Sunday 15 November 2015

बेरहम तानाशाह था गुरुहंता औरंगजेब
प्रस्तुति: फरहाना ताज
बचपन में जिस उस्ताद ने औरंगजेब को पढाया, उनका नाम मुल्ला सालह था। उसने शिक्षा समाप्त करने के अंतिम दिन अपनी तलवार और कुरान औरंगजेब को सौंपते हुए कहा, ‘तुम्हें एक हाथ में तलवार लेकर काफिरों को सफाया करना और दूसरे हाथ में कुरान लेकर सारी दुनिया में खुदा का कानून लागू करना है। शरियत लागू करना है। और यदि आपने हिन्दुस्तान में शरियत लागू कर दिया तो यह देश जन्नत बन जाएगा और आपको जन्नत की 72 हूरें यही मिल जाएंगी।’
‘और कोई अंतिम सबक!’
‘खुदा के रास्ते में यदि बाप, भाई भी रोड़ा अटकाए तो उन्हें भी माफ नहीं करना....’
‘अच्छी बात है।’
बात आई गई हो गई। अपने बाप को कैद करके और भाई को मारकर औरंगजेब तानाशाह लुटेरा बन गया।
बुढ़ापे में उसके गुरु के बहुत बुरे दिन गुजरने लगे तो एक दिन औरंगजेब के दरबार में पहुंचा, ‘शहंशाह मैंने आपको पढाया है, लेकिन आपने मेरी गुरु दक्षिणा आज तक नहीं दी। अब तो आपने यह धरती जन्नत भी बना दी।’
‘हमने यह धरती जन्नत बना दी, लेकिन हमें 72 हूरें नहीं मिली। हा 70 बेगम तो हमारी हैं, दो की कमी है। आपकी बेगम और बेटी बहुत सुंदर हैं, हम उन्हें अपने हरम में लाकर 72 हूरों की कमी पूरी करेंगे।’
जैसे ही गुरु ने विरोध किया, औरंगजेब ने उसकी धड शरीर से अलग कर दी और उसकी बेगम और बेटी को अपने हरम में ले लाया।
---औरंगजेब के दरबार में रहने वाले फ्रांसीसी यात्राी बर्नियर के यात्रा वृतांत के आधार पर
चित्र: औरंगजेब जन्नत की हूरों के संग....उनके जमाने की पेंटिंग...गुरु का रेखाचित्र एक पेंटिंग की नकल के आधार पर ही....
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और इसी तानाशाह के नाम पर रोड को बदल दिया गया तो लोग सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गए और आज वही लोग देश की आंतरिक समस्या को लेकर संयुक्त राष्ट्र भी पहुंच गए....

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