Saturday 2 August 2014

ऊधम सिंह भारत की आज़ादी की लड़ाई में अहम योगदान करने वाले पंजाब के महान क्रान्तिकारी थे। अमर शहीद ऊधम सिंह ने 13 अप्रैल, 1919 ई. को पंजाब में हुए भीषण जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड के उत्तरदायी माइकल ओ'डायर की लंदन में गोली मारकर हत्या करके निर्दोष भारतीय लोगों की मौत का बदला लिया था।
जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड ने ऊधमसिंह को हिलाकर रख दिया था और उन्होंने अंग्रेज़ों से इसका बदला लेने की ठान ली थी । सन् 1934 में ऊधमसिंह लंदन गये और वहाँ 9 एल्डर स्ट्रीट कमर्शियल रोड़ पर रहने लगे। वहाँ उन्होंने यात्रा के उद्देश्य से एक कार ख़रीदी और अपना मिशन पूरा करने के लिए छह गोलियों वाली एक रिवाल्वर भी ख़रीद ली। ऊधमसिंह को अपने सैकड़ों भाई बहनों की मौत का बदला लेने का मौक़ा 1940 में मिला। जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड के 21 साल बाद 13 मार्च 1940 को 'रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी' की लंदन के 'कॉक्सटन हॉल' में बैठक थी जहाँ माइकल ओ'डायर भी वक्ताओं में से एक था। बैठक के बाद दीवार के पीछे से मोर्चा संभालते हुए ऊधमसिंह ने माइकल ओ'डायर पर गोलियाँ चला दीं। दो गोलियाँ डायर को लगीं, जिससे उसकी तुरन्त मौत हो गई। ऊधमसिंह ने वहाँ से भागने की कोशिश नहीं की और स्वयं को गिरफ़्तार करा दिया। उन पर मुक़दमा चला। अपने बयान में ऊधमसिंह ने कहा- 'मैंने डायर को मारा, क्योंकि वह इसी के लायक़ था। मैंने ब्रिटिश राज्य में अपने देशवासियों की दुर्दशा देखी है। मेरा कर्तव्य था कि मैं देश के लिए कुछ करूं। मुझे मरने का डर नहीं है। देश के लिए कुछ करके जवानी में मरना चाहिए।'
4 जून 1940 को ऊधमसिंह को डायर की हत्या का दोषी ठहराया गया और 31 जुलाई 1940 को उन्हें 'पेंटनविले जेल' में फाँसी दे दी गयी। इस प्रकार यह क्रांतिकारी भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में अमर हो गया। 31 जुलाई 1974 को ब्रिटेन ने उनके अवशेष भारत को सौंप दिए थे। ऊधमसिंह की अस्थियाँ सम्मान सहित भारत लायी गईं। उनके गाँव में उनकी समाधि बनी हुई है।

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