Wednesday 17 June 2015

sanskar -aug

एकबार आजाद,भगत सिंह ,यशपाल ,राजगुरू गुप्त बैठक कर दिल्ली में वायसराय की ट्रेन को उड़ाने की रणनीति बना रहे थे .आजाद ने आगाह किया कि ध्यान रहे अंग्रेज सरकार ने हर तरफ अपने मुखबीर छोड़ रखे हैं .पकड़े जाने पर गम्भीर यातनाओं को सहने के लिए हमे तैयार रहना चाहिए.
यातनाओं के बारे में सुनकर राजगुरू कांप गये .वे वहां से उठकर पास के कमरे में गये .कमरे मे चाय बनने के लिए अंगीठी जल रही थी .उन्होने लोहे की बनी संडासी आग मे डाल दी.जब संडासी लाल अंगार हो गयी तो उन्होने उसे अपने सीने से लगा लिया .असहनीय पीड़ा के बाद भी उनके मुंह से उफ तक नही निकला.
राजगुरू ने चाय बनाई और उसे लेकर कमरे में पहुंचे .चन्द्रशेखर ने उनकी छाती जली हुई देखी तो उन्हे सीने से लगा लिये और बोले ,अरे तु तो लोहे का बना है .तू यातनाओं के आगे कुछ नही उगलेगा....
ऐसे थे हमारे वीर क्रान्तिकारी...सच्चे.हीरो
जिन्हे भूल टीवी पर ठुमकने वालों को हम हीरो कहते हैं.
इन वीर शहीदों को शत् शत् नमन
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