Thursday 19 November 2015

अब सिर्फ और सिर्फ राष्ट्रवाद

इतिहास लेखन में 3 प्रकार के दृष्टिकोण पाये जाते हैं :

1.साम्राज्यवादी दृष्टिकोण
2.राष्ट्रवादी दृष्टिकोण
3.मार्क्सवादी दृष्टिकोण 

साम्राज्यवादी दृष्टिकोण अंग्रेजो की महानता बताता है और कहता है की भारत को सभ्य हमने बनाया। राष्ट्रवादी दृष्टिकोण हर क्षेत्र में भारतीय वीरो की गाथा गाता है जैसे वीर शिवाजी और महाराणा प्रताप और तिलक आदिजबकि मार्क्सवादी दृष्टिकोण हर क्षेत्र में अर्थ को मूल मानता है ।

अब आते हैं मुद्दे पर
ये वही मार्क्सवादी लेखक हैं जिन्होंने पृथ्वी राज चौहान की जगह गोरी को ,वीर शिवजी की जगह अकबर को और महाराणा प्रताप की जगह किसी और मुस्लिम शासक की महानता सिद्ध की ।
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इतना ही नही आधुनिक भारतीय इतिहास के स्वतन्त्रता संघर्ष के तरीके को इसने 3भागो में बांटा है ।
वो तीन तरीके ये रहे .........
उदारवादी,उग्रवादी और क्रन्तिकारी आतंकवादी ।
दादाभाई नौरोजी को उदारवादी, बाल गंगाधर तिलक को उग्रवादी, और भगत सिंह को आतंकवादी साबित किया इसने यही नही भारतीय इतिहास संगठन पर भी मार्क्सवादियों का कब्जा हो गया और उन्होंने भारतीय इतिहास को अपने ढंग से लिखा ।
अब 2014 में सत्ता परिवर्तन हुआ और मोदी जी ने सबसे पहले यही स्वच्छता अभियान चलाया और इरफ़ान हबीब और रोमिला थापर जैसे लेखको को 'बाहर' किया क्योकि अब "राष्ट्रवादी विचारधारा" को प्रमुखता देनी है और उन नायको को आगे करना है जो कांग्रेस और वामपंथ के कुकर्मो के कारण दब गये थे .... अब एक तरफ पेट पर लात और दूसरी तरफ इतिहास के वास्तविक स्वरुप के सामने आने की आशंका से घबराये इन इतिहासकारो को धर्म निरपेक्षता खतरे में दिखाई दे रही है ।
हमारे राष्ट्रीय हीरो को आतंकवादी कहने वाले इन लेखको को बीच बाजार में नंगा करेगा मोदीजी ।
और इसी कड़ी का एक भाग है सुभाष चन्द्र बोस के दस्तावेज को उजागर करना ।
करवट ले रहा है भारत ।।
.अब सिर्फ और सिर्फ राष्ट्रवाद ।।। ...(copy)

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