Saturday 3 October 2015

बिसहाड़ा ,दादरी 'काण्ड' की असलियत ।।


बिसहाड़ा ,दादरी 'काण्ड' की असलियत ।।

मुरदा मुल्ला जिसका नाम इखलाक है और वेल्डिंग का काम करता है उसने रात पौने 10 बजे एक काली पिन्नी गाँव के बाहर कूड़े पर फेंक दी ।।

वही दूसरी और कुछ लड़के अपने एक मित्र महेंद्र फौजी जो ट्रेनिंग की छुट्टी काटकर फ़ौज़ में वापिस जाने वाला था उसकी ख़ुशी के शराब पी रहे थे ।।

अचानक से एक कुतिया उस पिन्नी को उठा लायी और उसमे से हड्डियां बाहर आ गयी ।उन लड़को ने देखा तो लंबी हड्डिया देखकर अचरज हुआ ।और पूरी पिन्नी को उठाकर डॉक्टर के पास ले गए ।उसने कटा हुआ कान देखकर बताया की ये गाय की बछिया है ।

बस गुस्से का पार न रहा पर चुपचाप वो लड़के हर मुसलमान के घर में तलाशी लेने चले गए ।।जब इखलाक के घर में गए तो उसने मना किया और कहा की ईद वाला सब सामान ख़त्म कल आना ।जबरदस्ती करके लड़के अंदर घुस गए ।और फ्रिज खोल दिया जिसमे उसकी खाल और 3 भगोना भरके मांस मिला ।बस तभी उस फौजी ने बाप बेटे को गाँव बीच में ले जाकर बाँध ऐसे मारा जैसे धोबी कपडे पीटता है ।जिससे उनकी हालत गंभीर हो गयी ।और नॉएडा कैलाश हॉस्पिटल में मौत भी।

ये बात तो मेरी उसी गाँव के आदमी से सुनी हुई है पर फौजी के सूबेदार के अनुसार वो उस वक्त ड्यूटी पर था ।जय हो
अब मुद्दे वाली बात ।इखलाक का बड़ा बेटा नेवी में है और मुम्बई में पोस्टिंग है।

आज़म सूअर खान ने उसके लिए पर्सनल विमान लेने भेजा दिया था और गाँव के 8 लड़कों के नाम रिपोर्ट हुई है ।
जिसके लिए राजपुतों के 60 गाँव की महापंचायत है की या तो नाम वापिस लो या हर गाँव के मुसलमानो को परिणाम भुगतने होने ।

National thermal power corporation की चौकी और थाना जारचा फूंक दिया गया है ।। आरएसएस और बजरँग दल ने झंडा गाड़ दिया है पर विहिप मौके से फरार ।
गाँव के 35 मुसलमानों के घर को गावँ के गरीबो को सौंप दिए गए हैं ।

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 एक अकाट्य और विकट सत्य यह भी है कि मीडिया के घोड़े सिर्फ दिल्ली-एनसीआर की सीमाओं में ही दौड़ते हैं..... सीमा समाप्ति का बोर्ड पढ़कर ये वहीँ पैर घसीटकर हिनहिनाते हुए रुक जाते हैं.....
कहने को ये सवा सौ करोड़ दर्शकों का प्रतिनिधित्व करते हैं, हर सवाल देशवासियों के हवाले से पूछते हैं लेकिन ये परिक्रमा एनसीआर की धुरी पर ही करते हैं....
ये 'दादरी' भी इसका ही नतीजा है नोएडा में मीडिया के दफ्तर हैं और ग्रेटर नोएडा की ये घटना है.... लंच टाइम के एक घंटे में एक 'मानवीय' और 'संवेदना' से भरपूर स्टोरी तैयार हो जाती है.....
मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय, पोंडिचेरी, ओडिशा, असम, लद्दाख संभवत इनके लिए इस देश के हिस्से ही नहीं हैं, और न ही वहां से कोई खबरें होती हैं.....
इस देश का बेहद भला तब होगा अगर दिल्ली - एनसीआर से सभी मीडिया दफ्तर 'इंदिरा पॉइंट' शिफ्ट कर दिए जाएँ तथा इनको खबरें दिखाने के लिए स्पेक्ट्रम की तरह राज्यों का आवंटन कर दिया जाए...






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