Monday 10 September 2018

जम्मू के #कठुआ में #केरल के #पादरी फादर थॉमस एंथोनी ने चर्च में 19 बच्चों का #बलात्कार किया है और वो पिछले 4 वर्षों से इन बच्चों का बलात्कार कर रहा था, जिस हॉस्टल में ये बच्चे रहते थे वहां #चर्च भी स्थित है, पीड़ित बच्चे बहुत ही निर्धन परिवार से आते हैं, पुलिस ने छापा मारकर बच्चों को बचा लिया है पादरी को पकड़ लिया है, परंतु इस विषय पर सबसे विचित्र बात मेन स्ट्रीम #मीडिया, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, सेक्युलर, लिबरल, बुद्धिजीवी, प्रगतिशील समाज की उदासीनता है,
आप सबको याद होगा कि कुछ माह पूर्व इसी #जम्मू के कठुआ क्षेत्र में #आसिफा नामक #लड़की की एक नाबालिग मुस्लिम लड़के द्वारा की गई हत्या को बलात्कार बताकर निकट स्थित #मंदिर के #पुजारी पर झूठा आरोप लगाया गया था, और बड़े-बड़े साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों, लिब्रलों, फिल्म स्टारों, वामपंथियों, #ईसाई संस्थाओं, #इस्लामिक संगठनों, नेताओं और विपक्षी दलों ने मिलकर इस मुद्दे पर देश के हिंदुओं को बहुत कोसा था विश्वभर में एक एजेंडा के अंतर्गत दुष्प्रचार कर #भारत और #हिंदुओं को बदनाम करने का पूरा प्रयास किया था, इन सभी लोगों ने हाथों में तख्तियां पकड़कर फोटो खिंचवाई थी जिसपर लिख लिखकर #हिंदू धर्मस्थान हिंदूधर्म और हिंदुओं की आस्था और संस्कृति पर हमला किया गया था तथा हिंदू देवी देवताओं के अश्लील, अभद्र चित्र और कार्टून भी बनाकर सोशल मीडिया पर सर्कुलेट किए जा रहे थे
किंतु आज वास्तव में एक चर्च के अंदर एक ईसाई पादरी ने 19 नाबालिक छोटे-छोटे बच्चों का बलात्कार किया है, परंतु वह सभी लोग जो कठुआ की पिछली घटना पर उद्वेलित व् आंदोलित होकर न्याय मांगने के नाम पर हिंदुओं और हिंदू धर्म के विरुद्ध आक्रमण की मुद्रा में आए हुए थे आज यह सभी लोग 19 बच्चों के ईसाई पादरी द्वारा किए गए बलात्कार और यौन शोषण पर मौन साधे बैठे हैं,
इतनी बड़ी घटना पर इन लोगों का मौन इनकी निष्पक्षता, न्याय के प्रति संवेदनशीलता, और इनकी नैतिकता के दोहरे मापदंड दर्शाता है, तथा यह भी इंगित करता है कि इन लोगों का उद्देश्य किसी की आवाज उठाना या न्याय की मांग करना नहीं था अपितु इस देश की बहुसंख्यक आबादी, हिंदुओं के धर्म,उनकी मान्यताओं, उनकी आस्था पर हमला कर उन्हें लज्जित करना और उन्हें एक हीन भावना से ग्रस्त कर नीचा दिखाना और विश्व भर में उनकी छवि कलंकित करना था।
हमारे देश की आम जनता को विचार करना होगा कि यह फिल्मी सितारे, लेखक, पत्रकार, मीडिया मुगल, NGO ब्रिगेड, तथाकथित मानवअधिकार कार्यकर्ता, वामपंथी, विभिन्न राजनीतिक दल उनके नेता, ईसाई संस्थाएं और मुस्लिम संगठन, सेकुलर लोग केवल ऐसी ही घटना पर प्रतिक्रिया क्यों देते हैं जहां हिंदुओं की आस्था पर आक्रमण किया जा सके, जबकि पीड़ित हिंदू पक्ष होता है तो यह सब उस पर विरोध करना तो दूर की बात प्रतिक्रिया तक नहीं देते,
भारत की जनता को इनके हिंदू विरोधी चरित्र व् विषाक्त मानसिकता को समझना होगा अन्यथा यह लोग अपने हिंदू विरोधी व् राष्ट्रविरोधी एजेंडा में सफलता प्राप्त कर लेंगे,
इन लोगों के  दोहरे चरित्र और असली चेहरे को उजागर करने का एक बड़ा ही सरल सा तरीका है जो हम और आप जैसे जागरुक नागरिक प्रयोग कर सकते हैं और वह है सोशल मीडिया पर चाहे Facebook हो या Twitter हो इन्हें घटना का उल्लेख कर, टैग कर, मेंशन कर, इनके पेजेस पर जाकर इनसे प्रश्न पूछे, चुप्पी का कारण पूछें और इनके दोहरे आचरण का उल्लेख करें जिससे कि अपरिपक्व जनता को इनका पाखंड देख सके।
:🇮🇳Rohan Sharma🇮🇳

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