Saturday 15 September 2018

लोग ये प्रश्न उठाते रहे हैं कि आखिर प्रधानमंत्री की हत्या का षडयंत्र रचने वाले वामपंथी आतंकियों के पीछे फंडिंग व् सहयोग किसका-किसका हो सकता है जो उन्होंने इतनी निर्भीकता के संग इतना बड़ा कदम उठाने का निर्णय ले लिया,
अब चिट्ठियों में इन वामपंथी आतंकियों के "फ्रेंड्स इन कांग्रेस" का तो नाम आ ही गया था, किन्तु ऐसा नहीं है कि इन वामपंथी आतंकियों के सहयोगी केवल हमारे देश के अंदर बैठे लोग ही हैं, वास्तव में इनके तार देश-विदेश में फैले हुए हैं जहां से इन्हें सहयोग मिलता रहा है और आज भी मिल रहा है,
अब जरा इस समाचार पर भी ध्यान दीजिए की आखिर ये कौन से 9 यूरोपियन MP हैं जो भारत से हजारों किलोमीटर दूर बैठकर, भारत के प्रधानमंत्री की हत्या का षडयंत्र रचने वाले वामपंथी आतंकियों को छुड़वाने हेतु यूरोपियन यूनियन पर दबाव डाल रहे हैं कि यूरोपियन यूनियन भारत संग साइन किये सभी एग्रीमेंट तब तक के लिए रद्द करे जब तक भारत सरकार इन वामपंथी आतंकियों को छोड़ नहीं देती,
यूरोप के ही कई हिस्सों में गम्भीर ह्यूमन रायट्स वायलेशन के समाचार आते रहते हैं, इसके अतिरिक्त चीन, सऊदी अरब जैसे देश हैं जिनके साथ यूरोपियन यूनियन के अच्छे खासे व्यपारिक सम्बंध हैं और इन देशों में मानवाधिकारों कि स्थिति से पूरा विश्व परिचित है किंतु कभी इन 9 यूरोपियन MP ने उस ओर ऊँगली नहीं उठायी, हाँ संवेदना जगी तो भारत के इन वामपंथी आतंकियों के लिए जो भारत के प्रधानमंत्री की हत्या का षडयंत्र रचने के आरोप में मात्र हॉउस अरेस्ट हैं,
इन यूरोपियन MP और इन वामपंथी आतंकियों के बीच का गठजोड़ व् रिश्ता न केवल रहस्यमयी है अपितु संदिग्ध भी है जो कई प्रश्न खड़े भी करता है और कई प्रश्नों का उत्तर भी स्वतः ही दे देता है।
मेरा ऐसा मानना है कि यदि आप किसी एक घटना से सम्बंधित अथवा उसके परिप्रेक्ष्य व् उसके बाद उससे जुड़े हुए अन्य घटनाक्रमों को एक साथ रखकर विचार करें तो ऐसे विषयों के निष्कर्ष पर पहुंचना व् उत्तर ढूँढना सरल हो जाता है, यह समाचार भी उसी कसौटी पर खरा उतरने वाला समाचार है जो काफी कुछ कह गया है।
:🇮🇳Rohan Sharma🇮🇳

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