Wednesday, 6 August 2014

!!आओ ज्ञान बढ़ाये !! 
जानिये केसे बने भारत के "वाल्ट डिज्नी" प्राण लाल शर्मा 
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.............. आज सबसे उदास दिन हे मेरे लिए …..मेरे जीवन में भरी बदलाब लाने बाले कॉमिक की दुनिया के सरताज बादशाह प्राण जी का निधन होगया .. 
...........भारत के मशहूर कार्टूनिस्ट प्राण का 76 साल की उम्र में कल रात निधन हो गया। वह कैंसर से पीड़ित थे। पिछले दस दिनों से वे आईसीयू में भर्ती थे, जहां मंगलवार रात उन्होंने अंतिम सांस ली।
...............प्राण ने 1960 से कार्टून बनाने की शुरुआत की थी। उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित होने वाले अख़बार मिलाप से कार्टून बनाने की शुरुआत की शौभाग्य से भारत के बिभाजन के बाद उनका आगमन ग्वालियर हुआ था और उनकी पहचान ग्वालियर से ही थी बाद में बो मुंबई से फाईन आर्ट में M.A. करने चले गए थे
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.........दुनिया को चाचा चौधरी, साबू, पिंकी, जैसे केरेक्टर देने के अलावा कई राजनीतिक विषयों पर भी उनके कार्टून खूब चर्चित रहे। कार्टूनिस्ट प्राण का जन्म 15 अगस्त, 1938 को लाहौर के पास कसूर में हुआ था। फिर विभाजन के बाद कुछ समय ग्वालियर के काटा ,...बचपन में जब हम सुनते थे की प्राण जी ग्वालियर के हे तो गर्व महशूस होता था
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.........सबसे पहले उन्होंने लोटपोट नामक पत्रिका के लिए ये पात्र गढ़े थे ....
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.........चाचा चौधरी के अलावा श्रीमती जी, पिंकी, बिल्लू, चन्नी चाची जैसे कैरेक्टर प्राण साहब ने ही बनाए थे और उनके ये कैरेक्टर डॉयमंड पॉकेट बुक्स के जरिये घर-घर तक पहुंचे।
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डायमंड कामिक्स ... क्योंकि
चुन्नू पढता डायमंड कामिक्स ... मुन्नी पढ़ती डायमंड कामिक्स ....
मज़ेदार ये डायमंड कामिक्स ... डायमंड कामिक्स ... डायमंड कामिक्स
उनकी मशहूर लाईन थी ...'चाचा चौधरी का दिमाग़ कंप्यूटर से भी तेज़ चलता है' और 'साबू को ग़ुस्सा आता है तो ज्वालामुखी फटता है।'
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आज में जो हु बो प्राण साब की दें हे बचपन में यदि किताबो से लगाब पैदा किया तो इन्ही कोमिक ने ….पढ़ना सिखाया बरना माता जी की सिखायत रहती थी एक जगह टिक के नहीं बैठता हे ..फिर जो कोमिक की लत पढ़ी तो घंटो एक ही जगह बैठे रहते थे ..इसका नतीजा हुआ की कोर्स की किताबो के अलाबा अन्य किताबो का शौक भी लगा जिससे ज्ञान बढ़ता गया …….लोग आज फेसबुक पर पूछते हे की भैया इतनी बाते कैसे लिख लेते हो ..तो उसकी जड़ में प्राण साह का नाम हे
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...........स्कूल की पॉकेट मनी हो या मामा चाचा की दी हुई गिफ्ट के पैसे ..सब चाचा चौधरी की किताब पर खर्च ….इतंजार रहता था की नया अंक में क्या आएगा ….जब साबू को प्राण साब ने मार दिया एक अंक में तो भैया ..खाना पीना बंद …...हड़ताल करदी दो दिन तक रोते रहे …..बहुत कुछ हे ..क्या लिखू मन की उदास हे …
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90 के दसक में कंप्यूटर शब्द से पहला परिचय प्राण साहब ने ही कराया था कि "चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज़ चलता है". ये बात इन कोमिक्स में करीब नब्बे के दशक से दर्शाई गयी है, जब कंप्यूटर आम इस्तेमाल में नहीं होते थे और हिन्दुस्तान में तो आम जनता ने ने कंप्यूटर देखे भी नहीं थे।
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चाचा चौधरी की बीवी का नाम 'चन्नी चाची 'है। इनके कोई बच्चे नहीं हैं पर इसी कॉमिक दुनिया के पात्र, 'बिल्लू' और 'पिंकी' चाचा चौधरी के बच्चों सामान ही हैं। चाचा चौधरी का एक कुत्ता भी है, 'राकेट' नाम का. इसके बारे में कॉमिक-सीरीज में लिखा गया है की "चाचा चौधरी का कुत्ता स्लर्प स्लर्प दूध पीता है". ये कुत्ता किसी ख़ास नस्ल का नहीं है, पर फिर भी कई बार चाचा चौधरी के काम आया है। चाचा चौधरी के पास एक ट्रक भी है जिसका नाम डगडग है।
..बैध चक्रमाचार्य जो जड़ी बूटी से सबको ठीक करदेते थे उनकी बनायीं जड़ी बूटी से राका नाम का पात्र जन्मा था जो कभी मर नहीं सकता था ......
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मुझे पहला दुःख तब हुआ था जब उन्होंने एक लेख लिखा था ......कम्पुटर से तेज़ दिमाग को बनाने बाला कम्पुटर से हारा ..........उनका मतलब था की इस कम्पुटर के युग में अब उनकी पत्रिका की बिक्री लगभग शून्य हो चुकी थी ..उन्होंने अन्य तकनिकी माध्यम से उसे खड़ा करने की कोसीस भी की थी मगर इस सफल नहीं हुए ...
भारत के पहले और एक मात्र वाल्ट डिज्नी को मेरा और मेरी कलम से .....भावभीनी श्रधांजलि ....

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