करोड़ों का बिजनेस छोड़ गांव में सिखा रहे हैं खेती, US से पूरी की थी पढ़ाई
(साभार:भास्कर)
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श्रीगंगानगर(राजस्थान). मुंबई के श्यामलाल कॉलेज से बीटेक और कैलिफोर्निया की सैन जॉस यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रोनिक्स में मास्टर्स डिग्री हासिल करने के बाद श्रीगंगानगर के रणदीप सिंह कंग ने बिजनेस को चुना। क्यों गांव वालों को खेती सिखा रहा एक इंजीनियर...
- 2006 में वहां पहला डिपार्टमेंटल स्टोर खोला। फिर एक-एक कर तीन खोल लिए।
- सालाना करीब चार करोड़ रुपए का मुनाफा दे रहे थे। लेकिन एक बात रणदीप को परेशान करती रहती।
- गांव से या रिश्तेदारी से जब कभी मौत की खबर आती, कारण एक ही रहता, कैंसर।
- वे इसके कारणों के पीछे गए तो पता चला खेतों में अंधाधुंध पेस्टीसाइड्स का इस्तेमाल खेतों और फसलों को जहरीला बना रहा है।
- जमीन की प्राकृतिक उर्वरता खत्म हो रही है। रणदीप के अनुसार बरसों से लोग खेतों में पेस्टीसाइड और खाद के नाम पर जहर डाल रहे थे।
(साभार:भास्कर)
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श्रीगंगानगर(राजस्थान). मुंबई के श्यामलाल कॉलेज से बीटेक और कैलिफोर्निया की सैन जॉस यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रोनिक्स में मास्टर्स डिग्री हासिल करने के बाद श्रीगंगानगर के रणदीप सिंह कंग ने बिजनेस को चुना। क्यों गांव वालों को खेती सिखा रहा एक इंजीनियर...
- 2006 में वहां पहला डिपार्टमेंटल स्टोर खोला। फिर एक-एक कर तीन खोल लिए।
- सालाना करीब चार करोड़ रुपए का मुनाफा दे रहे थे। लेकिन एक बात रणदीप को परेशान करती रहती।
- गांव से या रिश्तेदारी से जब कभी मौत की खबर आती, कारण एक ही रहता, कैंसर।
- वे इसके कारणों के पीछे गए तो पता चला खेतों में अंधाधुंध पेस्टीसाइड्स का इस्तेमाल खेतों और फसलों को जहरीला बना रहा है।
- जमीन की प्राकृतिक उर्वरता खत्म हो रही है। रणदीप के अनुसार बरसों से लोग खेतों में पेस्टीसाइड और खाद के नाम पर जहर डाल रहे थे।
गांव लौटे, किसानों को प्रैक्टिकल फायदे दिखाए
पढ़ाई और बिजनेस के बाद रणदीप ने गांव के किसानों के लिए काम करने की ठान ली। 2012 में बिजनेस समेटकर श्रीगंगानगर आ गए। श्रीकरणपुर के अपने 100 बीघा के खेत को प्रयोगशाला बनाया। गोमूत्र इकठ्ठा करते। उसमें आक, नीम, तूंबा, लहसुन उबाल कर बोतलों में भरते और किसानों को समझाने निकल पड़ते। किसानों ने फायदे देखे तो रणदीप की बात को मान गए।
पढ़ाई और बिजनेस के बाद रणदीप ने गांव के किसानों के लिए काम करने की ठान ली। 2012 में बिजनेस समेटकर श्रीगंगानगर आ गए। श्रीकरणपुर के अपने 100 बीघा के खेत को प्रयोगशाला बनाया। गोमूत्र इकठ्ठा करते। उसमें आक, नीम, तूंबा, लहसुन उबाल कर बोतलों में भरते और किसानों को समझाने निकल पड़ते। किसानों ने फायदे देखे तो रणदीप की बात को मान गए।
कंपनियां प्रॉडक्ट खरीदने को बेताब
रणदीप कहते हैं- किसानों तक मैंने गोमूत्र उर्वरक पहुंचाया है। उन्होंने उपयोग किया है और नतीजे सामने आ रहे हैं। यह बात पेस्टीसाइड व उर्वरक कंपनियों तक पहुंचनी ही थी। फिर क्या, कंपनियों ने उनसे संपर्क करना शुरू किया। कंपनियां 50 रुपए प्रति लीटर तक के मुनाफे पर उनका पेस्टीसाइड खरीदने को तैयार हैं लेकिन रणदीप कहते हैं- मेरा उद्देश्य कुछ और है। पैसा तो मैं अमेरिका में इससे कहीं ज्यादा कमा ही रहा था। अब उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ अपने देश के किसानों के लिए खुशहाली लाना है और मैं इस पर ध्यान दे रहा हूं।
रणदीप कहते हैं- किसानों तक मैंने गोमूत्र उर्वरक पहुंचाया है। उन्होंने उपयोग किया है और नतीजे सामने आ रहे हैं। यह बात पेस्टीसाइड व उर्वरक कंपनियों तक पहुंचनी ही थी। फिर क्या, कंपनियों ने उनसे संपर्क करना शुरू किया। कंपनियां 50 रुपए प्रति लीटर तक के मुनाफे पर उनका पेस्टीसाइड खरीदने को तैयार हैं लेकिन रणदीप कहते हैं- मेरा उद्देश्य कुछ और है। पैसा तो मैं अमेरिका में इससे कहीं ज्यादा कमा ही रहा था। अब उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ अपने देश के किसानों के लिए खुशहाली लाना है और मैं इस पर ध्यान दे रहा हूं।
गोमूत्र में 16 पाेषण पर पौधों को चाहिए सिर्फ 14
रणदीप के अनुसार गोमूत्र में 16 प्रकार के न्यूट्रशंस होते हैं जबकि पौधों को 14 प्रकार के ही चाहिए होते हैं। गोमूत्र फंगस और दीमक को खत्म करता है और पोषण बढ़ाता है। इसके बाद किसी प्रकार की खाद की जरूरत नहीं होती।
फिर, कृत्रिम पेस्टीसाइड्स डाले गए खेत में जहां 2-3 दिन में पानी देने की जरूरत होती है वहीं गोमूत्र पेस्टीसाइड्स वाले खेत में 7-8 दिन से पानी देना पड़ता है। इस कसरत का एक पहलू और है। रणदीप अब एक गौशाला से प्रतिदिन 500 लीटर गोमूत्र 5 रुपए लीटर के भाव से खरीद रहे हैं। इससे उस गौशाला को दान पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं रही।
रणदीप के अनुसार गोमूत्र में 16 प्रकार के न्यूट्रशंस होते हैं जबकि पौधों को 14 प्रकार के ही चाहिए होते हैं। गोमूत्र फंगस और दीमक को खत्म करता है और पोषण बढ़ाता है। इसके बाद किसी प्रकार की खाद की जरूरत नहीं होती।
फिर, कृत्रिम पेस्टीसाइड्स डाले गए खेत में जहां 2-3 दिन में पानी देने की जरूरत होती है वहीं गोमूत्र पेस्टीसाइड्स वाले खेत में 7-8 दिन से पानी देना पड़ता है। इस कसरत का एक पहलू और है। रणदीप अब एक गौशाला से प्रतिदिन 500 लीटर गोमूत्र 5 रुपए लीटर के भाव से खरीद रहे हैं। इससे उस गौशाला को दान पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं रही।
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