किसी गाँव में रहनेवाला एक छोटा लड़काअपने
दोस्तों के साथ
गंगा नदी के पार मेला देखने गया। शाम को वापस
लौटते समय जब
सभी दोस्त नदी किनारे पहुंचे तो लड़के ने नाव के
किराये के लिए
जेब में हाथ डाला। जेब में एक पाई भी नहीं थी।
लड़का वहीं ठहर
गया। उसने अपने दोस्तों से कहा कि वह और
थोड़ी देर
मेला देखेगा। वह नहीं चाहता था कि उसे अपने
दोस्तों से नाव
का किराया लेना पड़े। उसका स्वाभिमान उसे
इसकी अनुमति नहीं दे रहा था।
उसके दोस्त नाव मेंबैठकर नदी पार चले गए। जब
उनकी नाव
आँखों से ओझल हो गई तब लड़के ने अपने कपड़े
उतारकर उन्हें सर
पर लपेट लिया और नदी में उतर गया। उस समय
नदी उफान पर
थी। बड़े-से-बड़ा तैराक भी आधे मील चौड़े पाट को पार
करने
की हिम्मत नहीं कर सकता था। पास खड़े मल्लाहों ने
भी लड़के
को रोकने की कोशिश की।
दोस्तों के साथ
गंगा नदी के पार मेला देखने गया। शाम को वापस
लौटते समय जब
सभी दोस्त नदी किनारे पहुंचे तो लड़के ने नाव के
किराये के लिए
जेब में हाथ डाला। जेब में एक पाई भी नहीं थी।
लड़का वहीं ठहर
गया। उसने अपने दोस्तों से कहा कि वह और
थोड़ी देर
मेला देखेगा। वह नहीं चाहता था कि उसे अपने
दोस्तों से नाव
का किराया लेना पड़े। उसका स्वाभिमान उसे
इसकी अनुमति नहीं दे रहा था।
उसके दोस्त नाव मेंबैठकर नदी पार चले गए। जब
उनकी नाव
आँखों से ओझल हो गई तब लड़के ने अपने कपड़े
उतारकर उन्हें सर
पर लपेट लिया और नदी में उतर गया। उस समय
नदी उफान पर
थी। बड़े-से-बड़ा तैराक भी आधे मील चौड़े पाट को पार
करने
की हिम्मत नहीं कर सकता था। पास खड़े मल्लाहों ने
भी लड़के
को रोकने की कोशिश की।
उस लड़के ने किसी की न सुनी और किसी भी खतरे
की परवाह न
करते हुए वह नदी में तैरने लगा। पानी का बहाव तेज़
था और
नदी भी काफी गहरी थी। रास्ते में एक नाव वाले ने
उसे
अपनी नाव में सवार होने के लिए कहा लेकिन वह
लड़कारुका नहीं,
तैरता गया। कुछ देर बाद वह सकुशल दूसरी ओर पहुँच
गया।
की परवाह न
करते हुए वह नदी में तैरने लगा। पानी का बहाव तेज़
था और
नदी भी काफी गहरी थी। रास्ते में एक नाव वाले ने
उसे
अपनी नाव में सवार होने के लिए कहा लेकिन वह
लड़कारुका नहीं,
तैरता गया। कुछ देर बाद वह सकुशल दूसरी ओर पहुँच
गया।
उस लड़के का नाम था ‘लालबहादुर शास्त्री’.
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लाल बहादुर शास्त्री जी उन दिनों गृह मंत्री थे !!! उनके निवास स्थान का दरवाजा एक ओर जनपथ रोड की ओर था और दूसरी ओर अकबर रोड की ओर !!! एक दिन 2 श्रमिक स्त्रियाँ उधर से सर पर घास के बोझ उधर से निकल रही थी तो उन्होने देखा की गार्ड उन्हें धमका रहा है !!!
!!~~!!! शास्त्री जी बरामदे मैं कुछ शासकीय कार्य कर रहे थे !!! गार्ड की बात सुनी तो तुरंत बाहर आए और पूछा क्या बात है , क्यों धमका रहे हो इन्हे ??? गार्ड ने सारी बात बताई !!! शास्त्री जी कहा तुम देख नहीं रहे हो इनके सर पर कितना बड़ा बोझ है, निकट के मार्ग से जाना चाहती है तो तुम्हें क्या आपत्ति है !!!! क्यों नहीं जाने देते उन्हें ? जहाँ सहृदयता के प्रति सम्मान का भाव हो, वहाँ सारी औपचारिकताएं एक तरफ करके वही करना चाहिए, जो परिधि में आता हो !!
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कोई कहे की की हिन्दू मूर्ती पूजा क्यों करते हैं तो उन्हें बता दें मूर्ती पूजा का रहस्य :-
स्वामी विवेकानंद को एक राजा ने अपने भवन में बुलाया और बोला, "तुम हिन्दू
लोग मूर्ती की पूजा करते हो!
लोग मूर्ती की पूजा करते हो!
मिट्टी, पीतल, पत्थर की मूर्ती का.! पर मैं ये सब नही मानता। ये तो केवल एक पदार्थ है।"
उस राजा के सिंहासन के पीछे किसी आदमी की तस्वीर लगी थी। विवेकानंद जी कि नजर उस तस्वीर पर पड़ी।
विवेकानंद जी ने राजा से पूछा, "राजा जी, ये तस्वीर किसकी है?"
राजा बोला, "मेरे पिताजी की।"
राजा बोला, "मेरे पिताजी की।"
स्वामी जी बोले, "उस तस्वीर को अपने
हाथ में लीजिये।"
राजा तस्वीर को हाथ मे ले लेता है।
हाथ में लीजिये।"
राजा तस्वीर को हाथ मे ले लेता है।
स्वामी जी राजा से : "अब आप उस तस्वीर पर थूकिए!"
राजा : "ये आप क्या बोल रहे हैं
स्वामी जी?
स्वामी जी : "मैंने कहा उस तस्वीर पर थूकिए..!"
राजा (क्रोध से) : "स्वामी जी, आप होश मे तो हैं ना? मैं ये काम नही कर सकता।"
राजा : "ये आप क्या बोल रहे हैं
स्वामी जी?
स्वामी जी : "मैंने कहा उस तस्वीर पर थूकिए..!"
राजा (क्रोध से) : "स्वामी जी, आप होश मे तो हैं ना? मैं ये काम नही कर सकता।"
स्वामी जी बोले, "क्यों? ये तस्वीर तो केवल एक कागज का टुकड़ा है, और जिस पर कूछ रंग लगा है। इसमे ना तो जान है, ना आवाज, ना तो ये सुन सकता है, और ना ही कूछ बोल सकता है।"
और स्वामी जी बोलते गए, "इसमें
ना ही हड्डी है और ना प्राण। फिर भी आप इस पर कभी थूक नही सकते। क्योंकि आप इसमे अपने पिता का स्वरूप देखते हो।
ना ही हड्डी है और ना प्राण। फिर भी आप इस पर कभी थूक नही सकते। क्योंकि आप इसमे अपने पिता का स्वरूप देखते हो।
और आप इस तस्वीर का अनादर करना अपने पिता का अनादर करना ही समझते हो।"
थोड़े मौन के बाद स्वामी जी आगे कहाँ,
"वैसे ही, हम हिंदू भी उन पत्थर, मिट्टी,
या धातु की पूजा भगवान का स्वरूप मान
कर करते हैं।
"वैसे ही, हम हिंदू भी उन पत्थर, मिट्टी,
या धातु की पूजा भगवान का स्वरूप मान
कर करते हैं।
भगवान तो कण-कण मे है, पर एक
आधार मानने के लिए और मन को एकाग्र करने के लिए हम मूर्ती पूजा करते हैं।"
आधार मानने के लिए और मन को एकाग्र करने के लिए हम मूर्ती पूजा करते हैं।"
स्वामी जी की बात सुनकर राजा ने स्वामी जी से क्षमा माँगी।
अच्छा लगे तो शेयर करें।।
सुबोध राठी
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फोटो : मेडागास्कर में बाउबड का पेड़)
प्राकृति के नज़ारे भला किसे अच्छे नहीं लगते। मनुष्य और पेड़ों के बीच गहरा संबंध है। अगर कहें कि पेड़ हमें जीवन के साथ ढेर सारी खुशियां देती हैं तो गलत नहीं होगा। दुनिया में कुछ अमेजिंग पेड़ हैं, जिनकी प्राकृति अन्य पेड़ों की तुलना में बिल्कुल अलग है। कुछ पेड़ रंग बिखेरते हुए दिखाई देते हैं तो कुछ पेड़ पर लटकी हरी बारीक बेल, पेड़ को अलग ही सौंदर्य दे देती है।
तस्वीर में दिखाई देने वाला बाउबड (Baobab) का पेड़ पश्चिमी मेडागास्कर में पाया जाता है।ये पेड़ यहां प्राकृतिक स्मारक के रूप में मशहूर हैं। इस इलाके में बाउबड पेड़ों को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। जबकि इन पेड़ों की प्रकृति साइंटिस्टो के बायोलॉजिकल स्टडी के दायरे में भी है। बता दें कि चिकने तने वाले ये पेड़ 800 वर्ष पुराने हैं।
आगे की स्लाइड्स में हम आपको कुछ ऐसे ही पेड़ों की तस्वीरें दिखाएंगे जिनकी तस्वीर तो सुन्दर है ही इन पेड़ों की प्रकृति भी अन्य पेड़ों से अलग है। इन पेड़ों की खूबसूरती देखकर आपको लगेगा कि ये किसी पेंटर के सधे हाथों से बनीं पेंटिंग्स हैं।
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