Monday 4 May 2015

उत्तर प्रदेश के श्यामली में पुनः गोधरा काण्ड : मुसलमानों के एक बड़े झुण्ड के द्वारा ट्रेन रोक कर यात्रियों के साथ की गई मारपीट , सिर्फ जी न्यूज़ यह समाचार दे रहा है 
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सांप्रदायिक उपद्रव की आग में सुलगा शामली का कांधला, पुलिस पर तमंचों से गोली भी चलाई...गोधरा दुहराने की कोशिश...घंटो मुस्लिमो ने ट्रेन रोकी रही
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कांधला इलाके से जमात से लौट रहे दो युवकों के साथ शुक्रवार देर रात ट्रेन में कुछ अन्य यात्रियों से कहासुनी हो गई थी। इस छोटी सी बात को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने शनिवार की सुबह दिल्ली-सहारनपुर हाईवे जाम कर दिया और कांधला थाने का घेराव कर तोड़फोड़ और यात्रियों से हाथापाई करने लगे। मौके पर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों ने भीड़ को समझाने की कोशिश की, लेकिन भीड़ और भी उग्र हो गई। उसने थाने पर हमला बोल दिया और वहां खड़ी गाड़ियों में आग लगा दी। जवाब में पुलिस को भी फायरिंग और लाठीचार्ज करना पड़ा, जिसमें 25 लोग घायल हो गए हैं। घायलों में एसडीएम श्याम अवध चौहान, उनका पियून चंद्रपाल और एक दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। तनाव को देखते हुए मौके पर मेरठ जोन के आईजी. आलोक शर्मा, कमिश्नर सहारनपुर तनवीर अहमद , डीआईजी अशोक राघव मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। पूरे कस्बे में पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है। एसपी विजय भूषण के मुताबिक उपद्रवियों ने थाने का घेराव और पथराव किया और कुछ वाहनों में आग लगा दी। भूषण ने कहा कि हिंसक उपद्रवियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया।
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यह था मामला : शुक्रवार की रात सात बजे दो तबलीकी जमाती दिल्ली से सहारनपुर जाने वाली ट्रेन में कांधला आ रहे थे। रास्ते में किसी बात को लेकर कुछ अन्य यात्रियों के साथ जमातियों की कहासुनी और हाथापाई हो गई । कांधला पहुंचकर जमातियों ने अपने समर्थकों को बुलाकर हंगामा शुरू कर दिया। आरोप है कि कुछ असामाजिक तत्वों ने पुलिस पर तमंचों से गोली भी चलाई। पथराव और गोली चलने के बाद पुलिस ने भीड़ को खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज कर दिया। वहीं, उग्र भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस ने उपद्रवियों पर रबड़ की गोलियां चलाई। घटनास्थल पर अब भी तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।
कांधला को गोधरा बनाने का था प्लान – सपा विधायक नाहिद हसन पर FIR
मुज़फ्फरनगर जिले के शामली कांधला रेलवे स्टेशन पर ट्रेन को उसी तरह रोक लिया गया था जैसे 2002 में गुजरात के गोधरा में ट्रेन को रोका गया था। फर्क सिर्फ इतना था की गोधरा में ट्रेन और यात्रियों को जिन्दा जला दिया गया था लेकिन कांधला में भारी पुलिस बल ने घटना को रोक दिया और यात्रियों की जान बचा ली। भीड़ भी इकट्ठी हो चुकी थी, हथियार भी थे और ट्रेन भी रुकवा ली गयी थी। यात्रियों को परेशान भी किया गया और उन्हें मारा पीटा भी गया। लेकिन पुलिस और प्रशासन की चतुराई और साहस ने घटना को अंजाम देने से पहले ही रोक दिया और ट्रेन में बैठे हजारों लोगों की जान बचा ली। उत्तेजित भीड़ ने पूरी ट्रेन को घेर लिया था। ट्रेन पर पथराव भी किया जिससे कई लोगों को गंभीर चोटें आयीं।
जब उत्तेजित भीड़ को पुलिस ने रोका तो भीड़ ने पुलिस पर ही पथराव शुरू कर दिया और बाद में कई वाहनों में आग भी लगा दी। पुलिस को प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा। इस संघर्ष में काफी लोग घायल हुए। भीड़ ने पुलिस स्टेशन में भी तोड़फोड़ की और बाजार में कई दुकाने को आग के हवाले कर दिया। लोगों ने डर के मारे दुकाने ही बंद कर दीं।
दहशत के उन पलो का वर्णन भाई केसरी सिंह जी के वाल से :- मैं उस ट्रेन में ही था जिसे मीडिया छोटी सी घटना बता रहा है। छोटी सी घटना कैसे बड़ी बनती है...? क्या हमारा मीडिया ये भी नहीं जनता? मेरे पास में दो जवान बेटियों का परिवार बैठा था। सुनसान सिंगल आउटर ट्रैक के पास सैकड़ों की उन्मादी भीड़...आशंकित माँ बाप। सामने ही गन्ने के खेतों में जालीदार टोपियाँ। पास वाले कम्पार्टमेंट में एक दम्पत्ति के साथ दो वृद्ध सो रहे थे...इस आशा से साँस ले रहे थे कि भस्मीभूत से पहले एक झलक माँ गंगा की देख लें। अगर उनको स्थिति का अनुमान भर होता तो वहीं प्राण निकलते,
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एक नवयुवा जोड़ा अपने दो वर्ष के शिशु को भरसक चुप कराने की कोशिश कर रहा था जिससे की अम्न पसन्दो की निगाह से बच सके। और यदि आग लग जाती तो.....! गोधरा में एक ही बोगी जली थी...वह 2002 था। अब तक गंगा में काफी पानी बह चुका है। सभी घोरतम सेकुलर भी दबी जुबान यह कहते रहते हैं कि "एक बार सफाई होनी चाहिए।"
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शामली UP मे इतना बड़ा कांड हो गया और यह खबर अभी तक किसी भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में नही आयी आखिर क्यों ?
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 कांधला मे दूसरा गोधरा कांड दोहराने से बच गया..हिंदुओं...Secularism का चोगा बस 10-12 साल और पहने रहिये, दावे से कह सकता हूँ, हम उतने ही असुरक्षित हो जायेंगे, जितने की इराक में "यजीदी समुदाय" , फिर आपको मुल्ले बताएँगे की हमे जिन्दा रहना होगा तो हमे किस तरह से चलना पडेगा कितने दिनों की अमरनाथ यात्रा होगी ..होगी भी या नहीं होगी । रामनवमी और हनुमान जयंती के जुलूस को तो भूल ही जाओ ..अभी तो बस मंदिर के लाउडस्पीकर उतरवाते है शांतिदूत ... जल्द मंदिर की घंटी भी उतारने को बोलेंगे । आप उनकी भावनाओं का सम्मान करते जाओ . अपना सर पिछवाड़े मे घुसाये बैठे रहो ।
ऐ बे ईमान वालों , अरे ‪#‎प्रेस्टीच्यूट्स‬ याद रखो अब हर हाथ मोबाईल और हर हाथ इंटरनेट है, यह 2002 नहीं 2015 है अब मीडियाई कैमरे नहीं, मोबाईल के 4K वीडियो और 8-16 मेगापिक्सल के कैमरे ज्यादा काम करते हैं...!!
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देखते हैं मीडियाई ‪#‎Presstitutes‬ यह खबर दिखाते हैं या नहीं...











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