Tuesday, 3 April 2018


किसी भी टीवी न्यूज़ चैनल को खोल दीजिए तो आप को दलितों द्वारा किए गए कल के बर्ताव और दंगों के बारे में पता चल जाएगा. यद्यपि सच्चाई यह है कि उसमें दलितों का भागीदारी कम और दलितों के नाम पर अत्याचार करने वाले उन तथाकथित छद्म दलितों का अधिक वर्चस्व था जो स्वयं को भीम आर्मी का सदस्य बताते हैं और पूरे देश भर में उन्होंने अत्याचार किए हैं.कल के हुए इन दंगों में कुल मिलाकर अभी तक रिपोर्ट आने तक 9 लोगों के मारे जाने की खबर है जिसमें से 6 मध्यप्रदेश दो उत्तर प्रदेश और एक हरियाणा से दुखी खबर आई है. इस खबर के आने के बाद सब को यह पता चल गया कि कांग्रेस किस प्रकार से इसके पीछे हैं. हमेशा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इस एक बड़े आंदोलन को राहुल गांधी में सुबह ट्वीट कर प्रति समर्थन दिया था और जब यह पूरा आंदोलन उग्र हो गया और काबू से बाहर हो गया तो कांग्रेस का यह कहना है कि इसमें उसका कोई भी आदमी नहीं था. यद्यपि यह एक कोरा झूठ है उतना ही बड़ा झूठ जितना राहुल गांधी को यह सोच कर लगता है कि वह किसी दिन देश के प्रधानमंत्री बनेंगे. देश के लोगों को गुमराह करने के बाद अब कांग्रेस देश को जलाने के पीछे चल पड़ी है और यह भी पूरी रणनीति कैंब्रिज एनालिटिका द्वारा ही दी गई थी जिसके बाद से यह पता चल रहा है कि कांग्रेस ने देश को जलाने के लिए वह कार्य भी रच दिए हैं जो सच में काफी निंदनीय है.देश भर में बंद का आयोजन देखने को मिला, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने बंद के दौरान हुई हिंसा व उसके चलते जान-माल को हुए नुकसान के लिए एनडीए सरकार को जिम्मेदार ठहराया. जहां लगातार उग्र होता दलित आंदोलन बीजेपी और मोदी सरकार के लिए गले की हड्डी बनता जा रहा है, वहीं कांग्रेस इस उग्र होते माहौल में अपने लिए संभावनाएं तलाश रही है. कांग्रेस व उसके अध्यक्ष ने जिस तरह से खुले सुरों में इस आंदोलन का समर्थन किया, उससे साफ है कि कांग्रेस इस असंतोष को अपने लिए एक मौके के रूप में देख रही है. दरअसल, कांग्रेस की नजर देशभर की 23 फीसदी दलित आबादी पर है. आगामी चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस सरकार के प्रति दलितों व आदिवासियों की इस नाराजगी को काफी अहम मान रही है.दलित व आदिवासी शुरू के ही कांग्रेस के कोर वोटबैंक रहे हैं लेकिन समय के साथ उनका यह परंपरागत जनाधार उनसे छिटक गया. कांग्रेस पिछले कई सालों से उस जनाधार का वापस लाने की कोशिश में जुटी है. आगामी चुनावों के मद्देनजर यह वोटबैंक अहम साबित हो सकता है. आगामी लोकसभा चुनाव से पहले देश में कनार्टक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान में असेंबली चुनाव होने हैं. रोचक है कि इन सभी राज्यों में कांग्रेस की सीधी टक्कर बीजेपी है. कनार्टक में लगभग 20 फीसदी दलित वोटर हैं. इसी तरह से मध्य प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में भी दलितों व आदिवासियों की खासी आबादी है. इनमें कनार्टक को छोड़कर बाकी तीनों राज्यों में बीजेपी सरकार में है. कांग्रेस को लगता है कि बीजेपी सरकार के प्रति दलित व आदिवासियों का यह आक्रोश आगामी चुनाव में भी अहम भूमिका निभाएगा. मोदी सरकर के आने के बाद से हरियाणा, यूपी, मध्य प्रदेश, हिमाचल, बिहार, गुजरात जैसे राज्यों में जिस तरह से दलित अत्याचार के मामले सामने आए, उसको देखते हुए धीरे-धीरे बीजेपी की दलित विरोधी छवि बनने लगी। कांग्रेस इसी का फायदा लेने की कोशिश में है.

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