दलितों को भड़काने एवं रोहित वेमुला के समर्थन में सर्वाधिक "छातीकूट" करने में वामपंथी हैं. अब चार माह पहले रोहित वेमुला द्वारा लिखित यह पोस्ट पढ़िए... कैसे रोहित ने "हिज़ हाईनेस सीताराम येचुरी" को लताड़ा है.
रोहित लिखता है कि, "जब ब्राह्मण येचुरी से पूछा गया कि पिछले 51 वर्षों से CPM के पोलित ब्यूरो में कोई दलित क्यों नहीं है? तो येचुरी का जवाब था कि "जब हमें योग्य दलित व्यक्ति मिल जाएगा तब हम उसे पोलित ब्यूरो में ले लेंगे". (वामपंथ और प्रगतिशीलता का दोगलापन इसी में है, कि यही लोग चीख-चीखकर पूछते हैं कि संघ का अध्यक्ष दलित क्यों नहीं है? और जब भाजपा ने बंगारू लक्ष्मण जैसे सरल ह्रदय दलित को पार्टी अध्यक्ष बनवाया, तो इन्होंने वासना के पुजारी तरुण तेजपाल जैसे मीडियाई गुलामों के माध्यम से उन्हें फँसाने का कुकर्म भी कर डाला.).
तात्पर्य यह है कि वास्तव में रोहित वेमुला वामपंथियों के दोगले व्यवहार से बुरी तरह तंग आ चुका था. वह समझ गया था कि वामपंथी लोग दलितों को "यूज़" कर रहे हैं, इसीलिए नौ दिनों तक अनशन करने के बावजूद कोई वामपंथी उसे देखने तक नहीं आया, क्योंकि वे इंतज़ार कर रहे थे कि कब रोहित निराश होकर मरे, और ये लोग ओवैसी के साथ मिलकर उसकी लाश नोचने पहुँच जाएँ....
सुरेश चिपलूनकर जी की वाल से
तात्पर्य यह है कि वास्तव में रोहित वेमुला वामपंथियों के दोगले व्यवहार से बुरी तरह तंग आ चुका था. वह समझ गया था कि वामपंथी लोग दलितों को "यूज़" कर रहे हैं, इसीलिए नौ दिनों तक अनशन करने के बावजूद कोई वामपंथी उसे देखने तक नहीं आया, क्योंकि वे इंतज़ार कर रहे थे कि कब रोहित निराश होकर मरे, और ये लोग ओवैसी के साथ मिलकर उसकी लाश नोचने पहुँच जाएँ....
सुरेश चिपलूनकर जी की वाल से
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