Sunday 5 October 2014


‘लव जिहाद’का प्रसार तेजीसे होनेके कुछ कारण

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‘लव जिहाद’को रोकना है, तो उसके तेजीसे प्रसारके कारणोंका अभ्यास करना आवश्यक है ।

१ अ. हिन्दू युवतियोंका अनुचित आचरण और अज्ञान

१ अ १. जिहादी युवकपर तुरंत विश्वास करना : ‘एक पाकिस्तानी वंशके जिहादीने कहा, ‘‘हिन्दू युवतियोंको फंसाना सरल होता है; क्योंकि वे भोली होती हैं तथा किसी भी बातपर तुरंत विश्वास कर लेती हैं । उनसे मीठा बोलनेपर तथा उनकी झूठी प्रशंसा करते ही उन्हें हम ‘जिहादी’ अपने ही लगते हैं ।’’ – श्रीमती दुर्गा सरदेसाई, अमरीका
१ अ २. युवतियोंकी अल्हड आयु : ‘लव जिहाद’की बलि चढी अधिकतर हिन्दू युवतियां १३ से १८ वर्षके बीचकी होती हैं । इस अल्हड आयुकी युवतियोंको जिहादी युवक लालच दिखाकर प्रेमके जालमें फांस लेते हैं और बलात्कार करते हैं । ऐसी अल्पवयीन युवतियां लैंगिक आकर्षणके कारण, क्या हितकर है और क्या अहितकर, इसका भेद नहीं समझ पातीं । इस कारण उनके प्रेमजालमें फंस जाती हैं ।’
१ अ ३. जिहादीयोंको राष्ट्रीय प्रवाहमें सम्मिलित करनेके लिए उनसे विवाह करनेकी भ्रामक धारणा : कुछ हिन्दू युवतियोंको इस्लामी क्रूरताका इतिहास ज्ञात होता है; तो भी ‘यदि एक भी जिहादीकी मानसिकता परिवर्तित कर मैं उसे राष्ट्रीय प्रवाहमें ला सकी, तो मेरा जीवन सार्थक हो जाएगा’, यह भ्रम वे इस अवयस्क अवस्थामें ही पाल लेती हैं और अपने पैरोंपर कुल्हाडी मार लेती हैं ।
१ अ ४. जिहादीयोंको पौरुषयुक्त और हिन्दुओंको पौरुषहीन समझना : ‘कभी-कभी ऐसा भी होता है कि जिहादीके प्रेमजालमें फंसी युवतीको समझाने हेतु उसके पास जानेपर वह यह कहकर कि ‘‘जिहादी पौरुषयुक्त (मर्द) होते हैं, और हिन्दू ‘नामर्द (पौरुषहीन) होते हैं’’, हिन्दुओंके पुरुषार्थको ही चुनौती दे डालती हैं ।’
१ अ ५. इस्लामी आक्रमणकारियोंका इतिहास ज्ञात न होना : हिन्दू युवतियोंका ‘लव जिहाद’की बलि चढनेका एक प्रमुख कारण है, हिन्दुस्थानपर इस्लामी आक्रमणकारियोंद्वारा गत १,३०० वर्षोंमें किए गए अत्याचारोंसे और इस्लामकी जिहादी विचारधाराका ज्ञान न होना ।
१ अ ६. हिन्दू धर्मके महत्त्वसे अनभिज्ञ होना : हिन्दू युवतियोंको हिन्दू धर्मका महत्त्व ज्ञात न होना, यह भी उनके ‘लव जिहाद’के बलि चढनेका महत्त्वपूर्ण कारण है । ऐसी युवतियोंद्वारा धर्मपालन न किए जानेके कारण उनमें हिन्दू धर्मके विषयमें अभिमान नहीं होता । इसीलिए वे दूसरे धर्ममें जानेके लिए तत्पर हो जाती हैं ।

१ आ. कुछ हिन्दू अभिभावकोंके अनुचित कृत्य

१ आ १. अपनी बेटियोंको अनियंत्रित स्वतंत्रता देना : अभिभावकोंद्वारा अपनी बेटियोंको दी जानेवाली अनियंत्रित स्वतंत्रता एवं उन्हें पाश्चात्य संस्कृतिका अंधानुकरण करनेकी दी जानेवाली छूटके कारण ये युवतियां आगे जाकर अपने माता-पिताकी नहीं सुनतीं और मनमाने ढंगसे रहने लगती हैं ।
१ आ २. युवतियोंको भावनिक आधार देनेमें असफल रहना : ‘एक सर्वेक्षणके अनुसार अकेली अथवा अलिप्त रहनेवाली युवतियोंकी ‘लव जिहाद’में फंसनेकी संख्या अधिक है । जिन युवतियोंको भावनिक आधार नहीं मिलता, वे युवतियां वह आधार बाहर ढूंढनेका प्रयास करती हैं । प्रत्येक युवाको उसके सिरपर हाथ फेरकर आत्मीयतासे उसका कुशल-मंगल पूछनेवाले तथा उसका कहना खुले मनसे सुननेवाले अभिभावककी आवश्यकता होती है ।
१ आ ३. ‘सर्वधर्मसमभाव’ संभालनेके लिए जिहादीयोंका वास्तविक स्वरूप प्रकट करनेवाली घटनाएं युवतीतक न पहुंचने देना : मारवाडी सम्मेलनमें ‘लव जिहाद’में फंसी युवतीके अभिभावकने अपनी व्हृाथा प्रकट करते हुए कहा, ‘‘हमारी बेटियां धार्मिक विचारोंकी थीं । पूजन-अर्चन और उपवास करती थीं, तो भी जिहादीयोंके साथ भाग गर्इं ।’’ यही अभिभावक पहले ‘सर्वधर्मसमभाव’का खोटा तत्त्वज्ञान समाजको बताया करते थे । परिस्थितिवश कभी हिन्दू-जिहादीका प्रश्न उपस्थित होनेपर वे अपनी बेटियोंको ‘सर्वधर्मसमभाव’का उपदेश करते हुए कहते, ‘‘यह तुम लोगोंका विषय नहीं है । यह राजनीति है । तुम लोग अपनी पढाईपर ध्यान दो ।’’
१ आ ४. बेटीका आधुनिक विचारोंका आत्मघाती अभिमान पालना : कुछ अभिभावक उनकी बेटी किस पार्टीमें जाती है, किस स्तरके युवकोंके साथ पिकनिकपर जाती है, किस प्रकारके चलचित्र देखती है, किस प्रकारके कार्यक्रमोंमें भाग लेती है आदिकी कभी पूछताछ नहीं करते । उलटे, ‘मेरी बेटी आधुनिक विचारोंकी है’, यह आत्मघाती अभिमान प्रदर्शित करते हैं ।’ – श्री. समीर दरेकर
१ आ ५. छवि (नाम) कलंकित होनेके भयसे हतबल भूमिका ! : ‘लव जिहाद’की बलि चढी बेटीके विषयमें माता-पिता पुलिसमें परिवाद लिखवाते तो हैं; किंतु समाजमें अपनी छवि कलंकित होनेके भयसे उनका प्रयास यह रहता है कि प्रकरण न्यायालयके बाहर ही निपट जाए ।’ – ममता त्रिपाठी, स्तंभलेखिका

१ इ. हिन्दू समाजकी अनुचित विचार-प्रक्रिया

१ इ १. ‘मुझे इससे क्या लेना-देना’ ऐसी मनोवृत्ति : ‘एक हिन्दू घरकी युवतीको जिहादी भगा ले गया, फिर भी कुछ हिन्दू ऐसा विचार करते हैं कि ‘मेरे घरकी बेटियां तो सुरक्षित हैं ! इसलिए, यह सब क्यों सोचूं ?’
१ इ २. धर्मनिरपेक्षताका आतंकी विचार : ‘जिहादीयोंद्वारा भगाई गई हिन्दू युवतियोंका करुण-क्रंदन हिन्दू समाजके कुछ लोगोंको सुनाई ही नहीं देता; क्योंकि, वे न टूटनेवाले धर्मनिरपेक्षताके भ्रामक (भ्रमित करनेवाले) कवचसे अपने दोनों कान बंद कर लिए होते हैं ।
१ इ ३. हिन्दू धर्मपर आए संकटसे कोई लेना-देना नहीं : हिन्दू समाज आपसमें झगडनेमें अपनेको धन्य मानता है । एक-दूसरेकी त्रुटियां निकालनेमें बडप्पन मानता है । विविध हिन्दू संगठन और संस्थाएं इसमें अपना अस्तित्व बचानेका प्रयत्न अधिक करती हैं । हिन्दू धर्म और उसपर आए संकटोंके विषयमें उन्हें कुछ लेना-देना नहीं होता ।’
१ इ ४. भगाकर ले गई युवतीको वापस लानेका साहस न करना : ‘जिहादी युवकद्वारा बेटीको भगाकर ले जानेपर उसे छुडाकर वापस लानेका साहस हिन्दू समाज नहीं दिखाता । हिरनके झुंडपर आक्रमण कर उसके उत्तम हिरनको उस झुंडके सामने ही बाघ क्रूरतापूर्वक फाडकर खा जाता है; परंतु केवल विवश होकर वह दृश्य देखनेके अतिरिक्त झुंडके अन्य हिरन कुछ नहीं कर पाते । ठीक ऐसी ही अवस्था हिन्दू समाजकी हो गई है । ‘बेटी आजसे मेरे लिए मर गई’, यह कहते हुए हाथ झटककर अभिभावक अपने नित्यके कामकाजमें व्यस्त हो जाते हैं; किंतु इसमें कोई पुरुषार्थ नहीं ।
१ इ ५. संगठितरूपसे लडनेकी मानसिकताका अभाव : `लव जिहाद’की घटना सुनकर हिन्दू समाजके अधिकतर लोगोंकी मुटि्ठयां कडी तो होती हैं; किंतु उसके विरुद्ध संगठितरूपसे लडनेकी मानसिकता कोई नहीं दिखाता ।’

१ ई. मतोंके लिए अंधे बने राजनीतिक दल !

‘जिहादीके मत गंवानेके भयसे ‘लव जिहाद’को कुचलनेका साहस कोई राजनीतिक दल नहीं करता ।’

‘लव जिहाद’ रोकनेके उपाय तथा हिन्दू समाजको आवाहन

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१. समाजको आवाहन

१ अ. हिंदू युवतीरूप मूल्यवान थातीको संभालकर अपनी संस्कृतिकी रक्षा करें ! : ‘स्त्रीके कारण हिंदुस्थानकी नैतिकता और संस्कृति बची हुई है । हिंदू युवतियां हिंदू संस्कृतिके गुणसूत्रोंकी अधिकोष (जीनबैंक) हैं । उनका अन्य पंथियोंसे विवाह न होने दें, अर्थात हिंदू वंशवृदि्धके बहुमोल गुणसूत्र अन्य धर्मियोंके हाथोंमें न जाने दें । अपनी सांस्कृतिक धरोहर बचाएं ।’
१ आ. हिंदुओ, ‘लव जिहाद’ यह हिंदू धर्मपर वांशिक आक्रमण होनेके कारण अपने क्षेत्रसे ‘लव जिहाद’का षड्यंत्र ध्वस्त करने हेतु आगे बढकर संगठित प्रयास करें !
१ इ. ‘जिस समाजमें महिलाएं सुरकि्षत हैं, ऐसा समाज ही सुरक्षित होता है’, यह ध्यानमें रख हिंदू युवतियोंकी रक्षा करें !
१ ई. ‘हिंदुओ, यह प्रतिज्ञा करो, ‘किसी भी हिंदू परिचित युवतीको मैं ‘लव जिहाद’की बलि नहीं चढने दूंगा !’
१ उ. धर्मांतरित; किंतु हिंदू धर्ममें पुनप्र्रवेशकी इच्छुक युवतियोंको स्वधर्म में स्थान दें ! : ‘अनेक बार धर्मांतरित असहाय युवती अपने धर्ममें लौटनेके लिए तत्पर रहती है । तथापि, हिंदू समाज उसे नहीं अपनाता । धर्मशत्रुओंसे लड-झगडकर हिंदू युवती पुनः अपने मूल घरतक आई है, इसीसे यह प्रमाणित होता है कि उसमें हिंदुत्व अभी जीवित है । अतएव, हिंदू समाज निःसंकोच होकर उसे स्वधर्ममें पुनप्र्रवेश देकर धर्मांध मुसलमानोंपर दबाव बनाए । हमारे हिंदू युवकोंको ऐसी उत्पीडित युवतीसे विवाह करनेके लिए आगे आना चाहिए । उसी प्रकार, उसका नया संसार बसानेका दायित्व आर्थिक दृषि्टसे संपन्न हिंदुओंको लेना चाहिए ।’ – श्री. समीर दरेकर
१ उ १. शुदि्धकरण हेतु संपर्क : मसुराश्रम, पांडुरंग वाडी, गोरेगांव (पूर्व), मुंबई ४०० ०६३. संपर्क – दू.क्र. २८७४१९९७.

२. हिंदू धर्मगुरुओंको आवाहन !

‘लव जिहाद’की समस्याके संदर्भमें प्रवचनकारों, धर्मपीठों और संतोंका दायित्व महत्त्वपूर्ण है; क्योंकि वे लाखोंकी संख्यामें जनसमुदायको उपदेश कर सकते हैं । हिंदुओंके घर और वंश उद्ध्वस्त करनेवाले ‘लव जिहाद’की सत्यता सामने लानेके लिए हिंदू धर्मगुरु आगे आएं । जिस क्षणसे इस्लामके इतिहासके काले पृष्ठ और आजका भीषण सत्य हिंदू धर्मगुरुओंके प्रवचनोंके माध्यमसे वातावरणमें गूंजने लगेगा, उस क्षणसे गत १,३०० वर्षोंसे जारी हिंदू सि्त्रयोंके करुण-क्रंदनका प्रतिशोध लेनेके लिए आजका हिंदू युवक आगे-पीछे नहीं देखेगा ।’ – श्री. समीर दरेकर

३. ‘लव जिहाद’के रोकनेके उपाय

३ अ. ‘लव जिहाद’के संकटके विषयमें जनजागरण करना : ‘लव जिहाद’के संकटके विषयमें विद्यालय, महाविद्यालय, महिला मंडल, जातिसंस्थाएं, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, धार्मिक कार्यक्रम आदिमें प्रवचन करना आवश्यक है ।
३ आ. ‘लव जिहाद’को रोकनेके लिए हिंदुस्थानमें भी इजराइलके समान विधान हो ! : इजराइलमें ज्यू और मुसलमानोंके विवाहपर वैधानिक प्रतिबंध है । हिंदुस्थानमें भी ‘लव जिहाद’ रोकनेके लिए इजराइल समान विधान बनानेकी आवश्यकता है । हिंदुओ, इसके लिए अपने क्षेत्रके जनप्रतिनिधियों और मंति्रयोंको संगठितरूपसे निवेदन देकर लव जिहादके विरुद्ध विधान बनानेकी मांग करें ।
३ इ. ‘लव जिहाद’पर स्वा. सावरकरके विचारोंके अनुसार उपाय ! : स्वा. सावरकर हिंदुओंसे कहते हैं, ‘अपनी सि्त्रयोंको शत्रु भगा ले जाकर मुसलमान बनाते हैं, तो उनसे उत्पन्न लडके आगे चलकर हमारे शत्रु बनते हैं । इसलिए उन सि्त्रयोंको छुडाकर पुनः अपने धर्ममें लाएं ।’ अपनी बेटियोंको परधर्ममें न जाने देनेके लिए सदैव सावधान रहना, यह जैसे ‘लव जिहाद’को रोकनेका एक मार्ग है, तो दूसरा मार्ग है – सावरकरके विचारोंके अनुसार ‘लव जिहाद’की बलि चढी युवतियोंको छुडाकर, शुद्ध कर, पुनः स्वधर्ममें समि्मलित कर लेना । ‘लव जिहाद’को रोकनेके लिए इस दूसरे मार्गका तुरंत अवलंबन भी हिंदू समाजको करना चाहिए !

लव जिहाद : हिन्दू युवतियों, स्त्रियों तथा अभिभावकोंके लिए ध्यानमें रखनेयोग्य सावधानियां

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१. हिन्दू युवतियों एवं स्त्रियोंके लिए ध्यानमें रखनेयोग्य सावधानियां

१ अ. कठिन प्रसंग आनेपर हिन्दुओंके द्वारा सहायता मिलने हेतु माथेपर प्रतिदिन कुमकुम लगाएं !
१ आ. धर्मांध मित्र अथवा पडोसी हो तो उनसे सावधान रहें !
१ इ. वासनांधोंसे अपनी रक्षाके लिए कराटे, नानचाकू इत्यादि स्वसंरक्षण पद्धतियोंका प्रशिक्षण लें !

२. हिन्दू अभिभावकोंके लिए ध्यानमें रखने योग्य सावधानियां

२ अ. अपनी बेटीके विद्यालयीन अथवा महाविद्यालयीन जीवनके विषयमें जानकारी रखें !

१. बेटीके प्रतिदिनके आचार-विचारपर ध्यान दें । उसके विद्यालय अथवा महाविद्यालय आने-जानेका समय अपने पास लिखकर रखें !
२. बेटीके मित्र और सहेलियोंका संपर्क क्रमांक अपने पास रखें । समयसमयपर उनसे अपनी बेटीके आचरणके विषयमें पूछताछ करते रहें !
३. ‘स्कार्फ’ बांधनेके कारण दोपहिए वाहनपर ‘लव जिहादी’के पीछे बैठी युवतीको पहचानना कठिन होता है, यह जानकर उसके ‘स्कार्फ’ बांधनेके संदर्भमें सावधान रहें ।
४. महाविद्यालयके कार्यक्रममें अन्य युवकोंके साथ बेटीके सम्मिलित होनेपर उस विषयमें समझ लें !
५. माध्यमिक विद्यालय और महाविद्यालयोंके परिसरमें भटकनेवाले अपरिचित धर्मांध युवकोंकी जानकारी तुरंत हिन्दुत्ववादी संगठनोंको दें !

२ आ. बेटीको सुख-सुविधाओंके साधन विचारपूर्वक दें !

१. नई वेशभूषा, अलंकार, बहुमूल्य ‘मोबाईल’, ‘कैमरा’ आदि वस्तुएं बेटीकी आवश्यकताओंका अभ्यास कर ही दें !
२. `लव जिहाद’की कुछ घटनाएं ‘मोबाईल’के कारण हुई हैं । इसलिए ‘बेटीके ‘मोबाईल’पर किसका दूरभाष आता है, इसका पता बीच-बीचमें करते रहें ! बेटीके ‘मोबाईल’में संरक्षित (सेव) किया हुआ ‘लव जिहादी’ युवकका क्रमांक किसी अन्य नामसे भी हो सकता है, यह भी ध्यानमें रखें !

२ इ. बेटीको अपने मनकी बात खुलकर बोलनेके लिए निरंतर प्रोत्साहित करते रहें !

१. वयस्क होनेपर युवतीमें शारीरिक एवं मानसिक परिवर्तन होते रहते हैं । इस कालमें आप उससे प्रेमपूर्वक व्यवहार करें । उसमें अपनत्वकी भावना जगाएं !
२. प्रतिदिन बेटीसे थोडा समय अनौपचारिक संवाद कर उसके मनमें क्या चल  रहा है, यह जान लें ! बेटी आपसे सहजतासे बातचीत करे, परिवारमें ऐसा वातावरण बनाए रखें !

२ ई. बचपनसे ही बेटीको धर्मशिक्षा देकर सुसंस्कारित करें ! :

शिक्षाका अभाव और हिन्दू धर्मकी श्रेष्ठता न जाननेके कारण हिन्दू युवतियां धर्मपरिवर्तन करती हैं । इसके लिए –
१. बचपनसे ही बेटीपर हिन्दू धर्मके पारिवारिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक नीतिमूल्योंका संस्कार करें !
२. हिन्दू वंश और हिन्दुस्थानमें जन्म होनेका अभिमान बेटीमें जागृत करें !
३. हिन्दू सभ्यताको शोभा देनेवाली वेशभूषा करनेका संस्कार बेटीपर करें !
४. धर्मसत्संग, राष्ट्रपुरुषोंसे संबंधित कार्यक्रम आदि कार्यक्रमोंमें सम्मिलित होनेके लिए बेटीको प्रोत्साहित करें !
५. हिन्दू संस्कृति, हिन्दू धर्मके ग्रंथ, हिन्दू धर्मका इतिहास, हिन्दू धर्मकी श्रेष्ठता आदिका महत्त्व बेटीको बताएं !
६. बेटीको हिन्दू धर्मका तत्त्वज्ञान और आध्यात्मिक परंपराकी शिक्षा, अर्थात् धर्मशिक्षा दीजिए और उसके अनुसार आचरण करने हेतु प्रेरित करें !

२ उ. बेटीको धर्मांध स्त्रीके यातनामय जीवनसे परिचित करवाएं !

‘बहुपत्नीत्व, बुरका, तलाक, आर्थिक परावलंबिता, मार-पीट और ढेर सारे बच्चोंका झमेला, यह धर्मांध स्त्रीके जीवनमें आया हुआ नित्यका भोग है । इसका बोध प्रत्येक हिन्दू अभिभावक अपनी बेटियोंको वयस्क होनेसे पूर्व ही कराएं । – डॉ. श्रीरंग गोडबोले, पुणे.

२ ऊ. ‘लव जिहाद’के संकटसे पुत्रीको परिचित करवाएं !

‘पुत्रीको केवल हिन्दू धर्मकी महत्ता बतानेपर धर्मपरिवर्तन नहीं रुकेगा । यह धर्मपरिवर्तन रोकनेके लिए ‘लव जिहाद’के संकटसे उसे परिचित करवाएं ।’ – श्री. समीर दरेकर

२ ए. ‘लव जिहाद’की बलि चढ सकती हैं अथवा बलि चढी युवतियों की रक्षा कैसे करनी चाहिए !

हिन्दू युवतियां ‘लव जिहाद’की बलि चढ सकती हैं अथवा बलि चढ चुकी हैं, उनका वर्गीकरण और उपाय आगे दिए हुए हैं ।
२ ए १. स्वाभाविक मित्रताकी भावनासे धर्मांध युवकके संपर्कमें रहनेवाली युवती : युवतीको उसकी हिन्दू सहेली, मित्र, प्राध्यापक और अभिभावकोंकी सहायतासे समझाएं ।
२ ए २. धर्मांध युवकसे घनिष्ठ मित्रताके कारण उससे शारीरिक निकटता होनेपर उचित-अनुचितका विचार करनेकी क्षमता गंवा चुकी युवती :युवतीपर वशीकरण अथवा करनीका (टिप्पणी १) प्रयोग होनेकी आशंका होनेपर इस पुस्तकके सूत्र क्रमांक ‘७ क २’ में वर्णित आध्यात्मिक उपाय करें । तत्पश्चात युवतीका विवाह किसी सुयोग्य हिन्दू युवकसे करें ।
टिप्पणी १ - गुडिया, नींबू, टाचनी इत्यादि घटकोंको माध्यम बनाकर उसपर विशिष्ट मंत्रका प्रयोग कर काली शक्ति व्यक्तिकी ओर प्रक्षेपित कर उसे कष्ट पहुंचानेका प्रयास किया जाता है ।
२ ए ३. भगाई गई युवती : अभिभावक पुलिसमें परिवाद लिखवाएं । हिन्दू युवतीकी आयु १८ वर्षसे अधिक हो, तो ‘वह अपनी इच्छासे भाग गई’,  ऐसा लिखकर पुलिस असंज्ञेय अपराध प्रविष्ट करती है । इसलिए परिवाद (शिकायत) लिखवाते समय ही ‘युवती को भगाकर ले गए’, यह स्पष्टतासे अभिभावकोंद्वारा बताया जाना आवश्यक होता है ।
२ ए ३ अ. ‘लव जिहाद’के परिवाद प्रविष्ट करनेके संदर्भमें वैधानिक सूत्र समझ लें !
१. १८ वर्षकी आयुसे पूर्व अर्थात सज्ञान हुए बिना युवक-युवतियोंके लिए स्वेच्छासे धर्म-परिवर्तन करना, कानूनके अनुसार अपराध होता है । अतः सज्ञान न होते हुए धर्मांतरण कर अन्य धर्मीयके साथ किया विवाह और धर्मांतरण कानूनके अनुसार अवैध होते हैं । ऐसे प्रकरणोंमें संबंधितोंके अभिभावक ‘लडकीका बलपूर्वक धर्मांतरण अथवा विवाह हुआ है’, ऐसा परिवाद प्रविष्ट कर सकते हैं ।
२. सज्ञान होनेपर, अर्थात उसके अठारह वर्ष पूर्ण होनेपर भी युवतिद्वारा बलपूर्वक धर्मांतरणका परिवाद प्रविष्ट किया जानेसे वह धर्मांतरण अवैध होता है । धर्मांतरण अवैध होनेसे निकाह भी अवैध होता है ।
३. अपने साथ हुए छलकपटके विषयमें किसी भी युवतिद्वारा परिवाद किया जानेपर संबंधित आरोपी किसी भी धर्मका होनेपर वह निम्न धाराओंके अनुसार दंडके लिए पात्र होता है ।
अ. बलात्कार करना (भादंवि ३७५, ३७६)
आ. ठगना (भादंवि ४१५ से ४२०) इ. अपहरण करना (भादंवि ३५९)
ई. सहमतिके विरुद्ध अश्लील प्रसंगोंका छायाचित्रण करना अथवा चित्रीकरण करना और उसकी सहायतासे युवतीकी छवि बिगाडनेकी धमकियां देना (ब्लैकमेलिंग करना)
४. किसी युवतीके लापता होनेपर पडोसी भी पुलिसमें परिवाद लिख सकते हैं ।
५. हिन्दू विवाहित स्त्री अथवा पुरुष विवाहविच्छेद न कर तथा धर्मांतरण कर दूसरा विवाह करता है, तो पहला विवाह विच्छेद न होनेसे दूसरा विवाह भारतीय दंडविधान धारा ४९४ और ४९५ के अनुसार धर्मांतरण करनेपर भी अनधिकृत होता है ।
२ ए ४. ‘लव जिहादी’द्वारा फंसाया गया है, यह ज्ञात होनेपर घर लौटी युवती : ऐसी युवतीका विवाह एवं धर्मपरिवर्तन होनेपर उस विषयमें कानूनी बाधा दूर कर उसे अपने धर्ममें पुनः विधिवत् प्रवेश दिलवाएं । ऐसेमें वह आत्मविश्वास खो चुकी होती है । अतएव उसे समझाने हेतु मानसशास्त्रीय चिकित्सककी सहायता लें । साथ ही उसका आर्थिक दृष्टिसे पुनर्वसन हो इसके लिए प्रयत्न करें ।

 हिन्दू युवतियो, झूठे प्रेमकी बलि चढकर आत्मघात न करो !

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१ अ. हिन्दू युवतियो, क्या आपको ‘अनेक’निष्ठ पति चलेगा ? : जिहादी युवकोंको एक साथ ४ महिलाओंसे विवाह करनेकी अनुमति इस्लाम देता है । अतः हिन्दू युवतियोंसे वे एकनिष्ठ रहेंगे, इसकी निश्चिति देना असंभव है । जिहादी युवकोंने २-३ विवाह होकर भी हिन्दू युवतियोंको ‘मैं अविवाहित हूं’, ऐसा बताकर ठगनेकी सैकडों घटनाएं हुई हैं । जिहादी हिन्दू युवतियोंको एक उपभोग्य वस्तु समझते हैं, इसलिए वे उनकी प्रेमभावनाओंका यत्किंचित भी विचार नहीं करते ।
१ आ. शीलसे अधिक मूल्यवान कोई वस्तु नहीं, यह सदा ध्हृाानमें रखें ! : जिहादीयोंद्वारा एक बार शील भ्रष्ट हुआ, तो वह पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता एवं स्त्रीके जीवनमें शीलसे अधिक मूल्यवान वस्तु कोई नहीं । अपने शीलकी रक्षा करनेके लिए अपना संपूर्ण शरीर अग्निकी भेंट चढानेवाली राजपूत स्त्रियां हमारी आदर्श हैं ।
१ इ. धर्म-परिवर्तनसे होनेवाली हानि ध्यानमें रखें ! : ‘स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः ।’ श्रीमद्भगवद्गीताके इस वचनके अनुसार ‘स्वधर्म ही श्रेष्ठ है । परधर्ममें जाना, अत्यंत भयानक (नरकसमान) होता है ।’ हिन्दू परिवारमें जन्म लेकर इस्लाम धर्ममें जानेवाली युवतियोंके मनपर हिन्दू धर्मका संस्कार होता है । इसलिए उन्हें इस्लाम धर्मानुसार आचरण करना अत्यंत कठिन होता है ।
१ ई. हिन्दू धर्मकी श्रेष्ठता ध्यानमें रखें ! : विश्वमें हिन्दू धर्म महान है एवं यह ईश्वरप्राप्ति करवानेवाला एकमात्र धर्म है । तात्कालिक सुख पानेके लोभमें पडकर परधर्ममें जाना, अपने पारलौकिक जीवनकी अधोगतिका अंत करने समान है ।
१ उ. धर्मद्रोहका पाप अपने माथेपर न लें ! : धर्मको समाप्त करनेका स्वप्न देखनेवालोंका साथ देना धर्मद्रोह है तथा इस द्रोहका पाप भोगना ही पडता है ।
१ ऊ. हिन्दू युवतियो, सबला बनो ! : जिहादीयोंके बलप्रयोग करनेपर अनेक हिन्दू युवतियां ‘लव जिहाद’की बलि चढती हैं । स्वा. सावरकरने ‘मेरा मृत्युपत्र’में अपनी भाभीको लिखे पत्रमें कहा था, ‘भारतीय नारीका बलतेज अभी समाप्त नहीं हुआ है । वह निश्चित ही जागृत होगा ।’
स्वा. सावरकरको अपेक्षित बल एवं तेज जागृत करनेके लिए हिन्दू युवतियो, सबला बनो !

हिन्दू युवतियो, क्या आपको यह अपेक्षित है ?

१. विवाह होनेपर जिहादी पति बुरका पहननेकी सख्ती कर सकता है । पाककी भतपूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो लंडनमें जीन्स पहनती थीं । विवाहके उपरांत उन्हें मुखपर बुरखा ही डालना पडा ।
२. हिन्दू पति परिवार-नियोजनको मानते हैं; परंतु जिहादी पति आपको बच्चे जन्मनेका यंत्र समझते हैं ।
३. हिंदुओंके लिए दो पत्नी रखना प्रतिबंधित है । इस्लाममें यदि चार विवाह किए हों और पांचवां विवाह करना हो, चारोंमेंसे किसी भी एकसे विवाहको तोड (तलाक) दिया जाता है ।
४. हिन्दू स्त्रीका विवाह टूटनेपर उसे जीवननिर्वाह हेतु राशि मिलती है; परंतु जिहादीके तलाक देनेपर पत्नीको एक कौडी नहीं मिलती ।





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