Wednesday 18 November 2015


इंडियन ईसाई पादरी ने मुझे दिखाया था....

मुसलमान-ईसाइयों को आरक्षण दिया नहीं कि हिन्दू अल्पसंख्यक हुआ समझो! कल पीएम मोदी ने सही कहा था कि सोनिया-लालू-नीतीश दलित-पिछड़े के आरक्षण कोटा को काट कर सम्प्रदाय विशेष को देना चाहते हैं। इसमें एक नाम मुलायम सिंह का भी जोड़ लीजिए जो मुसलमानों को आरक्षण देने के पैरोकार हैं।
एक बात समझ लीजिए, असली खेल, हिन्दुओं को कमजोर करना
जिस दिन मुसलमान और ईसाई को आरक्षण दे दिया जाएगा, उसी दिन धर्मांतरण की प्रक्रिया बहुत तेज हो जाएगी और हिन्दू समाज अल्पसंख्यक होना शुरू हो जाएगा! असली खेल, हिन्दुओं को कमजोर करना और धर्म के अनुसार एक मुश्त वोट करने वाले मुस्लिम-ईसाई को मजबूत करना ही इस देश की अधिकांश राजनीतिक दलों का मकसद है। इसके पीछे अरब-वेटिकन की ताकत भी फंडिंग के जरिए जुटी हुई है। आरक्षण का लाभ छूट जाने के भय से बहुत सारे दलित व पिछड़ी जातियों का धर्मांतरण करने में मुसलमान व ईसाई असफल हो रहे हैं।
 ईसाई मिशनरियां लगातार मुसलमान और ईसाई दलित- पिछड़ों को आरक्षण देने का अभियान ही इसीलिए चला रही हैं कि इसकी व्यवस्था होते ही वे धर्मांतरण को तेज कर सकें। ईसाइयों ने बकायदा इसके लिए विजन-२०२० बना रखा है, जिसे खुद एक इंडियन ईसाई पादरी ने मुझे दिखाया था। इनका लक्ष्य २०२० तक भारत की ११% जनसंख्या को ईसाई बनाने का है, इसलिए ही सोनिया गांधी की सरकार को केन्द्र में बैठाने का खेल खेला गया था। लेकिन चूंकि मुसलमान-ईसाई को आरक्षण देने के लिए संविधान संशोधन करना होगा और उसके लिए २/३ बहुमत चाहिए, जो सोनिया के 'पेटिकोट' सरकार व उनके समर्थकों के पास नहीं था, इसलिए हिन्दू समाज बच गया। 
हिन्दू समाज जितना टूटेगा, सेक्यूलर गिद्धों का उतना ही पेट भरेगा!
आज आरक्षण का दूसरा और सकारात्मक पहलू यह है कि यह मुसलमान व ईसाई के बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के लक्ष्य को पूरा करने में सबसे बड़ा अवरोध बना हुआ है। सोनिया और उसके पेटिकोट पार्टनर लालू-नीतीश-मुलायम वोट बैंक के लिए दलित-पिछड़े का आरक्षण काट कर मुसलमान-ईसाई को देना चाहते हैं, यह सच है। हिन्दू समाज जितना टूटेगा, सेक्यूलर गिद्धों का उतना ही पेट भरेगा! वैसे भी जातिवाद हिन्दू समाज की कुरीतियाँ हैं, इस्लाम-ईसाईयत तो समानता का दंभ भरते रहे हैं। 
तलवार व तोप के जरिए भारत में हुए धर्मांतरण पर मार्क्स-मसीह-मोहम्मदवादी इतिहासकर यही कह कर तो पर्दा डालते रहे हैं कि पश्चिम से आए ये धर्म समानतावादी थे और जातिवाद की कुरीतियों में जकड़े हिन्दू समाज का दलित व पिछड़ा तबका इन्हें देखते ही लपक पड़ा! आज यह झूठ खेलकर प्रकट हो चुका है।
 आपने कभी सोचा कि तथाकथित समानता के दंभ से पीड़ित इस्लाम व ईसाइत क्यों हिन्दू धर्म की जातिवादी कुरीतियों में कूदने को तड़प रहे हैं? क्यों इस देश के पूर्वज, राम-कृष्ण और इस देश के मौर्य-गुप्त काल के इतिहास को अपना न मानने वाले मसीह-मोहम्मदवादी इस देश की जातिप्रथा को अपना मानने को बेचैन हैं? कभी नहीं सोचा तो सोचिए!
 जिस आरक्षण व्यवस्था को कई लोग गाली देते रहते हैं, संयोग देखिए अनजाने ही वह आपको इस देश में बहुसंख्यक बनाए रखने में मददगार है! जब तक धर्मांतरण विरोधी कानून नहीं बनता, तब तक यह आरक्षण ही हमें बहुसंख्यक बनाए हुए है, वर्ना दुनिया में संख्या को लेकर होड़ कर रहे इस्लाम व ईसाइत की गिद्ध दृष्टि हिन्दुओं का मांस नोचने के लिए हर पल तत्पर हैं! 
संजय खंडेलवाल, डायरेक्टर, लेक्ज़ीप्रो(lexzeepro) इलेक्ट्रिकल्स

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