मुस्लिम राजाओं ने ब्राह्मणों से कहा मुसलमान बनो
या साफ करो हमारे पखाने...
डा. विजय सोनकर शास्त्री जी की तीन पुस्तकें पढ़ते हैं तो आप समझ सकते हैं कि भारत में ‘दलित’, चमार, खटिक, जैसी कोई भी जाति जन्म के आधार पर नहीं थी.देश में चार वर्ग जरुर थे. ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र. लेकिन कोई भी व्यक्ति जन्म से शुद्र या ब्राह्मण नहीं बनता था. अपने ज्ञान के बलपर कोई भी ब्राह्मण बन सकता था और अगर ज्ञान नहीं है तो वह शूद बन जाता था. जन्म के आधार पर ही जाति नहीं बनती थीं. लेकिन हमें दलित शब्द कहीं नहीं मिलता है. अगर दलित शब्द या दलित लोग देश में होते तो हमारे वेदों और शास्त्रों में इनका जिक्र जरुर होता.
आज हम अपने ही भाइयों को दलित और छोटी जाति का कहकर उनका अपमान कर रहे हैं. सोनकर शास्त्री जी अपनी किताब में यह सिद्ध करते हैं कि आज के दलित लोग, कभी ब्राह्मण या क्षत्रिय ही थे जो देश की स्वतंत्रता के लिए मुस्लिम शासकों से लड़ाई लड़ रहे थे. आज यह दलित इतिहास को हम सभी ने भुला दिया है. मुस्लिम शासकों ने हिन्दुओं को बांटा और दलित लोगों का यहाँ उदय हुआ.
अब आप ही देखिये कि दलितों और ब्राह्मणों में आज भी कई सारे सर नेम (उपनाम) एक जैसे ही हैं. इसी प्रकार क्षत्रिय और दलितों में भी काफी उपनाम एक समान हैं.
यह लोग स्वाभिमान की खातिर दलित बने
हुआ यह कि जब यह ब्राह्मण और क्षत्रिय लोग मुस्लिम शासकों से लड़ रहे थे तो प्रारंभ में तो मुस्लिम लोगों को खूब हराया गया था. लेकिन एक समय के बाद युद्ध हारना शुरू हुआ और हमारे अपने ब्राह्मण-क्षत्रिय भाई बंधक बना लिए गये.बाद में मुस्लिम राजाओं ने इन लोगों के सामने दो शर्तें रखीं कि या तो यह लोग मुस्लिम बन जायें या फिर मुस्लिमों के पखाने (मल) साफ़ करें. तो उस स्थिति में इन स्वाभिमानी लोगों ने इस्लाम ग्रहण नहीं किया अपितु मुस्लिमों के मल साफ़ करने शुरू कर दिए. यह वह समय था जब देश में चमार, खटिक और वाल्मीकि लोगों का जन्म हुआ है. इससे पहले इतिहास में यह जातियां नहीं थी. मुस्लिम राजओं के समय ही ब्राह्मण-क्षत्रिय लोग ही चमार, खटिक बने हैं. (यहाँ प्रयोग किया गया चमार, खटिक और वाल्मीकि शब्द किसी का अपमान करने के लिए नहीं है, यह हमारे छुपे इतिहास को सामने लाने के लिए एक भलाई के रूप में प्रयोग ही रहा है)
गंदे काम करने की वजह से समाज ने अपने ही भाइयों के लिए गाँव में अलग घर बना दिए और धीरे-धीरे इन लोगों की बस्तियाँ अलग हो गयीं. आज ये लोग दलित बना दिए गये हैं लेकिन यह बात इन पुस्तकों में सिद्ध कर दी गयी हैं कि आज के दलित ब्राह्मण और क्षत्रियों ही हैं.
भारत में पखाने की कोई व्यवस्था नहीं थी
भारत के इतिहास में हमको कहीं भी कोई यह नहीं मिलता है कि घर के अन्दर ही पखाने की व्यवस्था हो. सभी लोग बाहर ही मल त्याग करते थे. लेकिन मुस्लिम जब भारत में आये तो उन्होंने घर में ही पखाने बनवाये और फिर इनको साफ़ करने के लिए बंधकों का प्रयोग किया गया.मुस्लिमों का मल साफ़ करने का काम, हमारे ब्राह्मण भाई करने लगे और आगे चलकर इनको छोटी जाति का बना दिया गया.
जो लोग मुस्लिम बने, आज भी वह अच्छी स्थिति में नहीं हैं
इसी क्रम में कुछ लोग डरकर मुस्लिम भी बने थे. आज भी उन मुस्लिमों के साथ छोटा व्यवहार किया जा रहा है. ऊँचे मुस्लिम लोग ओनी बेटियां इन लोगों के यहं नहीं देते हैं. जो मुस्लिम आज बेहद गरीब और कमजोर हैं. वह धर्म परिवर्तन से ही बने हुए मुसलमान हैं.
इसी बीच देश में पर्दा प्रथा भी आई
जब तक मुस्लिम शासक देश में नही आये थे तब तक भारत में पर्दा प्रथा का कोई नामों निशान नहीं था. लेकिन मुस्लिमों के यहाँ आने के बाद से ही देश में हिदुओं को भी अपनी माँ-बेटी को सभी की नजरों से बचाने की व्यवस्था, पर्दा प्रथा को अपनाना पड़ा.
लेकिन आज यह एक कड़वी सच्चाई है कि जिनको हम दलित, छोटी जाति बोलकर उनका अपमान कर रहे हैं वह हमारे अपने भाई हैं. वह या तो ब्राह्मण है या क्षत्रिय हैं जिन्होनें देश की मुस्लिमों से रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी थीं. लेकिन यह देश का दुर्भाग्य है कि हम अपने ही ब्राह्मण-क्षत्रिय भाइयों को पहचान ही नहीं पा रहे हैं.
(नोट- इस लेख में कहीं गयी सारी बातें डा. विजय सोनकर शास्त्री जी पुस्तक के आधार पर कहीं गयी हैं, आप इनकी पुस्तक हिन्दू चर्मकार जाति , हिन्दू खटिक जाति और हिन्दू वाल्मीकि जाति में पूरा सत्य देख सकते हैं)
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