खाप के गाँव शोरम को अपनी सहायता के लिए एक निवेदनपत्र भेजा जिसका लेख निम्नलिखित है -
“सेवा में जाट, गुर्जर, अहीर और 18 खापों के जाट एवं पंचायतों के नेताओं का मैं आदर एवं नमस्कार करता हूँ। प्रत्येक हिन्दू का कर्त्तव्य है कि वह धर्म एवं देश की रक्षा के लिए मेरी सहायता करे। आनेवाले आक्रमणकारी के विरुद्ध देश को बचाने के लिए प्रत्येक को लड़ना होगा। शताब्दियों से मुसलमान हमारे देश को अपना गढ़ बनाकर इस पर शासन कर रहे हैं। इनको यहां से बाहर निकालने का इससे बेहतर अवसर और कोई नहीं मिलेगा।हिन्दू धर्म का दाससदाशिव भाऊ”(मोहर सदाशिव भाऊ)
यह पत्र जाट, गुर्जर, अहीर, राजपूत तथा अन्य सब हिन्दू जातियों को भेजा गया। इस पत्र पर विचार करने के लिए सर्वखाप पंचायत का सम्मेलन चौ० दानत राय की अध्यक्षता में संवत्
1817 (सन् 1760 ई०) में सिसौली गांव में हुआ। इस सम्मेलन में सर्वसम्मति से अब्दाली के विरुद्ध मराठा सेनापति को सैनिक सहायता देने का निर्णय लिया गया। निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किया गया -
भाऊ की सैनिक सहायता की प्रार्थना स्वीकार की गई, क्योंकि मराठों की सहायता करना देश की रक्षा करना है।प्रत्येक खाप को एक सेनादल भेजना होगा।2000 घुड़सवार भेजे जायेंगे।सर्वखाप सेनाओं का प्रधान सेनापति चौ० श्योलाल को नियुक्त किया गया।खापों के सैनिक धार्मिक प्रतिज्ञा करें कि देश की रक्षा के लिए अन्तिम सांस तक लड़कर अपनी जान का बलिदान करेंगे।पानीपत की तीसरी लड़ाई में अहमदशाह अब्दाली के विरुद्ध मराठा सेनापति के नेतृत्व में सर्वखाप पंचायत ने अपने 20,000 वीर सैनिक भेजे। इस युद्ध में मराठों की हार हुई और सर्वखाप पंचायती सेना के अधिकतर वीरों ने शत्रु के साथ वीरता से लड़कर अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। (दस्तावेज 50, सर्वखाप रिकार्ड) निचे उस पत्र की फोटो कॉपी ।।।।
हर हर महादेव ।।।।।
Source :- बालियान खांप इतिहास का फ़ेसबुक पेज..
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