Thursday 6 September 2018

. शानदार असम के बारे में ... 
आपने असम के अनेक नाम सुने होंगे उनमे से जो Surname होता है उसके बारे में रोचक तथ्य ये हैं ... जब 12वीं सदी में अहोम राज्य की स्थापना हुई तो वहां राजा और पदाधिकारियों के जो पद होते थे उसके अनुसार ही आज के Surname हैं ..
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बारबोरा - सरकार में अधिकारी यानी आज के IAS बराबर
बरुआ - सरकार में सचिव यानि कि शायद आज का PCS अफसर
शूलधार बरुआ - सरकार की अति महत्वपूर्ण नीतियों का निर्धारण करने वाला यानी आज के प्रमुख सचिव जैसा
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डेका - 10 सैनिकों की कमान का अगुआ
बोरा - 20 सैनिकों ने कमान का अगुआ
सैकिया - 100 सैनिकों ने कमान का अगुआ
हज़ारिका - 1000 सैनिकों ने कमान का अगुआ
राजखोवा - 3000 सैनिकों ने कमान का अगुआ
फुकन - 6000 सैनिकों ने कमान का अगुआ
बोरफुकन - पूरे सेना का मुखिया यानी सेनापति अर्थात Chief Commander of Army.
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अहोम के महान सेनापति लचित यानी लचित बोरफूकन की कहानी हमने एक बार बताई थी ... लाचित बोरफूकन ही एकमात्र ऐसे थे जिन्होंने बरुआ, शूलधार बरुआ और फिर बोरफूकन की पदवी को सुशोभित किया था ... अहोम राज्य कभी किसी का गुलाम नहीं रहा ..
बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि हमेशा अहोम राज्य पर सारे मुग़ल आक्रांताओं जैसे खिलज़ी, तुगलक, अब्दाली, लोधी, बंगाल सुल्तान आदि सबने आक्रमण किया था लेकिन सबको कूच बेहार से लेकर गौहाटी के बीच हरा के मार पीट के भेज दिया गया था ... इतिहास की पुस्तकों में अहोम राज्य से इन सबके हार और लात खाने की खूबसूरती को छिपा लिया गया है ...
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1669 में औरंगज़ेब ने 40 राजपूत राजाओं को 70000 हज़ार पैदल, 2000 घुड़सवार, तोपखाना आदि लेकर राजपूत राजा राम सिंह ने नेतृत्व में विशाल सेना अहोम पर कब्ज़ा करने भेजा था ..... राम सिंह के कहने पर सिख गुरु तेग बहादुर सिंह भी गए थे लेकिन उन्होंने और सिक्खों ने लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया था ... लाचित बोरफूकन ने मात्र 10000 सैनिकों के साथ छापामार युद्ध शैली में ब्रम्हपुत्र नदी के बीचोबीच घेर लिया था और उन सबको मार भगाया था .. मुग़ल सेना को लाचित बोरफूकन ने बंगाल के पुरुलिया तक खदेड़ दिया था .... इसको सरायघाट का युद्ध बोला जाता है और बीच नदी लड़ी जाने वाली पहली लड़ाई थी जिसमे तोपों को अहोम सेना ने नदी में पटरे पर उतार के लड़ा था जिसकी मुग़ल सेना ने कल्पना भी नहीं किया था ... इसके बाद कभी किसी ने अहोम के तरफ आँख उठा के नहीं देखा था ..
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"The Battle of Saraighat" विश्व के कई Defence Studies के कोर्स के पाठ्यक्रम का हिस्सा है ... भारत में जो NDA कैडेट सबसे अच्छा होता है और मैडल जीतता है उसको "लचित बोरफूकन" अवार्ड दिया जाता है .

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