गोल्ड कोस्ट (आस्ट्रेलिया) : भारत की स्टार भारोत्तोलन महिला खिलाड़ी मीराबाई चानू ने गुरुवार को 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में 48 किलोग्राम भारवर्ग स्पर्धा में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया. मणिपुर की चानू ने इस स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन किया और अपने प्रतिद्वंद्वियों को आस-पास भी नहीं भटकने दिया. चानू ने एक साथ राष्ट्रमंडल खेलों का रिकार्ड और गेम रिकार्ड अपने नाम किए.
चानू ने स्नैच में 86 का स्कोर किया और क्लीन एंड जर्क में 110 स्कोर करते हुए कुल 196 स्कोर के साथ स्वर्ण अपने नाम किया. स्नैच और क्लीन एंड जर्क दोनों में चानू का यह व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. उन्होंने साथ ही दोनों में राष्ट्रमंडल खेल का रिकार्ड भी अपने नाम किया है.
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संजीता चानू ने गोल्ड मेडल पदक जीता..
राष्ट्रमंडल खेलों के दूसरे दिन भारत ने स्वर्णिम शुरुआत की। महिलाओं की 53 किग्रा वेटलिफ्टिंग स्पर्धा में संजीता चानू ने कुल 192 किग्रा भार उठाकर स्वर्ण पदक पर कब्जा किया।
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तिरंगा ऊपर जा रहा था और साथ में राष्ट्रगान बज रहा था तो देश की इन बेटियों के आँखों से आंसू बह रहे थे.
कॉमनवेल्थ गेम्स में टेबल टेनिस में विश्व की नंबर 4 और कॉमनवेल्थ चैंपियन सिंगापुर को हराकर पहली बार भारत को टेबल टेनिस में गोल्ड मैडल दिलवाने पर छलक उठे इन बेटियों के आंसू
पर ये ख़बर आप को इलेक्ट्रॉनिक्स मिडिया नही दिख़ायेगा क्यूंकि इसमे से राष्ट्रवाद का संदेश जाएंगा...
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कभी अभ्यास के बाद भूखे पेट सोना पड़ा, अब बनीं गोल्ड मेडलिस्ट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी सुर्खियों में है और इसकी वजह बनी हैं पूनम यादव। उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 में महिलाओं के 69 किग्रा भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीतकर न केवल देश और वाराणसी का मान बढ़ाया, बल्कि अपने गरीब मां-बाप के सपने को भी पूरा किया है। बेटियां किसी से कम नहीं, यह साबित करने वाली पूनम का कहना है कि देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना गर्व की अनुभूति है, गांव के मामूली किसान कैलाश यादव की बेटी पूनम के गले में गोल्ड मेडल देख हर कोई झूमा। कैलाश यादव को बधाई देने पूरा गांव के साथ शहर से खेलप्रेमी भी पहुंचे पूरे दिन मुंह मीठा कराने का दौर चलता रहा।
इस उपलब्धि से पूनम के परिजन बेहद खुश हैं। मां उर्मिला देवी और दादी संदेयी की खुशी देखते ही बनती है। सभी का सपना था कि पूनम इस बार गोल्ड लाए और वह पूरा हो गया। आंखों में खुशी के आंसू के बीच मां का कहना है, 'बिटिया ने जब से खेलना शुरु किया तो घर का हर कमरा मेडल, शील्ड और सर्टिफिकेट्स से भर गया। बस कमी थी तो गोल्ड की, जिसे उनकी बेटी ने आज पूरा कर दिया।' पूनम के संघर्ष की बात पूछने पर उन्होंने कहा कि बीते दिनों को वह अब याद नहीं करना चाहती हैं।
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