Thursday 7 May 2015

चीन व पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का काट 'चाबहार' के जरिये....

जिस दिन से नरेँद्र मोदी जी प्रधान सेवक बने है तब से लगातार भारत इस पूरे भारतीय उपमहाद्वीप, अरब सागर एवं हिंद महासागर में अपना वर्चस्व बढ़ा रहा है फिर वो चाहे नेपाल +भूटान + जापान + विएतनाम + श्रीलंका + सेशेल्स + मॉरीशस हो या अरब देशों के साथ भारत का व्यापार।
सामरिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ईरान के चाबहार बंदरगाह को बनाने व विकास करने की दिशा में भारत और ईरान ने बुधवार को एक बड़ा अहम फैसला किया और इस संदर्भ में एक समझौते ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किया। इस समझौते के तहत भारत ईरान के चाबहार बंदरगाह के विकास में निवेश करेगा और भारतीय कंपनियाँ दो बर्थों को लीज पर लेकर उसे बहूउद्देशीय कंटेनर एवं मल्टी-पर्पस कार्गो (माल) टर्मिनल बनाने का काम करेगी।
चाबहार बंदरगाह को विकसित करने का निर्णय और इस मामले में ईरान की हामी यह दर्शाती है कि भारत ने चीन और पाकिस्तान के नापाक और चालाकी भरी साजिश को कूटनीतिक तौर पर एक ज़बरदस्त झटका दिया है। भारत के व्यापारियों व उत्पादों के लिए अफगानिस्तान समेत मध्य एशिया तथा यूरोप में सस्ते जमीनी रास्ते से व्यापार करना हमेशा से थोड़ा मुश्किल रहा है क्योंकि बीच में पाकिस्तान पड़ता है जो यदा कदा हमसे लड़ाइयों और झड़पों में मशगूल रहा है।
पाकिस्तान ने न तो अफ़ग़ानिस्तान के उत्पादों को अपना रास्ता दिया अटारी सीमा तक आने के लिए और न ही भारत को मुक्त रास्ता देता है मध्य एशिया तक जाने के लिए। और तो और पिछले कुछ सालों से चीन ने पकसितन के दक्षिणी चोर पर ग्वादर बंदरगाह का निर्माण व विकास शुरू कर दिया है जिससे होगा यह कि चीन के मालवाहक जहाज तथा नौसैनिक जहाजों का बेड़ा भारत से लगकर अरब सागर से होता हुआ पाकिस्तान में आ-जा सकेगा जिससे ज़ाहिर तौर पर भारत के सुरक्षा को चिंता तो होगी ही।चीन को इससे दो फायदे होंगे, एक तो मध्य एशिया, पाकिस्तान एवं यूरोप तक उसके उत्पादों की पहुँच बढ़ जाएगी और वह भी सस्ते में। दूसरा यह कि इस अरब सागर क्षेत्र में उसकी पहुँच नहीं थी और भारत एकमात्र बड़ी शक्ति है लेकिन पाकिस्तान ने चीन को यहाँ आने (घुसपैठ) करने की अनुमति दे दी है जिसके ऐवज में चीन उसके ग्वादर बंदरगाह में अरबों का निवेश कर रहा है।
हिन्दुस्थान के चाबहार [ ईरान के चाबहार बंदरगाह ] वाले रणनीति से पाकिस्तान बिफर पड़ा है क्योंकि उसके ग्वादर पोर्ट से सिर्फ 72 किलोमीटर दूर ही चाबहार पोर्ट स्थित है जिसके द्वारा भारत अब अफगानिस्तान, ईरान, मध्य एशिया तथा यूरोप तक अपने व्यापास के तार फैला सकता है। सामरिक दृष्टि से यह चीन व पाकिस्तान के तार काटने जैसा है।
पाकिस्तान के बड़े बड़े विशेषज्ञ तो इस बात पर खार खाये बैठे हैं कि आखिर कैसे एक इस्लामिक देश ईरान भारत से नजदीकी बढ़ा रहा है और व्यापार की छूट दे रहा है.
इसी तरह सऊदी अरब, कतर व कुवैत समेत अन्य अरब देश भी लगातार भारत से अच्छे संबंध बनाए हुए हैं क्योंकि उनको भारत में एक बड़ा निष्पक्ष मित्र नज़र आता है और वह भी विश्वसनीय।
वाकई में यदि नरेंद्र मोदी की सरकार चीन व पाकिस्तान के इस ग्वादर बंदरगाह का काट 'चाबहार' के जरिये निकाल सकती है तो निश्चित ही भारत के सामरिक, आर्थिक ताकत व कूटनीतिक शक्ति के लिहाज से "आने वाले दिन अच्छे हैं।"
इसे कहते है की '' अच्छे दिन आ गए '' .......
कुछ लोग सब्जियों के दाम के साथ देश के विकास की तुलना करते है लेकिन उनकी समज में यह नहीं आता के देश सीमा सुरक्षित होंगी तब घरकी समस्या का निवार आसानी से हो सकेगा।
आज आंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोदी जी ने हिन्दुस्तान को बड़ी उंचाइ तक पहुंचाया है।
वंदे मातरम् .......

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