Saturday 17 October 2015

महाभारत कोई काल्पनिक घटना नहीं, सच साबित करते हैं ये 16 तथ्य

महाभारत को भारत का इतिहास कहा जाता है. इतिहास का मतलब होता है जो घटित हुआ हो. अगर ये कोई काल्पनिक घटना होती तो इसे लिखने वाले इसे महाकाव्य के बजाए कथा कहते, न कि इसे घटित घटना कहा जाता.

राज-वंश

महाभारत कथा की शुरुआत राजा ‘मनु’ से होती है और इस वंश के 50 से ज़्यादा राजाओं के किस्से इसमें लिखे हैं. राजा पांडु और धृत्रराष्ट भी इसी वंश के थे. अगर ये कोई काल्पनिक घटना होती तो इसके लेखक पूरे वंश के बारे में लिखने के बजाए सिर्फ 5 या 10 राजाओं के बारे में लिखते.

कलयुग का सच

कहा जाता है कि श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश महाभारत युद्ध के दौरान दिया था, जिसमे कलयुग (जिसे आज का वक़्त कहा जाता है) का सारा बखान है. आज जो घटित हो रहा है वो गीता में पहले से लिखा है, ये कोई काल्पनिक घटना नहीं हो सकती.

द्वारका शहर

श्री कृष्ण द्वारका के राजा थे और महाभारत के अनुसार ये शहर जलमग्न हो गया था. पुरातत्व विभाग को गुजरात के पास समुद्र के नीचे एक पूरा शहर मिला है जिसे महाभारत काल का ही बताया जा रहा है. भगवान श्री कृष्ण की नगरी को एक समपर्ण राज बताया जाता था. द्वारका के बारे में कहा जाता है कि वहां रहने वालों को छोड़ कर समुद्र ने इस पूरे शहर को अपने अंदर समा लिया था. समुद्र में मिले अवषेश ये साबित करते हैं कि वो शहर श्री कृष्ण का द्वारका ही है.

आज के शहर तब के देश

महाभारत में भारत के 35 से ज़्यादा शहरों के बारे में लिखा है जो आज भी हमारे बीच हैं. पुरातत्व विभाग को इस बात के कई प्रमाण भी मिले हैं. भारत और उसके आस-पास के कई देशों का महाभारत में विवरण है. हस्तीनापुर आज उत्तर प्रदेश राज्य का मेरठ जिला है, वहीं गांधार आज अफ़गानिस्तान का शहर कांधार है, साथ ही इन्द्रप्रस्थ आज भारत की राजधानी दिल्ली है, श्री कृष्ण का द्वारका भी आज गुजरात राज्य का एक शहर है.

रामायण और महाभारत में समानता

रामायण और महाभारत दो अलग-अलग वक़्त में दो अलग-अगल लोगों द्वारा लिखी गई है और दोनों किताबों में लिखी गई बात के कई प्रमाण मिले हैं. अगर ये किताबें काल्पनिक होतीं तो इन दोनों किताबों में इतनी समानता नहीं होतीं.

श्री कृष्ण का वंश

इतिहास के पन्नों में चंद्रगुप्त मौर्य के बारे में लिखा गया है. कहा जाता है कि चंद्रगुप्त मौर्य भगवान कृष्ण वंश के 138वें राजा थे. चंद्रगुप्त मौर्य के होने की सच्चाई तो सब मानते हैं ऐसे में श्री कृष्ण के होने का ये भी एक प्रमाण है.

भारत देश

दुष्यंत और शकुंतला के बेटे भरत के नाम पर भारत देश का नाम पड़ा और भरत के वंश का विवरण महाभारत में है. पांडु और धृतराष्ट इन्हीं के वंशज हैं. भारत देश का होना ही महाभारत का सबसे बड़ा प्रमाण है.

छंद में लिखी महाभारत

ये बोलना कि महाभारत कोई काल्पनिक घटना है बिलकुल गलत होगा, क्योंकि इसमे लिखी हर प्रथा सही है. यहां तक कि इसमे लिखे गणित के सिद्धांत भी काव्य के रूप में हैं, जो शत-प्रतिशत सही हैं.

अलिखित तथ्य

पुराणों में मौर्य काल का विवरण है साथ ही ग्रीस के इतिहास का भी विवरण पुराणों में लिखा है, जो सच है. महाभारत के बारे में भी इन पुराणों में लिखा है जो इसके होने का प्रमाण देते हैं.

महाभारत काल में परमाणु बम का विवरण

कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध में कई शक्तिशाली हथियारों का प्रयोग हुआ था, जिसमे परमाणु बम भी थे. इन हथियारों में ब्रहमांड की ताकत थी और धरती के खात्मे की क्षमता. पहले संस्कृत के विद्वानों को ये बात समझ नहीं आई थी, लोकिन जापान पर हुए परमाणु हमले ने इस बात का भी राज़ खोल दिया.

विद्वानों ने भी माना

पहले परमाणु बम का इस्तेमाल करने वाले Oppenheimer से जब एक छात्र ने पूछा कि आपको पहला परमाणु बम इस्तेमाल कर के कैसा लगा तो उन्होंने बोला कि ‘आज के समय का पहला परमाणु बम इस्तेमाल करना अच्छा था’. Oppenheimer भी ये मानते थे कि महाभारत काल में भारत के पास ये शक्ति थी.

जरासंध का अखाड़ा

महाभारत के एक महत्वपूर्ण पात्र जरासंध थे, जिसका वध भीम के हाथों हुआ था. जरासंध मगध देश का राजा थे. पुरातत्व विभाग को बिहार के एक जिले राजगीर में जरासंध का अखाड़ा मिला है, जहां भीम ने उसे मौत के घाट उतारा था. आज पर्यटकों के बीच ये आकर्षण का केंद्र है.

अंग देश

कुंती के सबसे बड़े पुत्र कर्ण अंग देश के राजा थे, जिसे तोहफ़े के रूप में दुर्योधन ने कर्ण को दिया था. उस वक्त का अंग देश आज के उत्तर प्रदेश का गोंडा जिला है. साथ ही जरासंध द्वारा भी कर्ण को तोहफ़े के रूप में अपने राज्य के कुछ हिस्से देने की बात कही गई है, जो आज बिहार का मुंगेर और भागलपुर जिला है.

घटोत्कच का शरीर

पुरातत्व विभाग को कुरूक्षेत्र के पास महाभारत काल का एक बहुत बड़ा कंकाल मिला है, जिसे घटोत्कच का कंकाल कहा जा रहा है. घटोत्कच, भीम और हिडिम्बा के पुत्र थे. महाभारत में घटोत्कच के आकार का वही विवरण है जिस आकार का पुरातत्व विभाग को कंकाल मिला है.

कुरुक्षेत्र

महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में हुआ था. हरियाणा के इस जिले में वो मैदान आज भी है जहां ये युद्ध हुआ था. कहा जाता है कि युद्ध में बहे खून की वजह से यहां की मिट्टी का रंग लाल हुआ था. आज भी वहां की मिट्टी का रंग लाल है.

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