Saturday, 27 February 2016


चम्‍बल का वैभव: धार्मिक स्थल मचकुण्ड
चम्‍बल घाटी में मचकुण्ड नामक बहुत ही सुन्दर रमणीक धार्मिक स्थल प्रकृति की गोद में राजस्‍थान के धौलपुर शहर के निकट स्थित है। इस विशाल एवं गहरे जल कुण्ड के चारों ओर अनेक छोटे-छोटे मंदिर तथा पूजागृह पाल राजाओं के काल 775 ई. से 915 ई. तक के बने हुए है।
 यहां प्रतिवर्ष भादों की देवछट को बहुत बडा मेला लगता है। जिसमें लाखों की संख्या में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। मचकुण्ड को सभी तीर्थों का भान्जा कहा जाता है। इस मचकुण्ड का उदगम सूर्यवंशीय 24 वे राजा मचकुण्ड द्वारा बताया जाता है। इस कुण्ड में नहाने से पवित्र हो जाते हैं।                               ऐसी यहां धारणा है कि मस्‍सों की बीमारी से त्रस्‍त अर्थात मस्‍सों से परेशान लोग इस कुण्‍ड में स्‍नान कर मस्‍सों से छुटकारा पा जाते हैं । पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्‍ण ने कालयवन को राजा मुचकुन्‍द के हाथों इसी स्‍थान पर मरवाया था । तभी से इसे मुचकुण्‍ड या मचकुण्‍ड पुकारा जाता है ।
 मुरैना से यह 28 कि.मी. दूर आगरा बम्‍बई राजमार्ग के निकट स्थित है । क्षेत्रीय जनता में इसे भारी मान्‍यता व सम्‍मान प्राप्‍त है ।

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