Thursday, 11 February 2016

इशरत जहाँ के आतंकी रिश्तों पर जो खुलासा अब हुआ है वो सच दो साल पहले कांग्रेस की सरकार ने दिल्ली में दफन कर दिया था. इशरत जहाँ मामले में अमित शाह और मोदी को फंसाने के लिए तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने NIA की ना सिर्फ पूरी फाइल दबा दी बल्कि मामले को देख रहे जॉइंट डायरेक्टर लोकनाथ बेहरा को कुर्सी से ही हटा दिया था. इस ईमानदार अफसर को बाद में प्रताड़ित करके केरल वापस भेज दिया गया था.

इंडिया संवाद के पास उपलब्ध दस्तावेज़ बताते हैं कि 26 /11 हमले और इशरत जहाँ एनकाउंटर का सच जाने के लिए NIA अफसर 2010 में ISI एजेंट डेविड कोलमैन हेडली से पूछताछ करने शिकागो गए थे. NIA की टीम का नेतृत्व लोकनाथ बेहेरा कर रहे थे. हेडली ने बेहेरा को बताया था कि गुजरात एनकाउंटर में मारी गयी लड़की इशरत जहाँ आतंकवादी थी और लश्कर ऐ तोइबा के मुज़म्मिल मॉड्यूल की सदस्य थी. दिल्ली लौटकर ये रिपोर्ट बेहेरा ने तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम को सौंपी थी. चिदंबरम ने रिपोर्ट के कुछ अंश मीडिया से साझा किये लेकिन इशरत जहाँ के खुलासे पर वो चुप रहे.

 दरअसल कांग्रेस हाई कमान अमित शाह के साथ साथ मोदी को भी इस केस में घसीटना चाहता था. इस पूरे मामले में NIA अफसर बेहेरा की गवाही रोड़ा बन रही थी. इसलिए अचानक शिंदे ने लोक नाथ बेहेरा को NIA से हटाकर उन्हें पुलिस रिसर्च ब्यूरो में ट्रांसफर कर दिया. जब शिंदे से पोछा गया कि ये कदम उन्होंने क्यों उठाया है तो उन्होंने बेहेरा पर मीडिया को खबर लीक करने का आरोप लगा दिया.
सोनिया की सलाहकार अहमद पटेल का था शिंदे पर दबाव
सूत्रों का कहना है कि शिंदे कि इस करवाई के पीछे सोनिया गांधी के राजनितिक सलाहकार अहमद पटेल का हाथ था. पटेल चाहते थे हेडली कि रिपोर्ट को सार्वजनिक न किया जाए. ये रिपोर्ट अगर तब सार्वजनिक हुई होती तो शाह पर मुकदमा तभी खारिज हो गया होता और मोदी को फंसाने कड़ी साज़िश भी खत्म हो जाती.फिओल्हाल दो साल बाद वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग में अब हेडली ने खुद कबूल कर लिया है कि इशरत जहाँ आतंकवादी थी और उसके लश्कर के सरगनाओं से संबंंध थे.

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