Tuesday, 23 February 2016

छात्रों के दिमाग में देशद्रोही विचार रूपी जहर कैसे पनपा? कभी सोचा है आपने?
क्यों इतने सारे छात्र “भारत माता की जय” बोलने तक से हिचकिचाते हैं? आखिर किसने उनके दिमाग में ये निहायत-ही-घटिया विचार फैलाया की देश की प्रतिष्ठा और एकता से बढ़कर है छात्र राजनीती और अभिव्यक्ति की आज़ादी?
आखिर क्या कारण है कि ये छात्र (जिनपे कभी कश्मीरी पंडितों जैसा जुल्म नहीं हुआ और जिनकी शिक्षा पर भारत सरकार अँधा-ढूंढ पैसा खर्च कर रही है) कश्मीर तक पाकिस्तान को देने की बात का समर्थन करते हैं?
इसका केवल एक ही जवाब है – मार्क्सवाद। शायद आप में से बहुत से लोग, पहले से ही इस विचारधार से वाकिफ होंगे, जिसने केवल कुछ दशकों में दुनिया में कुछ लाख नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की बलि ली।
आज भी देश में सैकड़ों नहीं हज़ारों ऐसे प्राध्यापक, लेखक और इतिहासकार हैं जो पक्के मार्क्सवादी हैं और उनके लिए देश हित कभी भी प्राथमिक नहीं है। यही हैं वह लोग जिन्होंने लाखों युवाओं के दिल और दिमाग में जहर के बीज बोये हैं। दिल्ली में जो देश विरोधी नारे लगे, उसकी पृष्ठभूमि एक दो दिन में तैयार नहीं हुयी। ये तो बस एक छोटा सा नतीजा है एक बहुत बढ़ी भारत विरोधी साजिश का।
देखिये यह वीडियो जिसमें मार्क्सवादी सोच को सटीक तरीके से सामने रखा गया है। देखिये, समझिए और धीरे धीरे अपने आस पास के लोगों को समझाइये जो यहाँ बताया जा रहा है। परन्तु ध्यान रखिये, मार्क्सवादी सोच को देश से समूल उखाड़ने की घड़ी आ गई है। हम हमें प्रयास करने ही होंगे अन्यथा ये लोग देश में गृह-युद्ध जैसी स्तिथि पैदा करने के लिए भी जोर-शोर से आगे आएंगे!

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