Monday 18 May 2015

मोदी सरकार के एक साल में भ्रष्टाचार घटा है और भारत को कई लाख करोड़ रुपये का फायदा भी हुआ है। 

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ )के अनुसार मोदी सरकार के कामकाज से भारत में भ्रष्टाचार काम हुआ है और सरकारी दफ्तरों में पक्षपात घटा है। मोदी सरकार ने कोल ब्‍लॉक और 2G स्पेक्ट्रम निलामी से 2.6 लाख करोड़ रुपये कमाए हैं, यूपीए सरकार ने खदानों को मुफ्त में और 2G स्पेक्ट्रम को मनमाने दामों पर बांट दिया था। मोदी सरकार ने किसानों की मदद बढ़ा कर डेढ़ गुना कर दी है । और 50% की जगह अब सिर्फ 33% नुक्सान में ही किसान को मुआवज़ा देने का प्रावधान कर दिया है।

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ ) ने एक अध्ययन में पाया है कि मोदी सरकार के सुशासन का असर दिखने लगा है। सरकारी दफ्तरों में पक्षपात घटा है। मोदी सरकार के कामकाज से नेताओं पर भरोसा भी बढ़ रहा है। डब्ल्यूईएफ ने सालाना अध्ययन रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक सरकारी दफ्तरों में पक्षपात को लेकर भारत की रैंकिंग में 45 अंक का सुधार हुआ है। व 94वें स्थान से 49वें नंबर पर आ गया है। हालांकि, अब भी चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले पीछे ही है। नेताओं पर जनता के भरोसे के मामले में भारत की रैंकिंग में 65 अंक का सुधार हुआ है। वहीं, सरकारी धन के गलत इस्तेमाल में 38 अंक का सुधार हुआ है। घूसखोरी जैसे मानकों में सुधार तो है, लेकिन महज 17 स्थान का।

http://www.bhaskar.com/news/UT-DEL-NEW-increased-trust-in-politicians-government-favoritism-in-jobs-slashed-4737620-NOR.html

चार सवालों पर सुधरी रैंकिंग-

1. नेताओं पर बढ़ा भरोसा
पिछले साल 115वें स्थान पर था। अब 50वें स्थान पर है। भरोसा 65 अंक बढ़ा है। सिंगापुर पहले, कतर दूसरे और संयुक्त अरब अमीरात तीसरे नंबर पर है।

2. सरकारी धन का दुरुपयोग
पिछले साल 98वें स्थान पर था। अब 60वें पर आ गया है। स्थिति में सुधार 38 अंक का है। न्यूजीलैंड पहले, डेनमार्क दूसरे और फिनलैंड तीसरे नंबर पर है।

3. घूसखोरी
पिछले साल 10वें स्थान पर था। अब 93वें स्थान पर है। सबसे कम घूसखोरी के साथ न्यूजीलैंड पहले, फिनलैंड दूसरे और सिंगापुर तीसरे स्थान पर है।

4. सरकारी फैसलों में पक्षपात
इससे पहले भारत 94वें स्थान पर था। अब 49वें स्थान पर है। कतर पहले, न्यूजीलैंड दूसरे और सिंगापुर तीसरे स्थान पर रहा।

क्या है डब्ल्यूईएफ की रैंकिंग

डब्ल्यूईएफ ने वर्ल्ड कॉम्पीटिटिवनेस रिपोर्ट जारी की है। सर्वे में शामिल हर व्यक्ति/संस्था को एक से सात अंक देने को कहा गया था। इसी के आधार पर रैंकिंग दी गई है।
नरेंद्र मोदी ने किसानों की मदद बढ़ा कर डेढ़ गुना कर दी है । और 50% की जगह सिर्फ 33% नुक्सान में ही मुआवज़ा देने का प्रावधान कर दिया है।
गरीबों के नाम पर हो रहे आरोप-प्रत्यारोप के तमाम पहलुओं पर चर्चा तो आपने खूब सुना और पढ़ा. अब उन तीन योजनाओं को जानिए जो पीएम मोदी ने खास तौर पर गरीबों के लिए शुरु किया है. इन तीन योजनाओं से गरीबों की हालत सुधरेगी।

जीवन ज्योति बीमा योजना क्या है-
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दूसरी योजना पीएमजेजेबीवाई के तहत सभी बचत खाता धारक को किसी भी कारण से होने वाली मृत्यु की स्थिति में दो लाख रुपये की एक वर्षीय जीवन बीमा सुरक्षा दी जाएगी. यह 18 से 50 वर्ष तक की अवस्था के लिए लागू है. इसके तहत हर बीमाधारक के लिए प्रीमियम राशि सालाना 330 रुपये है.

सुरक्षा बीमा योजना क्या है-
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पीएमएसबीवाई योजना के तहत बीमा धारक को 12 रुपये की सालाना बीमा पर दो लाख रुपये की निजी दुर्घटना बीमा सुरक्षा प्रदान की जाएगी. यह योजना बैंक के बचत खाता धारक के लिए 18 से 70 वर्ष की अवस्था के लिए लागू है. इसके तहत बीमा लेने वाले बैंक को हर साल 31 मई या उससे पहले खुद खाते से प्रीमियम काट लेने की अनुमति देंगे, जिस पर बीमा धारक को एक जून से अगले साल 31 मई तक दुर्घटना बीमा सुरक्षा हासिल होगी. इस बीमा का खुद-ब-खुद नवीनीकरण होता रहेगा. बीमा कवर 1 जून से लागू होगा.

अटल पेंशन योजना क्या है-
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इसके तहत उपभोक्ता को 60 वर्ष की अवस्था पूरी करने के बाद 18 से 40 वर्ष की अवस्था के बीच चुने गए विकल्पों के आधार पर न्यूनतम 1000, 2000, 3000, 4000 या 5000 रुपये मासिक पेंशन दिया जाएगा. इस तरह इस योजना में योगदान 20 साल या उससे अधिक का होगा. मृत्यु होने पर परिवार को पेंशन मिलेगा.

इन तीन योजनाओं से गरीबों की हालत सुधरेगी।
शंघाई में 22 अरब $ का करार: भारत में निवेश के वादे में चीन से पीछे छूटा यूएस।
इन समझौतों के बाद निवेश के वादों के मामले में चीन ने अमेरिका को पीछे छोड़ दिया। ये हालात बीते 8 महीने में बदले हैं। पहले जिनपिंग की भारत यात्रा और अब मोदी की चीन यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच 52 अरब डॉलर के करार हो चुके हैं। इसमें से 95% से ज्यादा रकम भारत में निवेश के रूप में आएगी। वहीं, अमेरिका ने भी बीते 8 महीने में दो बार भारत के साथ करार किए। लेकिन कुल मूल्य 45 अरब डॉलर ही रहा। हालांकि, चीन हो या अमेरिका, निवेश का फायदा भारत के मेक इन इंडिया कैम्पेन को मिलने वाला है।

किस देश से कितना आने वाला है इन्वेस्टमेंट-
1. चीन से कुल करार : 52 अरब डॉलर
- सितंबर : जिनपिंग भारत आए तो 5 साल में 20 अरब डॉलर निवेश का वादा किया।
- मई : मोदी की चीन यात्रा। बीजिंग में 10 अरब डॉलर के 24 करार। रेलवे को सबसे ज्यादा मदद। शंघाई में 22 अरब डॉलर के 21 करार। बड़ा फायदा मेक इन इंडिया कैम्पेन को।

2. अमेरिका से कुल करार : 45 अरब डॉलर
- सितंबर : मोदी अमेरिका गए। अगले 5 साल में अमेरिका ने भारत में 41 अरब डॉलर का निवेश करने का वादा किया। फायदा मेक इन इंडिया कैम्पेन को।
- जनवरी : ओबामा भारत आए। 4 अरब डॉलर के एक्स्ट्रा इन्वेस्टमेंट का एलान किया। फायदा एनर्जी सेक्टर को।

3. जापान से कुल करार : 35 अरब डॉलर
- सितंबर : मोदी जापान यात्रा पर गए। जापान ने 35 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया। बड़ा फायदा भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र और रेलवे को। जापान की मदद से मुंबई-अहमदाबाद रूट पर बुलेट ट्रेन चलेगी।

4. फ्रांस से कुल करार : 2 अरब यूरो (2.30 अरब डॉलर)
- पिछले महीने मोदी फ्रांस के दौरे पर गए। परमाणु ऊर्जा के सेक्टर में 2 अरब यूरो की मदद का एलान हुआ।

5. कनाडा से कुल करार : 35 करोड़ डॉलर
- पिछले महीने मोदी कनाडा गए। भारत को 35 करोड़ डॉलर मूल्य का यूरेनियम देने के लिए डील हुई।

कुल : 135 अरब डॉलर
इन पांच देशों से भारत में 135 अरब डॉलर का निवेश आने की उम्मीद है। मोदी साउथ कोरिया के दौरे पर भी जाने वाले हैं। वहां भी 10 अरब डॉलर मूल्य के करार हो सकते हैं। इसका फायदा भारत के आईटी सेक्टर को मिल सकता है।

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