Sunday, 31 May 2015

kahabi srijan

जापान में हमेशा से ही मछलियाँ खाने का एक ज़रुरी हिस्सा रही हैं । और ये जितनी  ताज़ी होतीं हैँ लोग उसे उतना ही पसंद करते  हैं । लेकिन जापान के तटों के आस-पास  इतनी मछलियाँ नहीं होतीं की उनसे लोगोँ  की डिमांड पूरी की जा सके । नतीजतन मछुआरों को दूर समुंद्र में जाकर मछलियाँ  पकड़नी पड़ती हैं।
जब इस तरह से मछलियाँ  पकड़ने की शुरुआत हुई तो मछुआरों के  सामने एक गंभीर समस्या सामने आई । वे जितनी दूर मछली पक़डने जाते उन्हें लौटने मे उतना ही अधिक समय लगता और मछलियाँ बाजार तक पहुँचते-पहुँचते बासी हो जातीँ , ओर फिर कोई उन्हें खरीदना नहीं चाहता ।इस समस्या से निपटने के लिए मछुआरों ने अपनी बोट्स पर फ्रीज़र लगवा लिये । वे मछलियाँ पकड़ते और उन्हें फ्रीजर में डाल देते । इस तरह से वे और भी देर तक मछलियाँ पकड़ सकते थे और उसे बाजार तक पहुंचा सकते थे । पर इसमें भी एक समस्या आ गयी । जापानी फ्रोजेन फ़िश ओर फ्रेश फिश में आसनी से अंतर कर लेते और फ्रोजेन मछलियों को खरीदने से कतराते , उन्हें तो किसी भी कीमत पर ताज़ी मछलियाँ 
ही चाहिए होतीं ।
एक बार फिर मछुआरों ने इस समस्या से निपटने की सोची और इस बार एक शानदार तरीका निकाला , .उन्होंने अपनी बड़ी – बड़ी जहाजों पर फ़िश टैंक्स बनवा लिए ओर अब वे मछलियाँ पकड़ते और उन्हें पानी से भरे टैंकों मे डाल देते । टैंक में डालने के बाद कुछ देर तो मछलियाँ इधर उधर भागती पर जगह कम होने के कारण वे जल्द ही एक जगह स्थिर हो जातीं ,और जब ये मछलियाँ बाजार पहुँचती तो भले वे ही सांस ले रही होतीं लकिन उनमेँ वो बात नहीं होती जो आज़ाद घूम रही ताज़ी मछलियों मे होती , ओर जापानी चखकर इन मछलियों में भी अंतर कर लेते ।
तो इतना कुछ करने के बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई थी।अब मछुवारे क्या करते ? वे कौन सा उपाय लगाते कि
ताज़ी मछलियाँ लोगोँ तक पहुँच पाती ?नहीं, उन्होंने कुछ नया नहीं किया , वें अभी भी मछलियाँ टैंक्स में ही रखते , पर इस बार वो हर एक टैंक मे एक छोटी सी शार्क मछली भी ङाल देते। शार्क कुछ मछलियों को जरूर खा जाती पर ज्यादातर मछलियाँ बिलकुल ताज़ी पहुंचती।ऐसा क्यों होता ? क्योंकि शार्क बाकी मछलियों की लिए एक चैलेंज की तरह थी। उसकी मौज़ूदगी बाक़ी मछलियों को हमेशा चौकन्ना रखती ओर अपनी जान बचाने के लिए वे हमेशा अलर्ट रहती।इसीलिए कई दिनों तक टैंक में रह्ने के बावज़ूद उनमे स्फूर्ति ओर ताजापन बना रहता।
आज बहुत से लोगों की ज़िन्दगी टैंक मे पड़ी उन मछलियों की तरह हो गयी है जिन्हे जगाने की लिए कोई shark मौज़ूद नहीं है। और अगर unfortunately आपके साथ भी ऐसा ही है तो आपको भी आपने life में नये challenges accept करने होंगे।
आप जिस रूटीन के आदि हों चुकें हैँ  ऊससे कुछ अलग़ करना होगा, आपको अपना दायरा बढ़ाना होगा और एक बार फिर ज़िन्दगी में रोमांच और नयापन लाना होगा।नहीं तो , बासी मछलियों की तरह आपका भी मोल कम हों जायेगा और लोग आपसे मिलने-जुलने की बजाय बचते नजर आएंगे।और दूसरी तरफ अगर आपकी लाइफ में चैलेंजेज हैँ , बाधाएं हैँ तो उन्हें कोसते मत रहिये , कहीं ना कहीं ये आपको fresh and lively बनाये रखती हैँ , इन्हेँ accept करिये, इन्हे overcome करिये और अपना तेज बनाये रखिये।

15 august

1. वीर सावरकर पहले क्रांतिकारी देशभक्त थे जिन्होंने 1901 में ब्रिटेन की रानी विक्टोरिया की मृत्यु पर नासिक में शोक सभा का विरोध किया और कहा कि वो हमारे शत्रु देश की रानी थी, हम शोक क्यूँ करें? क्या किसी भारतीय महापुरुष के निधन पर ब्रिटेन में शोक सभा हुई है.?
2. वीर सावरकर पहले देशभक्त थे जिन्होंने एडवर्ड सप्तम के राज्याभिषेक समारोह का उत्सव मनाने वालों को त्र्यम्बकेश्वर में बड़े बड़े पोस्टर लगाकर कहा था कि गुलामी का उत्सव मत मनाओ...
3. विदेशी वस्त्रों की पहली होली पूना में 7 अक्तूबर 1905 को वीर सावरकर ने जलाई थी...
4. वीर सावरकर पहले ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने विदेशी वस्त्रों का दहन किया, तब बाल गंगाधर तिलक ने अपने पत्र केसरी में उनको शिवाजी के समान बताकर उनकी प्रशंसा की थी जबकि इस घटना की दक्षिण अफ्रीका के अपने पत्र 'इन्डियन ओपीनियन' में गाँधी ने निंदा की थी...
5. सावरकर द्वारा विदेशी वस्त्र दहन की इस प्रथम घटना के 16 वर्ष बाद गाँधी उनके मार्ग पर चले और 11 जुलाई 1921 को मुंबई के परेल में विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार किया...
6. सावरकर पहले भारतीय थे जिनको 1905 में विदेशी वस्त्र दहन के कारण पुणे के फर्म्युसन कॉलेज से निकाल दिया गया और दस रूपये जुरमाना किया... इसके विरोध में हड़ताल हुई... स्वयं तिलक जी ने 'केसरी' पत्र में सावरकर के पक्ष में सम्पादकीय लिखा...
7. वीर सावरकर ऐसे पहले बैरिस्टर थे जिन्होंने 1909 में ब्रिटेन में ग्रेज-इन परीक्षा पास करने के बाद ब्रिटेन के राजा के प्रति वफादार होने की शपथ नही ली... इस कारण उन्हें बैरिस्टर होने की उपाधि का पत्र कभी नही दिया गया...
8. वीर सावरकर पहले ऐसे लेखक थे जिन्होंने अंग्रेजों द्वारा ग़दर कहे जाने वाले संघर्ष को '1857 का स्वातंत्र्य समर' नामक ग्रन्थ लिखकर सिद्ध कर दिया...
9. सावरकर पहले ऐसे क्रांतिकारी लेखक थे जिनके लिखे '1857 का स्वातंत्र्य समर' पुस्तक पर ब्रिटिश संसद ने प्रकाशित होने से पहले प्रतिबन्ध लगाया था...
10. '1857 का स्वातंत्र्य समर' विदेशों में छापा गया और भारत में भगत सिंह ने इसे छपवाया था जिसकी एक एक प्रति तीन-तीन सौ रूपये में बिकी थी... भारतीय क्रांतिकारियों के लिए यह पवित्र गीता थी... पुलिस छापों में देशभक्तों के घरों में यही पुस्तक मिलती थी...
11. वीर सावरकर पहले क्रान्तिकारी थे जो समुद्री जहाज में बंदी बनाकर ब्रिटेन से भारत लाते समय आठ जुलाई 1910 को समुद्र में कूद पड़े थे और तैरकर फ्रांस पहुँच गए थे...
12. सावरकर पहले क्रान्तिकारी थे जिनका मुकद्दमा अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय हेग में चला, मगर ब्रिटेन और फ्रांस की मिलीभगत के कारण उनको न्याय नही मिला और बंदी बनाकर भारत लाया गया...
13. वीर सावरकर विश्व के पहले क्रांतिकारी और भारत के पहले राष्ट्रभक्त थे जिन्हें अंग्रेजी सरकार ने दो आजन्म कारावास की सजा सुनाई थी...
14. सावरकर पहले ऐसे देशभक्त थे जो दो जन्म कारावास की सजा सुनते ही हंसकर बोले- "चलो, ईसाई सत्ता ने हिन्दू धर्म के पुनर्जन्म सिद्धांत को मान लिया."
15. वीर सावरकर पहले राजनैतिक बंदी थे जिन्होंने काला पानी की सजा के समय 10 साल से भी अधिक समय तक आजादी के लिए कोल्हू चलाकर 30 पोंड तेल प्रतिदिन निकाला...
16. वीर सावरकर काला पानी में पहले ऐसे कैदी थे जिन्होंने काल कोठरी की दीवारों पर कंकर कोयले से कवितायें लिखी और 6000 पंक्तियाँ याद रखी...
17. वीर सावरकर पहले देशभक्त लेखक थे, जिनकी लिखी हुई पुस्तकों पर आजादी के बाद कई वर्षों तक प्रतिबन्ध लगा रहा...
18. वीर सावरकर पहले विद्वान लेखक थे जिन्होंने हिन्दू को परिभाषित करते हुए लिखा कि-
'आसिन्धु सिन्धुपर्यन्ता यस्य भारत भूमिका.
पितृभू: पुण्यभूश्चैव स वै हिन्दुरितीस्मृतः.'
अर्थात समुद्र से हिमालय तक भारत भूमि जिसकी पितृभू है जिसके पूर्वज यहीं पैदा हुए हैं व यही पुण्य भू है, जिसके तीर्थ भारत भूमि में ही हैं, वही हिन्दू है...
19. वीर सावरकर प्रथम राष्ट्रभक्त थे जिन्हें अंग्रेजी सत्ता ने 30 वर्षों तक जेलों में रखा तथा आजादी के बाद 1948 में नेहरु सरकार ने गाँधी हत्या की आड़ में लाल किले में बंद रखा पर न्यायालय द्वारा आरोप झूठे पाए जाने के बाद ससम्मान रिहा कर दिया... देशी-विदेशी दोनों सरकारों को उनके राष्ट्रवादी विचारों से डर लगता था...
20. वीर सावरकर पहले क्रांतिकारी थे जब उनका 26 फरवरी 1966 को उनका स्वर्गारोहण हुआ तब भारतीय संसद में कुछ सांसदों ने शोक प्रस्ताव रखा तो यह कहकर रोक दिया गया कि वे संसद सदस्य नही थे जबकि चर्चिल की मौत पर शोक मनाया गया था...
21.वीर सावरकर पहले क्रांतिकारी राष्ट्रभक्त स्वातंत्र्य वीर थे जिनके मरणोपरांत 26 फरवरी 2003 को उसी संसद में मूर्ति लगी जिसमे कभी उनके निधन पर शोक प्रस्ताव भी रोका गया था....
22. वीर सावरकर ऐसे पहले राष्ट्रवादी विचारक थे जिनके चित्र को संसद भवन में लगाने से रोकने के लिए कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा लेकिन राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम ने सुझाव पत्र नकार दिया और वीर सावरकर के चित्र अनावरण राष्ट्रपति ने अपने कर-कमलों से किया...
23. वीर सावरकर पहले ऐसे राष्ट्रभक्त हुए जिनके शिलालेख को अंडमान द्वीप की सेल्युलर जेल के कीर्ति स्तम्भ से UPA सरकार के मंत्री मणिशंकर अय्यर ने हटवा दिया था और उसकी जगह गांधी का शिलालेख लगवा दिया...
वीर सावरकर ने दस साल आजादी के लिए काला पानी में कोल्हू चलाया था जबकि गाँधी ने कालापानी की उस जेल में कभी दस मिनट चरखा नही चलाया....
24. वीर सावरकर माँ भारती के पहले सपूत थे जिन्हें जीते जी और मरने के बाद भी आगे बढ़ने से रोका गया...
पर आश्चर्य की बात यह है कि इन सभी विरोधियों के घोर अँधेरे को चीरकर आज वीर सावरकर के राष्ट्रवादी विचारों का सूर्य उदय हो रहा है...
आशीष सिंह

deepawali

 कहानी ->
पत्नी ने पती से कहा - आज धोने के लिए ज्यादा कपड़े मत निकालना।
पति - क्यों?
उसने कहा - अपनी काम वाली बाई दो दिन काम करने नहीं आएगी।
पति - क्यों?
पत्नी - वो कह रही थी कि इस नवरात्रि को वो अपने नाती से मिलने बेटी के घर जा रही है।
पति - ठीक है, मैं अधिक कपड़े नहीं निकालूँगा।
पत्नी - और हाँ, नवरात्रि के लिए उसे त्योहार के बोनस के नाम पर पाँच सौ रूपए दे दूँ क्या?
पति - क्यों? अभी दिवाली आ रही है, तब दे देना।
पत्नी - अरे नहीं बाबा!! बेचारी, गरीब है। बेटी - नाती के यहाँ जा रही है, तो उसे भी अच्छा लगेगा। और इस महँगाई के दौर में वो इतनी सी पगार से त्यौहार कैसे मनाएगी बेचारी!!
पति - तुम भी ना! कुछ जरूरत से ज्यादा ही भावुक हो जाती हो।
पत्नी - अरे नहीं, तुम चिंता मत करो। मैं आज का पिज्जा खाने का कार्यक्रम रद्द कर देती हूँ। उन बासी पाव के आठ टुकड़ों के पीछे खामख्वाह पाँच सौ रूपए उड़ जाएँगे।
पति - वाह . . . . . क्या कहने हैं आपके! मेरे मुँह से पिज्जा छीनकर बाई की थाली में डाल दिये।
तीन दिन बाद . . . . . पोंछा लगाते हुए काम वाली बाई से पति ने पूछा . . . . .
पति - क्यों बाई? कैसी रही तुम्हारी छुट्टियां?
बाई - बहुत बढ़िया रही साहब। दीदी ने मुझे त्यौहार के बोनस के रूप में पाँच सौ रूपए जो दिए थे ना।
पति - तो हो आई तुम अपनी बेटी के यहाँ? मिल आई अपने नाती से?
बाई - हाँ साहब।इस बार बहुत मजा आया। दो दिन में 500 रूपए खर्च कर दिए।
पति - अच्छा!! तो तुमने इस बार क्या किया 500 रूपए का?
बाई - नाती के लिए 150 रूपए का शर्ट खरीदी। 40 रूपए की गुड़िया ली। बेटी के लिए 50 रूपए के पेड़े लिए। 50 रूपए के पेड़े का मंदिर में प्रसाद चढ़ाया। 60 रूपए किराए के लग गए। 25 रूपए की चूड़ियाँ बेटी के लिए ली। और जमाई के लिए 50 रूपए का अच्छा वाला बेल्ट लिया। बचे हुए 75 रूपए नाती को दे दिए, कॉपी - पेन्सिल खरीदने के लिए।
झाड़ू - पोंछा करते हुए पूरा हिसाब उसकी जुबान पर रटा हुआ था।
पति - 500 रूपए में इतना कुछ?
वह आश्चर्य से मन ही मन विचार करने लगा और उसकी आँखों के सामने आठ टुकड़े किया हुआ बड़ा सा पिज्जा घूमने लगा। एक - एक टुकड़ा उसके दिमाग में हथौड़ा मारने लगा। अपने एक पिज्जा के खर्च की तुलना वह कामवाली बाई के त्यौहारी खर्च से करने लगा। पहला टुकड़ा बच्चे की ड्रेस का। दूसरा टुकड़ा पेड़े का। तीसरा टुकड़ा मंदिर के प्रसाद का। चौथा किराए का। पाँचवाँ गुड़िया का। छठवां टुकड़ा चूडियों का। सातवाँ जमाई के बेल्ट का। और आठवाँ टुकड़ा बच्चे की कॉपी - पेन्सिल का।
आज तक उसने हमेशा पिज्जा की एक ही बाजू देखी थी। कभी पलटाकर नहीं देखा था कि पिज्जा पीछे से कैसा दिखता है। लेकिन आज कामवाली बाई ने उसे पिज्जा की दूसरी बाजू भी दिखा दी थी। आज पिज्जा के वो आठ टुकड़े उसे जीवन का अर्थ समझा गए थे।
“जीवन के लिए खर्च” या “खर्च के लिए जीवन” का नवीन अर्थ एक झटके में उसे समझ में आ गया।

Saturday, 30 May 2015

कैंसर का मूल कारण क्या है ?
लोथर - कैंसर का मूल कारण क्या है ?
डॉ. बुडविग - 1928 में डा. ऑटो वारबर्ग ने सिद्ध किया था कि कैंसर का मूल कारण कोशिकाओं में ऑक्सीजन की कमी हो जाना है, जिसके लिए उन्हें नोबल पुरस्कार भी दिया गया। ऑक्सीजन के अभाव में कोशिका फरमेंटेशन द्वारा श्वसन क्रिया करती है, जिसमंट लेक्टिक एसिड बनता है। ऑक्सीजन को खींचने के लिए सल्फरयुक्त प्रोटीन और एक अज्ञात फैट जरुरी होता है जिसे वारबर्ग ढूंढ़ नहीं पाये।
लोथर - आपकी मुख्य खोज क्या है?
डॉ. बुडविग - सन् 1950 में मैंने फैट्स को पहचानने की पेपर क्रोमेटोग्राफी तकनीक विकसित की थी। इस के द्वारा हम एक बूंद खून में भी फैट्स को पहचान सकते थे। यह खोज बहुत अहम और क्रांतिकारी साबित हुई। इससे हमारे “शरीर के कई रहस्य परत-दर-परत खुलते चले गये। इससे स्पष्ट हो चुका था कि कोशिका में ऑक्सीजन को खींचने के लिए जरुरी और रहस्यमय फैट लिनोलिक और लिनोलेनिक एसिड हैं, जिन्हें दो दशकों तक वारबर्ग और कई वैज्ञानिक खोज रहे थे। अलसी इन फैट्स का सबसे बड़ा स्त्रोत है। मैंने इन फैट्स की संरचना और इनके विद्युत-चुम्बकीय प्रभाव का गहराई से अध्ययन किया। असंतृप्त फैट्स की संरचना में सबसे प्रमुख बात थी ऊर्जावान इलेक्ट्रोन्स की उपस्थिति, जिन्हें परखना और सिद्ध करना पेपर क्रोमेटोग्राफी तकनीक द्वारा ही संभव हो सका। मैंने इन्हें पाई-इलेक्ट्रोन्स नाम से परिभाषित किया। अपने दामन में इलेक्ट्रोन्स की अपार संपदा समेटे इन असंतृप्त वसा अम्लों को इसीलिए आवश्यक वसा-अम्ल का दर्जा दिया गया। ये इलेक्ट्रोन्स सल्फरयुक्त प्रोटीन्स से बंधन बना कर लाइपोप्रोटीन बनाते हैं, जो कोशिका की दीवार का निर्माण करते हैं और कोशिका में ऑक्सीजन को खींचते हैं। ये इलेक्ट्रोन्स हमें जीवन शक्ति से भर देते हैं, इनके बिना जीवन अकल्पनीय है और इसीलिए इन्हें “अमरत्व घटक” माना गया है।
उन दिनों ट्रांस फैट से भरपूर वनस्पति और रिफाइंड तेलों को हृदय-हितैषी बता कर मक्खन की जगह धड़ल्ले से प्रयोग में लिया जा रहा था। इन्हें बनाने के लिए कई बार गर्म किया जाता है और घातक रसायन मिलाये जाते हैं। जब मैंने क्रोमेटोग्राफी द्वारा इनकी जांच की तो पाया कि इनमें ऊर्जावान इलेक्ट्रोन्स की संपदा नष्ट हो चुकी थी। ये फ्री-रेडीकल की तरह व्यवहार कर रहे थे और ये हमारे लिए श्वसन-विष साबित हो चुके थे। ट्रांस फैट में डबल-बांड पर विपरीत दिशा के हाइड्रोजन अलग होते हैं।
लोथर - इसीलिए आप वनस्पति और रिफाइंड तेल से परहेज करने की बात करती हैं?
डॉ. बुडविग - मैं हमेशा इन टॉक्सिक फैट्स से परहेज करने की सलाह देती हूँ। लेकिन आज भी निर्माता तेलों को गर्म कर रहे हैं, हाइड्रोजनेट कर रहे हैं और रसायनों का प्रयोग भी कर रहे हैं। दूसरी तरफ कीमोथैरेपी के नुमाइंदे कुछ सुनना ही नहीं चाहते हैं, उनकी दिशा ही गलत है। कीमो एक मारक या विध्वंसक उपचार है जो कैंसर की गांठ के साथ में ढेर सारी स्वस्थ कोशिकाओं को भी मार डालता है।
लोथर - ये इलेक्ट्रोन्स के बादल क्या होते हैं और इनका क्या महत्व है?
डॉ. बुडविग - इस पूरी कायनात में सूर्य के ऊर्जावान फोटोन्स का संचय करने की सबसे ज्यादा क्षमता मनुष्य में होती है। जब शरीर में फैटी एसिड्स इन फोटोन्स का भरपूर अवशोषण करते हैं तो इनमें पाई-इलेक्ट्रोन्स का आवेश, ऊर्जा और सक्रियता इतनी अधिक होती है कि हल्के-फुल्के इलेक्ट्रोन्स के ये झुंड ऊपर उठ कर बादलों की तरह तैरने लगते हैं और फैटी एसिड की भारी लड़ नीचे रह जाती है। इसीलिए इनको इलेक्ट्रोन्स के बादल (Electron Clouds) कहते हैं।
लोथर - क्या आप मुझे इन अनसेचुरेटेड फैटी एसिड्स के बारे में विस्तार से बतलायेगी?
डॉ. बुडविग - ऊर्जावान और सजीव असंतृप्त फैटी-एसिड्स 18 कार्बन की लड़ से शुरू होते हैं। शरीर में 28 कार्बन तक के फैटी-एसिड होते हैं। अलसी के तेल में विद्यमान 18 लड़ वाला असंतृप्त लिनोलिक-अम्ल जिंदादिल माना गया है। इसमें दो ऊर्जावान डबल-बांड होते हैं, जिनमें भरपूर इलेक्ट्रोनिक ऊर्जा होती है। तीन डबल-बांड वाले लिनोलेनिक-एसिड में में इलेक्ट्रोनिक ऊर्जा इतनी अधिक होती है कि चुम्बक की तरह प्रबल हो जाती है। अलसी के तेल में विद्यमान फैटी-एसिड्स इलेक्ट्रोन्स की दौलत सबसे ज्यादा होती है और ये साथ मिल कर ऑक्सीजन को बड़े प्रभावशाली ढंग से आकर्षित करते हैं। मेरे लिए यह सब सिद्ध करना सचमुच आसान हो गया था। यह इलेक्ट्रोनिक ऊर्जा स्थिर नहीं रहती, बल्कि गतिशील रहती है। इसके विपरीत अन्य यौगिक जैसे नमक में इलेक्ट्रोन्स स्थिर रहते हैं। यह ऊर्जा इलेक्ट्रोन्स और पोजिटिवली चाज सल्फरयुक्त प्रोटीन के बीच घूमती रहती है। यह बहुत अहम है। माइकलएंजेलो के चित्र में ईश्वर द्वारा एडम को बनाते हुए दिखाया गया है (दो अंगुलियां एक दूसरे की तरफ इंगित करती हैं परन्तु दोनों अंगुलियां कभी छूती नहीं है)। यही क्वांटम फिजिक्स है, यहाँ अंगुलिया छूती नहीं हैं।
यदि कोशिकाओं की भित्तियां ट्रांस फैट से बनती हैं, जिनके इलेक्ट्रोन्स नष्ट हो चुके होते हैं, तो वे आपस में एक जाल की तरह गुंथे रहते हैं। हालांकि इनमें असंतृप्त डबल-बांड तो होते हैं परन्तु इलेक्ट्रोनिक ऊर्जा का अभाव रहता है, डाइपोलेरिटी नहीं होती है, ये प्रोटीन से बंध नहीं पाते हैं और ऑक्सीजन को कोशिका में खींचने में असमर्थ होते हैं। यही ट्रांस फैट की कातिलाना फितरत है।
लोथर - क्या यही ऊर्जा कैंसर का उपचार करती है?
डॉ. जॉहाना बुडविग - यही ऊर्जा जो गतिशील है, जीवन-शक्ति से पूर्ण है, कैंसर का उपचार करती है। यदि आपके शरीर में यह जीवन-शक्ति है तो कैंसर का अस्तित्व संभव ही नहीं है। यही शरीर की रक्षा-प्रणाली को मजबूत बनाती है। आवश्यक वसा-अम्ल ही रक्षा-प्रणाली को मजबूत बनाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं।
लोथर-आपने कैंसर का उपचार कैसे विकसित किया?
डॉ. बुडविग - मैंने देखा कि कैंसर के रोगियों में लिनोलेनिक एसिड, लाइपोप्रोटीन और फोस्फेटाइड की मात्रा बहुत ही कम होती थी। मैंने नये प्रयोग करने का निश्चय किया। मैंने कैंसर के रोगियों को अलसी का तेल और पनीर (जिसमें काफी सल्फर-युक्त प्रोटीन होते हैं) मिला कर देना शुरू कर दिया। तीन महीने बाद फिर उनके रक्त के नमूने लिये। नतीजे चैंका देने वाले थे। लोगों के खून में फोस्फेटाइड, हीमोग्लोबिन और लाइपोप्रोटीन की मात्रा काफी बढ़ गई थी। कैंसर के रोगी ऊर्जावान और स्वस्थ दिख रहे थे, उनकी गांठे छोटी हो गई थी, वे कैंसर को परास्त कर रहे थे। कैंसर के उपचार की पहली पताका लहराई जा चुकी थी। इस तरह मैंने अलसी के तेल, पनीर, अपक्व जैविक आहार और सात्विक जीवन-शैली के आधार पर कैंसर का उपचार विकसित किया।
लोथर - क्या कैंसर की गांठे सर्जरी द्वारा निकाल देनी चाहिये?
डॉ बुडविग - मैं कीमो और रेडियो के सख्त विरुद्ध हूं। मेरे खयाल से सर्जरी के बारे में निर्णय रोगी की स्थिति के अनुसार सोच समझ कर लेना चाहिये।
लोथर - आपने 47 वर्ष की उम्र में मेडीकल का अध्ययन भी किया?
डॉ. बुडविग - मेरे कुछ विरोधी कहने लगे कि बुडविग जब डॉक्टर नहीं है तो वह मरीजों का इलाज क्यों करती है। यह बात मुझे चुभ गई और 1955 में मैंने गोटिंजन के मेडीकल स्कूल में प्रवेश ले लिया। तभी की एक घटना मुझे याद आ रही है। एक रात को एक महिला अपने बच्चे को लेकर रोती हुई मेरे पास आई। उसके बच्चे के पैर में सारकोमा नामक कैंसर हो गया था और डॉक्टर उसका पैर काटना चाहते थे। मैंने उसको सही उपचार बताया जिससे उसका बच्चा जल्दी ठीक हो गया और पैर भी नहीं काटना पड़ा। चूंकि तब मैं मेडीकल स्टूडेन्ट थी। इसलिये मुझ पर केस कर दिया गया कि मैं अस्पताल से मरीजों को फुसला कर अपने घर ले जाती हूँ, उनका गलत तरीके से इलाज करती हूँ इसलिए मुझे मेडीकल स्कूल से निकाल देना चाहिए। मैंने जज को सारी बात साफ-साफ बतला दी। जज ने मुझ से कहा, “बुडविग, तुमने बहुत अच्छा काम किया है। कोई तुम्हारा बाल भी बांका नहीं कर सकता है। यदि कोई तुम्हें परेशान करेगा तो चिकित्सा जगत में भूचाल जायेगा।”
लोथर - आप कैंसर से बचाव के लिये लोगों को क्या सलाह देती हैं?
डॉ. बुडविग - इसके लिए मैं अलसी और इसका तेल खाने की सलाह देती हूँ। रोज फलों का ताजा ज्यूस पियें। ट्रांस फैट से परहेज रखें। हमारे चारों ओर का विद्युत-चुम्बकीय वातावरण भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। माइक्रोवेव ऑवन और मोबाइल फोन के प्रयोग से बचें। फोम के गद्दे और सिंथेटिक कपड़े शरीर से इलेक्ट्रोन चुराते है। सूती, रेशमी या ऊनी कपड़े पहनें। जूट या रूई के गद्दे प्रयोग करें।

नकाबपोश बिकाऊ मीडिया पूरा दिन "क्राँतिकारी"बने राग अलापता है लेकिन औकात भी तुरंत दिख
जाती है।जब हर २ मिनट मेँ ब्रेक लेता है और कम से कम ४ से ५ मिनटका प्रचार दिखाता है और प्रचार मेँ क्या दिखाता है वोसभी जानते हैँ -
*. क्रीम लगाओ लड़की पटाओ
*. पाउडर लगाओ लड़की पटाओ
*. डीयोडरंट लगाओ लड़की पटाओ
*. फैयर एंड हैंडसम लगाओ लड़की पटाओ
*. कोक पेप्सी पियो लड़की पटाओ
*. दिमाग की बत्ती जलाओ लड़की पटाओ
*. मंजन करो और ताज़ा साँसों से लड़की पटाओ
*. एंटी डेनड्रफ शैम्पू लगाओ लड़की पटाओ
*. कोई भी चिप्स खाओ लड़की पटाओ
*. फोन में फ्री स्कीम का रीचार्ज कराओ और लड़की पटाओ
*. गाडी खरीदो लडकी पटाओ
*. पत्थर पर गाडी चलाओ लडकी पटाओ
*. मोबाईल खरीदो लडकी पटाओ
*. तबियत खराब होने पर बांडेड गोली खाओ और शिरप लो और लडकी पटाओ
*. डिब्बाबंद पानी पियो और लडकी पटाओ
*. नई चड्डी बनियान पहन के घूमो और लडकी पटाओ

इनके विज्ञापनों में खास बात ये है की आपको कुछ करना नही है सिर्फ इन चीजों को इस्तेमाल करो लड़की खुद आपके पास चल कर आएगी। आखिर क्या हो गया है हमारे मीडिया और समाज में ? क्या ज़िंदगी का एक ही मकसद है लड़की पटाओ ? लगता है भारत में सभी उत्पादों के विज्ञापनों का एक ही उद्देश्य है 'लड़की पटवाना' ....
अफ़सोस कुछ कूल ड्यूड सो कॉल्ड मॉडर्न किस्म के लोग इन घटिया दर्जे के विज्ञापनों झांसे में आ जाते है और औरत को इतना नीचा समझते है। अब आप ही बताईए पूरा दिन कंडोम का प्रचार और लाल रंग के कपडे पहने हुए अर्धनग्न स्त्रियाँ दिखा कर युबाओँ की कामुकता बढाती हैँ। फिर किसी ने बलात्कार कर दिया तो ABP news बाले बोलेँगे - देश जबाब माँग रहा है! 
AAJ TAK - देश को जबाब देना ही पडेगा! ZEE NEWS - देश से हर कोई जबाब माँग रहा है! NDTV - अब तो देश को जबाब माँगन ही चाहिए! IBN7 - किससे जबाब माँगना चाहिए देश को? कौन देगा जबाब देश को? NEWS EXPRESS - अखिर कब मिलेगा देश को जबाब? INDIA TV - आपकी अदालत मेँ कौन देगा देश को जबाब? अखिर कब मिलेगा जबाब देश को? SAHARA - कौन दे सकता है देश को जबाब? बने रहिए हमारी ऐँकर अंजना के साथ। LIVEINDIA - हम इस पर लगातार नजर बनाए हुए हैँ कौन देगा देश को जबाब? बाकी के चैनल => हम भी लगातार नजर बनाए हुए हैँ और पल पल का समाचार आप तक पहुँचा रहे हैँ - आखिर कौन सामने आऐगा देश
को जबाब देने? बने रहिए हमारे साथ (समाचार बताने बाली लडकियाँ - शरीर से कसे हुए कपडे पहने हुए दोहरे अर्थ बाले शब्दोँ का इस्तेमाल करते हुए बार बार अश्लीलता और लडकी पटाने का बिज्ञापन दिखाती रहेँगी।) फिर सारे मिडिया बाले एक सुर मेँ बोलेँगे - आईए अब हम जनता से भी जानने की कोशिश करते हैँ की अखिर किससे मिलेगा देश को जबाब?
अब बात यहाँ समझ मेँ नहीँ आती  कौन सा देश है जिससे ये जबाब माँग रहेँ? किसका देश है और कौनरहता है उस देश मेँ? 
शुबह से शाम तक क्रातिकारी बनेँगे फिर रात को ११ बजते ही कोई मोटे लोगोँ को पतला करने की दबाई बेँचेँगा, कोई सेक्स करने केतरीके बताएगा, तो कोई बीकनी ब्रा बेचेगा और कई तरह के कामुक मजा लूटने का यंत्र या कुछ और बेँचेगा, और प्रचार(एडवरटाईसमेँट) ऐसे करेंगे और पारिवारिक बातोँ मेँ फसाँकर हिप्नोटाईस करके कुछ का कुछ दिखाते हैँ जो दुनुयाभर के अपराधोँ के मूल जड यही हैँ।
इसलिए इन्हेँ प्रतिबंधित किए जाने हेतु सभी विचारकुशल युवा और भारत के लोग आवाज उठाएँ। 
Make in India क्या है ?
मुझे मोदी के गुजरात मुख्यमंत्रित्व काल का वो किस्सा याद आता है जो मोदी ने स्वयं किसी कार्यक्रम में सुनाया था ।
मोदी मुख्यमंत्री थे । उनसे एक व्यक्ति मिलने आया । मुलाक़ात कोई 10 मिनट चली । उस 10 मिनट की बातचीत में उस व्यक्ति ने उन्हें एक प्रोजेक्ट समझाने की कोशिश की । मोदी कहते हैं कि न जाने क्यों उन सज्जन से मेरी केमिस्ट्री match नहीं की और मुझे उनकी बात click नहीं की । मैंने उनसे पीछा छुड़ाने के लिए उन्हें सम्बद्ध अधिकारी के पास भेज दिया । फिर मैं उस व्यक्ति को और उस मुलाक़ात को भूल गया ।
6 महीने बाद वही व्यक्ति फिर मुझसे मिलने आया । मैंने उसे देखते ही पहचान लिया । उन्होंने मुझे बताया कि उनकी फैक्ट्री का उदघाटन है और उसके लिए वो मुझे आमंत्रित करने आये हैं । मुझे कौतूहल हुआ ........सिर्फ 6 महीना पहले ये व्यक्ति प्रोजेक्ट ले के आया था और सिर्फ 6 महीने में इसका plant बन के तैयार भी हो गया ?
उन सज्जन ने कहा कि फैक्ट्री का उदघाटन तो छोटी सी बात है ........ 3 महीने बाद वो मुझे पुनः invite करेंगे ....... अपने पहले product के उदघाटन के लिए ।मैंने पूछा . क्या बनाते हैं आप ?
उन्होंने बताया कि वो Bombardier के GM हैं और ये जर्मन कंपनी दिल्ली मेट्रो के लिए रेल के डिब्बे बनाती है । मोदी के गुजरात में Bombardier ने अपना प्लांट सिर्फ 6 महीने में बना के खड़ा कर दिया और ठीक 9 महीने में कंपनी का पहला रेल डिब्बा तैयार था जिसका उदघाटन स्वयं मोदी जी ने नारियल फोड़ के किया .........
इसे कहते हैं Make in India .......... जब एक विशालकाय उद्योग सारी कागज़ी और कानूनी प्रक्रिया को पूरा कर सिर्फ 6 महीने में न सिर्फ तैयार हो जाए बल्कि प्रोडक्शन शुरू कर दे और प्रोडक्ट भी कोई छोटी मोटी चीज़ न हो बल्कि एक भारी भरकम रेल का डिब्बा हो .........
Make in India के तहत मोदी हज़ारों लाखों ऐसे उद्योगों को देश में आकर्षित और आमंत्रित कर रहे हैं जो आज दुनिया के अन्य हिस्सों में अपने उद्योग चलाते हैं । इसमें लाल फीता शाही को हटा के तीव्र गति से उद्योग की स्थापना कर जल्दी से जल्दी production शुरू करने पे बल दिया जा रहा है । इसमें भारी पैमाने पे विदेशी पूँजी का निवेश होगा , साथ ही देश में नयी technology आएगी ........लाखों लोगों को रोज़गार मिलेगा ....... और भारत दुनिया का एक महत्वपूर्ण manufacturing hub बन जाएगा ।
Bombardier ने गुजरात में अपनी unit सिर्फ 6 महीने में बना के तैयार कर ली और ठीक 9 महीने बाद जो पहला रेल का डिब्बा बन के तैयार हुआ .वही तो विकास था .......
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9 महीने में विकास हो सकता है । करने वाला चाहिए ।
राहुल जी आपकी बात को हम देश वासी एक challenge के रूप में स्वीकार करते हैं ।
Make in India भारत की तस्वीर बदल देगा आने वाले 5 सालों में ।
क्या आप जानते हैं ?????
1-रामायण ,महाभारत सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि थाइलैंड ,इंडोनेशिया ,हॉलैंड में भी पढ़ी जाती है। थाइलैंड में पढ़ी जाने वाली रामायण का नाम ‘रामाकिन’ है।
2-कंबोडिया स्थित अंकोरवाट मंदिर विश्व का सबसे बड़ा मंदिर है।
3- २००० साल पहले तक भारत में सभी भारतवासी हिन्दू थे इसलिए उस समय ईरान के लोगो ने भारत को हिंदुस्तान कहा गया !!!मुग़लशासन के समय हिन्दुओं को ज़बरदस्ती मुसलमान बनाया गया इसमें सबसे जयदा औरंगजेब के समय में हिन्दू को मारकर ,धमका कर ,बलात्कार कर ,ज़ोर ज़बरदस्ती हिन्दू को मुस्लिम बनाया गया !!!!भारत में जितने भी मुस्लिम है उनके पूर्वज कभी न
कभी न हिन्दू धरम से ही थे !!!
4- 1557 में दीपावली के दिन ही अमृतसर के स्वर्णमंदिर की नींव रखी गई थी और भूमि पूजन हुआ था।
5- जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर ने दीपावली के ही दिन पावापुरी में निर्वाण प्राप्त किया था।
6 -बारह वर्ष के वनवास के बाद पांडव जिस दिन हस्तिनापुर लौटे वह दिन भी कार्तिक की अमावस्या का था।
7-तमिलनाडु के तंजावुर नगर में स्थित वृहदेश्वर मंदिर विश्व का पहला ऐसा मंदिर है जो ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया है।
8-विश्व का सर्वोच्च क्रिकेट मैदान भारत में हिमाचल प्रदेश के चैल शहर में समुद्र की सतह से २४४४ मीटर की ऊँचाई पर हैं।
9- विश्व के सबसे पहले विश्वविद्यालय का निर्माण भारत के नालंदा नगर में ईसा से ७०० वर्ष पहले हुआ था।
10=मानव जाति के सर्व प्रथम चिकित्सा विज्ञान आयुर्वेद को महर्षि चरक ने
२५०० वर्ष पूर्व भारत में जन्म दिया था।
11 -आयुर्वेद मानव जाति का पहला चिकित्सा विज्ञान माना जाता है इसका आविष्कार भारत में २५०० वर्ष पूर्व महर्षि चरक ने किया था।
क्या आप जानते है,, मुस्लिम रेजिमेंट या मुस्लिम राईफल्स नाम भारतीय सेना में क्यूँ नहीं है????
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भारतीय सेना में सभी तरह के रेजिमेंट फ़ोर्स हैं----
जैसे कि राजपुताना राईफल्स
राजपुताना रेजिमेंट
सिक्ख राईफल्स
सिक्ख रेजिमेंट
मराठा रेजिमेंट
गुजरात राइफल्स
जाट रेजिमेंट
इसी तरह के सभी राज्यों के आधार पर रेजिमेंट बनायें गए हैं और उस रेजिमेंट में वही सेना है जिस नाम से वो रेजिमेंट बनाया गया है
दोस्तों क्या आपको पता है मुस्लिम रेजिमेंट या मुस्लिम राईफल्स नाम क्यूँ नहीं है
कहानी तो बहुत लंबी है मगर संक्षिप्त में ---
1965 में जब पाकिस्तान के साथ युद्ध हुआ था उस वक्त मुस्लिम रेजिमेंट और मुस्लिम राईफल्स को हमला करने के आदेश जारी किये उस वक्त मुस्लिम रेजिमेंट और मुस्लिम राईफल्स ने पाकिस्तान पर हमला करने से साफ़ मना कर दिया था और लगभग बीस हज़ार मुस्लिम सेना ने पाकिस्तान के सामने अपने हथियार दाल दिए थे जिस वजह से उस वक्त भारत को काफी मुश्किलों सामना करना पड़ा था क्यूँ कि मुस्लिम राईफल्स और मुस्लिम रेजिमेंट के ऊपर बहुत ज्यादा यकीन कर के इनको भेजा गया था.
लेकिन इसके बाद इन दोनों को हटा दिया गया उसके बाद 1971 में पाकिस्तान के साथ फिर युद्ध हुआ उस वक्त सेना में एक भी मुस्लिम नहीं था उस वक्त भारत ने पाकिस्तान के नब्बे हज़ार सेना के हथियार डलवा कर उनको बंदी बना लिया था और लिखित तौर पर आत्मसमर्पण करवाया था ।।तब से लेकर आज तक भारतीय सेना में मुस्लिम रेजिमेंट या मुस्लिम राईफल्स नाम की कोई सेना नही है
मुस्लिम रेजिमेंट ने सन 65 मे पाकिस्तान के खिलाफ जंग लड़ने से साफ़ इंकार कर दिया,.इस वजह से इनकी पूरी की पूरी रेजिमेंट पर ही बैन लगा दिया गया, और पूरे रेजिमेंट को ही खत्म कर दिया गया,
क्योंकि भारत की असली जंग तो हमेशा ही पाकिस्तान के साथ होती है, और फिर यदि जंग के अहम मौके पर आकर कोई रेजिमेंट जंग लड़ने से मना कर देगी फिर उसे रखने से क्या फायदा?
अब आप ही बताइए क्या देश भक्ति ऐसी होती है ????
फिर क्यों जब भी किसी मुस्लिम को आतंकवादी कहा जाता है तो सारे मुस्लिम समुदाय को बेचेनी होती है ?????
कुछ रोचक जानकारी क्या आपको पता है ?
1. 📚 चीनी को जब चोट पर लगाया जाता है, दर्द
तुरंत कम हो जाता है...
2. 📚 जरूरत से ज्यादा टेंशन आपके दिमाग को
कुछ समय के लिए बंद कर सकती है...
3.📚 92% लोग सिर्फ हस देते हैं जब उन्हे
सामने वाले की बात समझ नही आती...
4.📚 बतक अपने आधे दिमाग को सुला सकती
हैंजबकि उनका आधा दिमाग जगा रहता....
5.📚 कोई भी अपने आप को सांस रोककर नही मार
सकता...
6.📚 स्टडी के अनुसार : होशियार लोग ज्यादा
तर अपने आप से बातें करते हैं...
7.📚 सुबह एक कप चाय की बजाए एक गिलास
ठंडा पानी आपकी नींद जल्दी खोल देता है...
8.📚 जुराब पहन कर सोने वाले लोग रात को बहुत
कम बार जागते हैं या बिल्कुल नही जागते...
9.📚 फेसबुक बनाने वाले मार्क जुकरबर्ग के
पास कोई कालेज डिगरी नही है...
10.📚 आपका दिमाग एक भी चेहरा अपने आप नही
बना सकता आप जो भी चेहरे सपनों में देखते हैं
वो जिदंगी में कभी ना कभी आपके द्वारा देखे
जा चुके होते हैं...
11.📚 अगर कोई आप की तरफ घूर रहा हो तो आप
को खुद एहसास हो जाता है चाहे आप नींद में
ही क्यों ना हो...
12.📚 दुनिया में सबसे ज्यादा प्रयोग किया
जाने वाला पासवर्ड 123456 है.....
13.📚 85% लोग सोने से पहले वो सब सोचते हैं
जो वो अपनी जिंदगी में करना चाहते हैं...
14.📚 खुश रहने वालों की बजाए परेशान रहने
वाले लोग ज्यादा पैसे खर्च करते हैं...
15.📚 माँ अपने बच्चे के भार का तकरीबन सही
अदांजा लगा सकती है जबकि बाप उसकी लम्बाई
का...
16.📚 पढना और सपने लेना हमारे दिमाग के अलग-
अलग भागों की क्रिया है इसी लिए हम सपने में
पढ नही पाते...
17.📚 अगर एक चींटी का आकार एक आदमी के
बराबर हो तो वो कार से दुगुनी तेजी से
दौडेगी...
18.📚 आप सोचना बंद नही कर सकते.....
19.📚 चींटीयाँ कभी नही सोती...
20.📚 हाथी ही एक एसा जानवर है जो कूद नही
सकता...
21.📚 जीभ हमारे शरीर की सबसे मजबूत
मासपेशी है...
22.📚 नील आर्मस्ट्रांग ने चन्द्रमा पर अपना
बायां पाँव पहलेरखा था उस समय उसका दिल 1
मिनट में 156 बार धडक रहा था...
23.📚 पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण बल के कारण
पर्वतों का 15,000मीटर से ऊँचा होना संभव नही
है...
23.📚 शहद हजारों सालों तक खराब नही होता..
24.📚 समुंद्री केकडे का दिल उसके सिर में
होता है...
25.📚 कुछ कीडे भोजन ना मिलने पर खुद को ही
खा जाते है....
26.📚 छींकते वक्त दिल की धडकन 1 मिली
सेकेंड के लिए रूक जाती है...
27.📚 लगातार 11 दिन से अधिक जागना असंभव
है...
28.📚 हमारे शरीर में इतना लोहा होता है कि
उससे 1 इंच लंबी कील बनाई जा सकती है.....
29.📚 बिल गेट्स 1 सेकेंड में करीब 12,000 रूपए
कमाते हैं...
30.📚 आप को कभी भी ये याद नही रहेगा कि
आपका सपना कहां से शुरू हुआ था...
31.📚 हर सेकेंड 100 बार आसमानी बिजली धरती
पर गिरती है...
32.📚 कंगारू उल्टा नही चल सकते...
33.📚 इंटरनेट पर 80% ट्रैफिक सर्च इंजन से
आती है...
34.📚 एक गिलहरी की उमर,, 9 साल होती है...
35.📚 हमारे हर रोज 200 बाल झडते हैं...
36.📚 हमारा बांया पांव हमारे दांये पांव से
बडा होता हैं...
37.📚 गिलहरी का एक दांत हमेशा बढता रहता
है....
38.📚 दुनिया के 100 सबसे अमीर आदमी एक साल
में इतना कमा लेते हैं जिससे दुनिया
की गरीबी 4 बार खत्म की जा सकती है...
39.📚 एक शुतुरमुर्ग की आँखे उसके दिमाग से
बडी होती है...
40.📚 चमगादड गुफा से निकलकर हमेशा बांई तरफ
मुडती है...
41.📚 ऊँट के दूध की दही नही बन सकता...
42.📚 एक काॅकरोच सिर कटने के बाद भी कई दिन
तक जिवित रह सकता है...
43.📚 कोका कोला का असली रंग हरा था...
44.📚 लाइटर का अविष्कार माचिस से पहले हुआ
था...
45.📚 रूपए कागज से नहीं बल्कि कपास से बनते
है...
46.📚 स्त्रियों की कमीज के बटन बाईं तरफ
जबकि पुरूषों की कमीजके बटन दाईं तरफ होते
हैं...
47.📚 मनुष्य के दिमाग में 80% पानी होता है.
48.📚 मनुष्य का खून 21 दिन तक स्टोर किया
जा सकता है...
49.📚 फिंगर प्रिंट की तरह मनुष्य की जीभ के
निशान भी अलग-अलग होते हैं

sanskar


Simplest thing observe while you're at the beach. Just 2 minutes you can save your life.
It you saw the ocean wave void (like in picture 1) do not attempt to go to the sea. This is call Rip current. It is very strong and will pull you further into the sea (ocean).
Please share to warn your family and friends. Just few moment to keep them inform. Never know in this El Niño season.