Monday 5 October 2015

भारत की सीमाओं की रक्षा करेगी ये स्वदेशी रिमोट से चलने वाली मशीनगन ,,
जम्मू-कश्मीर के लाइन ऑफ कंट्रोल से सटे संवेदनशील इलाकों में घुसपैठ से निपटने के लिए सेना रिमोट कंट्रोल से चलने वाली मशीन गन लगाने जा रही है। ये काम इस साल के आखिर तक पूरा हो जाएगा। इस खास मशीन गन के पहले प्रोटोटाइप का अखनूर सेक्टर में टेस्ट चल रहा है। टेस्ट के नतीजे पॉजिटिव रहे हैं।
कैसे काम करेगी गन
>देश में ही डेवलप की गई डिवाइस में इन्फ्रारेड सेंसर्स का इस्तेमाल किया गया है। इनके जरिए बॉर्डर की बाड़ से 80 मीटर की दूरी तक किसी तरह के मूवमेंट को भांपा जा सकता है।
>ये सेंसर ऑटोमैटिक गनों से जुड़े होते हैं। अगर कोई मूवमेंट होती है तो अलार्म बज उठेगा और गन मूवमेंट वाली दिशा में तन जाएगी। यह गन 150 डिग्री तक ऊपर, नीचे या चारों ओर घूम सकती है।
>डिवाइस में ही लगे नाइट विजन कैमरों से लाइव इमेज मिलेंगे, जिससे बंकरों में बैठे कमांडर अपने कम्प्यूटर पर देख सकेंगे।
>मशीन को ऑपरेट कर रहे शख्स को अगर लगता है कि मूवमेंट करने वाली चीज से खतरा है तो उसे बस एक बटन प्रेस करना है। इसके बाद, ऑटोमैटिक गन उसे निशाने पर ले लेगी।
सेना ने बताया बेहद फायदेमंद
सीमाई इलाकों में तैनात जवानों पर गश्त करने के अलावा घुसपैठ की वारदात को भांपने की जिम्मेदारी भी होती है। लेफ्टिनेंट जनरल आरआर निंबोरकर ने बताया कि रिमोट से चलने वाली गन से सीमाई इलाकों की सुरक्षा में जवानों को काफी मदद मिलेगी। निंबोरकर 16 कॉर्प्स से जुड़े हुए हैं। यह सेना जम्मू-कश्मीर के 224 किमी लंबे विवादास्पद बॉर्डर की सुरक्षा करती है। निंबोरकर ने बताया कि ये गन उन इलाकों में बेहद अहम साबित होगी, जहां जवानों का पहुंचना या गश्त करना बेहद मुश्किल होता है। ऐसी ही जगहों से घुसपैठिए देश की सीमाओं में दाखिल होने की कोशिश करते हैं।
घुसपैठ की घटनाएं घटीं
बीते साल जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की 70 कोशिशें हुई, जिसमें 65 आतंकी देश की सीमाओं में दाखिल होने में कामयाब रहे, जबकि 136 को पीछे धकेल दिया गया। 2013 में ऐसी 91 कोशिशें हुईं, जिसमें 97 आतंकी घुसपैठ करने में कामयाब हुए थे।

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