Thursday 21 August 2014

गुलाब के नाम पर न जाने कितनी कविताएं पढ़ी होंगी आपने। गुलाब के रंग-बिरंगे फूल सिर्फ ड्रॉइंगरूम में फूलदान पर ही अच्छे नहीं लगते, बल्कि इसकी पंखुड़ियां भी बड़े काम की हैं। गुलाब जल का इस्तेमाल फेस मास्क में भी होता है और यह खाने को भी लज्जतदार बनाता है। गुलाब विटामिन ए, बी 3, सी, डी और ई से भरपूर है। इसके अलावा इसमें कैल्शियम, जिंक और आयरन की भी मात्र काफी होती है।

* गुलाब को यों ही फूलों का फूल नहीं कहा जाता। दिखने में यह फूल बेहद खूबसूरत है और इसकी हर पंखुड़ी में समाए हैं अनगिनत गुण। त्वचा को सुंदर बनाने से लेकर शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने में गुलाब कितने काम आता है ।
* सुबह-सबेरे अगर खाली पेट गुलाबी गुलाब की दो कच्ची पंखुड़ियां खा ली जाएं, तो दिन भर ताजगी बनी रहती है। वह इसलिए क्योंकि गुलाब बेहद अच्छा ब्लड प्यूरिफायर है।
* अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर, ब्रोंकाइटिस, डायरिया, कफ, फीवर, हाजमे की गड़बड़ी में गुलाब का सेवन बेहद उपयोगी होता है।
* गुलाब की पंखुड़ियों का इस्तेमाल चाय बनाने में भी होता है। इससे शरीर में जमा अतिरिक्त टॉक्सिन निकल जाता है। पंखुड़ियों को उबाल कर इसका पानी ठंडा कर पीने पर तनाव से राहत मिलती है और मांसपेशियों की अकड़न दूर होती है।
* एक शीशी में ग्लिसरीन, नीबू का रस और गुलाब जल को बराबर मात्रा में मिलाकर घोल बना लें। दो बूंद चेहरे पर मलें। त्वचा में नमी और चमक बनी रहेगी और त्वचा मखमली-मुलायम बन जाएगी।

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क्या आप जानते है ऐलुमिनियम के पात्रो में कुछ पकाकर खाना सबसे खतरनाक है और आधुनिक विज्ञान इसको मानता हैं।
यहाँ तक कि आयुर्वेद में भी ऐलुमिनियम के पात्र वर्जित हैं।

जिस पात्र में खाना पकाया जाता है, उसके तत्व खाने के साथ शरीर मे चले जाते है और क्योकि ऐलुमिनियम भारी धातू हैं इसलिये शरीर का ऐसक्रिटा सिस्टम इसको बाहर नहीं निकल पाता। ये अंदर ही इकट्ठा होता रहता हैं और बाद में टीबी और किडनी फ़ेल होने का कारण बनता हैं। आंकड़ों से पता चलता है जब से अंग्रेजों ने एल्युमिनियम के बर्तन भारत में भेजे हैं पेट के रोगों में बढ़ोत्तरी हुई है।

अंग्रेजों ने भगत सिंह, उधम सिंह, सुभाष चंद्र बोस जैसे जितने भी क्रांतिकारियों को अंग्रेजो ने जेल में डाला। उन सबको जानबुझ कर ऐलुमिनियम के पात्रो में खाना दिया जाता था, ताकि वे जल्दी मर जायें।

बड़े दुख की बात है आजादी के 64 साल बाद भी बाक़ी क़ानूनों की तरह ये कानून भी नहीं बदला नहीं गया हैं। आज भी देश की जेलो मे कैदियो को ऐलुमिनियम के पात्रो मे खाना दिया जाता है।

लेकिन आज हमने अपनी इच्छा से अपने शौक से इस प्रैशर कुकर को घर लाकर अपने मरने का इंतजाम खुद कर लिया हैं।

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बेल पत्र के औषधीय प्रयोग ----

- बेल पत्र के सेवन से शरीर में आहार के पोषक तत्व अधिकाधिक रूप से अवशोषित होने लगते है |
- मन एकाग्र रहता है और ध्यान केन्द्रित करने में सहायता मिलती है |
- इसके सेवन से शारीरिक वृद्धि होती है |
- इसके पत्तों का काढा पीने से ह्रदय मज़बूत होता है |
- बारिश के दिनों में अक्सर आँख आ जाती है यानी कंजक्टिवाईटीस हो जाता है . बेल पत्रों का रस आँखों में डालने से ; लेप करने से लाभ होता है |
- इसके पत्तों के १० ग्राम रस में १ ग्रा. काली मिर्च और १ ग्रा. सेंधा नमक मिला कर सुबह दोपहर और शाम में लेने से अजीर्ण में लाभ होता है |
- बेल पत्र , धनिया और सौंफ सामान मात्रा में ले कर कूटकर चूर्ण बना ले , शाम को १० -२० ग्रा. चूर्ण को १०० ग्रा. पानी में भिगो कर रखे , सुबह छानकर पिए | सुबह भिगोकर शाम को ले, इससे प्रमेह और प्रदर में लाभ होता है | शरीर की अत्याधिक गर्मी दूर होती है |
- बरसात के मौसम में होने वाले सर्दी , खांसी और बुखार के लिए बेल पत्र के रस में शहद मिलाकर ले |
- बेल के पत्तें पीसकर गुड मिलाकर गोलियां बनाकर रखे. इसे लेने से विषम ज्वर में लाभ होता है |
- दमा या अस्थमा के लिए बेल पत्तों का काढा लाभकारी है|
- सूखे हुए बेल पत्र धुप के साथ जलाने से वातावरण शुद्ध होता है|
- पेट के कीड़ें नष्ट करने के लिए बेल पत्र का रस लें|
- एक चम्मच रस पिलाने से बच्चों के दस्त तुरंत रुक जाते है |
- संधिवात में बेल पत्र गर्म कर बाँधने से लाभ मिलता है |
- महिलाओं में अधिक मासिक स्त्राव और श्वेत प्रदर के लिए और पुरुषों में धातुस्त्राव हो रोकने के लिए बेल पत्र और जीरा पीसकर दूध के साथ पीना चाहिए|

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मखाना ----
"मखाना" संस्कृत के दो शब्द मख व अन्न से बना है। मख का मतलब यज्ञ होता है। अर्थात यज्ञ में प्रयुक्त होने वाला अन्न। जीवन काल से लेकर मृत्यु के बाद भी मखाना मिथिलांचल वासियों से जुड़ा रहता है।मखाने की खेती पूरे मिथिलांचल में होती है।दरभंगा में उत्पन्न होने वाला मखाना उत्तम कोटि का माना जाता है।
मखाने कमल के बीजों की लाही है।मखाना को देवताओं का भोजन कहा गया | पूजा एवं हवन में भी यह काम आता है । इसे आर्गेनिक हर्बल भी कहते हैं । क्योंकि यह बिना किसी रासायनिक खाद या कीटनाशी के उपयोग के उगाया जाता है । आचार्य भावमिश्र (1500-1600) द्वारा रचित भाव प्रकाश निघंटु में इसे पद्मबीजाभ एवं पानीय फल कहा गया है । इसके अनुसार मखाना बल, वाजीकर एवं ग्राही है ।
- इसे प्रसव पूर्व एवं पश्चात आई कमज़ोरी दूर करने के लिए दूध में पकाकर खिलाते हैं ।
- यह सुपाच्य है तथा आहार के रूप में इसका उपयोग किया जाता है । बच्चों को इसे घी या तेल से बघार कर चिवड़े की तरह नमकीन बना कर दे । वे इसे बहुत पसंद करते है । इसे खीर में भी मिला कर दे सकते है । इसे पंजीरी में , लड्डू में भी मिलाया जा सकता है ।
- इसके औषधीय गुणों के चलते अमरीकन हर्बल फूड प्रोडक्ट एसोसिएशन द्वारा इसे क्लास वन फूड का दर्जा दिया गया है । यह जीर्ण अतिसार, ल्यूकोरिया, शुक्राणुओं की कमी आदि में उपयोगी है ।
- यह एन्टीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है। इसलिए श्वसनतंत्र, मूत्राशय एवं जननतंत्र से संबंधित बीमारियों में यह लाभप्रद होता है।
- मखाना का नियमित सेवन करने से ब्लड प्रेशर, कमर और घुटने के दर्द को नियंत्रित रहता है।
- प्रसवपूर्व एवं महिलाओं में आई कमजोरी को दूर करने के लिए दूध में पका कर दिया यह जाता है।
- मखाना में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, कैल्सियम, फास्फोरस के अलावा लौह, अम्ल तथा विटामिन बी भी पाया जाता है।
- तीनों मूसलियों के साथ फूल मखाना, ताल मखाना, सालमपंझा तथा कुछ अन्य वनस्पतियों को मिलाकर तैयार की गई औषधि जच्चा के लिए लाभकारी होती है।आयुर्वेदिक गुणों के आधार पर सफेद मूसली व शतावर को ठंडा, जबकि काली मूसली को गर्म माना जाता है। ठंडी प्रकृति की होने की वजह से सफेद मूसली का प्रयोग अकेले (जैसा पश्चिम में किया जाता है) करने की सलाह नहीं दी जाती, क्योंकि इससे पेशाब ज्यादा आती है और शरीर में पित्त ऊर्जा की कमी हो जाती है।
- दस्त लगने की समस्या उत्पन हो जाती है तो ताल मखाने का चुरा १ चम्मच दही के साथ खाए ।
- दरभंगा स्थित राष्ट्रीय मखाना शोध संस्थान के अनुसार भारत में लगभग 13,000 हैक्टर नमभूमि में मखानों की खेती होती है । यहां लगभग नब्बे हजार टन बीज पैदा होता है । देश का 80 प्रतिशत मखाना बिहार की नमभूमि से आता है । इसके अलावा इसकी छिटपुट खेती अलवर, पश्चिम बंगाल, असम, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर, मणीपुर और मध्यप्रदेश में भी की जाती है । परन्तु देश में तेजी से खत्म हो रही नमभूमि ने इसकी खेती और भविष्य में उपलब्धता पर सवाल खड़े कर दिए हैं । यदि स्वादिष्ट स्वास्थ्यवर्धक मखाना खाते रहना है तो देश की नमभूमियों को भी बचाना होगा । नमभूमियों को प्रकृति के गुर्दे भी कहते हैं और पता चलता है कि यहां उगा मखाना हमारी किडनियों की भी रक्षा करता है । तो बचाइए इन गुर्दो को ।
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जायफल ---

रसोई का मसाला जायफल गुणकारी औषधि भी है.आयुर्वेद में जायफल को वात एवं कफ नाशक बताया गया है। 
आमाशय के लिए उत्तेजक होने से आमाशय में पाचक रस बढ़ता है, जिससे भूख लगती है। आंतों में पहुंचकर वहां से गैस हटाता है। ज्यादा मात्रा में यह मादक प्रभाव करता है। इसका प्रभाव मस्तिष्क पर कपूर के समान होता है, जिससे चक्कर आना, प्रलाप आदि लक्षण प्रकट होते हैं। इससे कई बीमारियों में लाभ मिलता है तथा सौन्दर्य सम्बन्धी कई समस्याओं से भी निजात मिलती है।
- सुबह-सुबह खाली पेट आधा चम्मच जायफल चाटने से गैस्ट्रिक, सर्दी-खांसी की समस्या नहीं सताती है। पेट में दर्द होने पर चार से पांच बूंद जायफल का तेल चीनी के साथ लेने से आराम मिलता है।
- सर में बहुत तेज दर्द हो रहा हो तो बस जायफल को पानी में घिस कर लगाएं।
- सर्दी के मौसम के दुष्प्रभाव से बचने के लिए जायफल को थोड़ा सा खुरचिये, चुटकी भर कतरन को मुंह में रखकर चूसते रहिये। यह काम आप पूरे जाड़े भर एक या दो दिन के अंतराल पर करते रहिये। यह शरीर की स्वाभाविक गरमी की रक्षा करता है, इसलिए ठंड के मौसम में इसे जरूर प्रयोग करना चाहिए।
- आपको किन्हीं कारणों से भूख न लग रही हो तो चुटकी भर जायफल की कतरन चूसिये इससे पाचक रसों की वृद्धि होगी और भूख बढ़ेगी, भोजन भी अच्छे तरीके से पचेगा।
- दस्त आ रहे हों या पेट दर्द कर रहा हो तो जायफल को भून लीजिये और उसके चार हिस्से कर लीजिये एक हिस्सा मरीज को चूस कर खाने को कह दीजिये। सुबह शाम एक-एक हिस्सा खिलाएं।
- फालिज का प्रकोप जिन अंगों पर हो उन अंगों पर जायफल को पानी में घिसकर रोज लेप करना चाहिए, दो माह तक ऐसा करने से अंगों में जान आ जाने की संभावना देखी गयी है।
- प्रसव के बाद अगर कमर दर्द नहीं ख़त्म हो रहा है तो जायफल पानी में घिसकर कमर पे सुबह शाम लगाएं, एक सप्ताह में ही दर्द गायब हो जाएगा।
- फटी एडियों के लिए इसे महीन पीसकर बीवाइयों में भर दीजिये। 12-15 दिन में ही पैर भर जायेंगे।
- जायफल के चूर्ण को शहद के साथ खाने से ह्रदय मज़बूत होता है। पेट भी ठीक रहता है।
- अगर कान के पीछे कुछ ऎसी गांठ बन गयी हो जो छूने पर दर्द करती हो तो जायफल को पीस कर वहां लेप कीजिए जब तक गाठ ख़त्म न हो जाए, करते रहिये।
- अगर हैजे के रोगी को बार-बार प्यास लग रही है, तो जायफल को पानी में घिसकर उसे पिला दीजिये।
- जी मिचलाने की बीमारी भी जायफल को थोड़ा सा घिस कर पानी में मिला कर पीने से नष्ट हो जाती है।
- इसे थोडा सा घिसकर काजल की तरह आँख में लगाने से आँखों की ज्योति बढ़ जाती है और आँख की खुजली और धुंधलापन ख़त्म हो जाता है।
- यह शक्ति भी बढाता है।
- जायफल आवाज में सम्मोहन भी पैदा करता है।
- जायफल और काली मिर्च और लाल चन्दन को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की चमक बढ़ती है, मुहांसे ख़त्म होते हैं।
- किसी को अगर बार-बार पेशाब जाना पड़ता है तो उसे जायफल और सफ़ेद मूसली 2-2 ग्राम की मात्र में मिलाकर पानी से निगलवा दीजिये, दिन में एक बार, खाली पेट, 10 दिन लगातार।
- बच्चों को सर्दी-जुकाम हो जाए तो जायफल का चूर्ण और सोंठ का चूर्ण बराबर मात्रा में लीजिये फिर 3 चुटकी इस मिश्रण को गाय के घी में मिलाकर बच्चे को सुबह शाम चटायें।
- चेहरे पर या फिर त्वचा पर पड़ी झाईयों को हटाने के लिए आपको जायफल को पानी के साथ पत्थर पर घिसना चाहिए। घिसने के बाद इसका लेप बना लें और इस लेप का झाईयों की जगह पर इस्तेमाल करें, इससे आपकी त्वचा में निखार भी आएगा और झाईयों से भी निजात मिलेगी।
- चेहरे की झुर्रियां मिटाने के लिए आप जायफल को पीस कर उसका लेप बनाकर झुर्रियों पर एक महीने तक लगाएंगे तो आपको जल्द ही झुर्रियों से निजात मिलेगी।
- आंखों के नीचे काले घेरे हटाने के लिए रात को सोते समय रोजाना जायफल का लेप लगाएं और सूखने पर इसे धो लें। कुछ समय बाद काले घेरे हट जाएंगे।
- अनिंद्रा का स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और इसका त्वचा पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। त्वचा को तरोताजा रखने के लिए भी जायफल का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए आपको रोजाना जायफल का लेप अपनी त्वचा पर लगाना होगा। इससे अनिंद्रा की शिकायत भी दूर होगी और त्वचा भी तरोजाता रहेगी।
- कई बार त्वचा पर कुछ चोट के निशान रह जाते हैं तो कई बार त्वचा पर नील और इसी तरह के घाव पड़ जाते हैं। जायफल में सरसों का तेल मिलाकर मालिश करें। जहां भी आपकी त्वचा पर पुराने निशान हैं रोजाना मालिश से कुछ ही समय में वे हल्के होने लगेंगे। जायफल से मालिश से रक्त का संचार भी होगा और शरीर में चुस्ती-फुर्ती भी बनी रहेगी।
- जायफल के लेप के बजाय जायफल के तेल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
- दांत में दर्द होने पर जायफल का तेल रुई पर लगाकर दर्द वाले दांत या दाढ़ पर रखें, दर्द तुरंत ठीक हो जाएगा। अगर दांत में कीड़े लगे हैं तो वे भी मर जाएंगे।
- पेट में दर्द हो तो जायफल के तेल की 2-3 बूंदें एक बताशे में टपकाएं और खा लें। जल्द ही आराम आ जाएगा।
- जायफल को पानी में पकाकर उस पानी से गरारे करें। मुंह के छाले ठीक होंगे, गले की सूजन भी जाती रहेगी।
- जायफल को कच्चे दूध में घिसकर चेहरें पर सुबह और रात में लगाएं। मुंहासे ठीक हो जाएंगे और चेहरे निखारेगा।
- एक चुटकी जायफल पाउडर दूध में मिला कर लेने से सर्दी का असर ठीक हो जाता है। इसे सर्दी में प्रयोग करने से सर्दी नहीं लगती।
- सरसों का तेल और जायफल का तेल 4:1 की मात्रा में मिलाकर रख लें। इस तेल से दिन में 2-3 बार शरीर की मालिश करें। जोड़ों का दर्द, सूजन, मोच आदि में राहत मिलेगी। इसकी मालिश से शरीर में गर्मी आती है, चुस्ती फुर्ती आती है और पसीने के रूप में विकार निकल जाता है।
- जायफल, सौंठ और जीरे को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को भोजन करने से पहले पानी के साथ लें। गैस और अफारा की परेशानी नहीं होगी।
- दस जायफल लेकर देशी घी में अच्छी तरह सेंक लें। उसे पीसकर छान लें। अब इसमें दो कप गेहूं का आटा मिलाकर घी में फिर सेकें। इसमें शक्कर मिलाकर रख लें। रोजाना सुबह खाली पेट इस मिश्रण को एक चम्मच खाएं, बवासीर से छुटकारा मिल जाएगा।
- नीबू के रस में जायफल घिसकर सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करने से गैस और कब्ज की तकलीफ दूर होती है।
- दूध पाचन : शिशु का दूध छुड़ाकर ऊपर का दूध पिलाने पर यदि दूध पचता न हो तो दूध में आधा पानी मिलाकर, इसमें एक जायफल डालकर उबालें। इस दूध को थोडा ठण्डा करके कुनकुना गर्म, चम्मच कटोरी से शिशु को पिलाएँ, यह दूध शिशु को हजम हो जाएगा।
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अनानास (Pineapple) के लाभ --
इन सब लाभों के लिए अनानास ताजा होना आवश्यक है। टीन के डिब्बों में मिलने वाला अनानास का रस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
अनानास के गूदे की अपेक्षा रस ज्यादा लाभदायी होता है और इसके छोटे-छोटे टुकड़े करके कपड़े से निकाले गये रस में पौष्टिक तत्त्व विशेष पाये जाते हैं। जूसर द्वारा निकाले गये रस में इन तत्त्वों की कमी पायी जाती है, साथ ही यह पचने में भारी हो जाता है। फल काटने के बाद या इसका रस निकाल के तुरंत उपयोग कर लेना चाहिए। इसमें पेप्सिन के सदृश एक ब्रोमेलिन नामक तत्त्व पाया जाता है जो औषधीय गुणों से सम्पन्न है।
सभी प्रयोगों में अनानास के रस की मात्रा 100 से 150 मि.ली.। उम्र-अनुसार रस की मात्रा कम ज्यादा करें।
- अनानास पाचक तत्त्वों से भरपूर, शरीर को शीघ्र ही ताजगी देने वाला, हृदय व मस्तिष्क को शक्ति देने वाला, कृमिनाशक, स्फूर्तिदायी फल है।
- यह वर्ण में निखार लाता है।
- गर्मी में इसके उपयोग से ताजगी व ठंडक मिलती है।
- अनानास के रस में प्रोटीनयुक्त पदार्थों को पचाने की क्षमता है। - यह आँतों को सशक्त बनाता है।
- अनानास शरीर में बनने वाले अनावश्यक तथा विषैले पदार्थों को बाहर निकालकर शारीरिक शक्ति में वृद्धि करता है।
- हृदय शक्ति बढ़ाने के लिएः अनानास का रस पीना लाभदायक है। यह हृदय और जिगर (लीवर) की गर्मी को दूर करने उन्हें शक्ति व ठंडक देता है।
- छाती में दर्द, भोजन के बाद पेटदर्द होता हो तो भोजन के पहले अनानास के 25-50 मि.ली. रस में अदरक का रस एक चौथाई चम्मच तथा एक चुटकी पिसा हुआ अजवायन डालकर पीने से 7 दिनों में लाभ होता है।
- अजीर्णः अनानास की फाँक में काला नमक व काली मिर्च डालकर खाने से अजीर्ण दूर होता है।
- पाचन में वृद्धिः भोजन से पूर्व या भोजन के साथ अनानास के पके हुए फल पर काला नमक, पिसा जीरा और काली मिर्च लगाकर सेवन करने अथवा एक गिलास ताजे रस में एक-एक चुटकी इन चूर्णों को डालकर चुसकी लेकर पीने से उदर-रोग, वायु विकार, अजीर्ण, पेटदर्द आदि तकलीफों में लाभ होता है। इससे गरिष्ठ पदार्थों का पाचन आसानी से हो जाता है।
- अनानास व सेवफल के 50-50 मि.ली. रस में एक चम्मच शहद व चौथाई चम्मच अदरक का रस मिलाकर पीने से आँतों से पाचक रस स्रावित होने लगता है। उच्च रक्तचाप, अजीर्ण व मासिक धर्म की अनियमितता दूर होती है।
- मलावरोधः पेट साफ न होना, पेट में वायु होना, भूख कम लगना इन समस्याओं में रोज भोजन के साथ काला नमक मिलाकर अनानास खाने से लाभ होता है।
- बवासीरः मस्सों पर अनानास पीसकर लगाने से लाभ होता है।
- फुंसियाँ- अनानास का गूदा फुंसियों पर लगाने से तथा इसका रस पीने से लाभ होता है।
- पथरीः अनानास का रस 15-20 दिन पीना पथरी में लाभदायी होता है, इससे पेशाब भी खुलकर आता है।
- नेत्ररोग में- अनानास के टुकड़े काटकर दो-तीन दिन शहद में रखकर कुछ दिनों तक थोड़ा-थोड़ा खाने से नेत्ररोगों में लाभ होता है। यह प्रयोग जठराग्नि को प्रदीप्त कर भूख को बढ़ाता है तथा अरूचि को भी दूर करता है।
- पेशाब में जलन होना, पेशाब कम होना, दुर्गन्ध आना, पेशाब में दर्द तथा मूत्रकृच्छ (रूक-रूककर पेशाब आना) में 1 गिलास अनानास का रस, एक चम्मच मिश्री डालकर भोजन से पूर्व लेने से पेशाब खुलकर आता है और पेशाब संबंधी अन्य समस्याएँ दूर होती हैं।
- पेशाब अधिक आता हो तो अनानास के रस में जीरा, जायफल, पीपल इनका चूर्ण बनाकर सभी एक-एक चुटकी और थोड़ा काला नमक डालकर पीने से पेशाब ठीक होता है।
- धूम्रपान के नुकसान में- धूम्रपान के अत्यधिक सेवन से हुए दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए धूम्रपान छोड़कर अनानास के टुकड़े शहद के साथ खाने से लाभ होता है।
- अनानास में प्रचुर मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है। यह शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाने और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने का काम करता है। एक कप अनानास का जूस पीने से दिनभर के लिए जरूरी मैग्नीशियम के 73 प्रतिशत की पूर्ति होती है।
- अनानास में पाया जाने वाला ब्रोमिलेन सर्दी और खांसी, सूजन, गले में खराश और गठिया में फायदेमंद होता है।
- अनानास में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और साधारण ठंड से भी सुरक्षा मिलती है। इससे सर्दी समेत कई अन्य संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।

सावधानियाँ- अनानास कफ को बढ़ाता है। अतः पुराना जुकाम, सर्दी, खाँसी, दमा, बुखार, जोड़ों का दर्द आदि कफजन्य विकारों से पीड़ित व्यक्ति व गर्भवती महिलाएँ इसका सेवन न करें।
अनानास के ताजे, पके और मीठे फल के रस का ही सेवन करना चाहिए। कच्चे या अति पके व खट्टे अनानास का उपयोग नहीं करना चाहिए।
अम्लपित्त या सतत सर्दी रहने वालों को अनानास नहीं खाना चाहिए।
अनानास के स्वादवाले आइस्क्रीम और मिल्कशेक ये दूध में बनाये पदार्थ कभी नहीं खाने चाहिए। क्योंकि ये विरुद्ध आहार है और ये स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त हानिकारक है।
भोजन के बीच में तथा भोजन के कम से कम आधे घंटे बाद रस का उपयोग करना चाहिए।
भूख और पित्त प्रकृति में अनानास खाना हितकर नहीं है। इससे पेटदर्द होता है।
छोटे बच्चों को अनानास नहीं देना चाहिए। इससे आमाशय और आँतों का क्षोभ होता है।
सूर्यास्त के बाद फल एवं फलों के रस का सेवन नहीं करना चाहिए।
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मुलेठी , ज्येष्ठी मधु ---
मुलेठी बहुत गुणकारी औषधि है। मुलेठी के प्रयोग करने से न सिर्फ आमाशय के विकार बल्कि गैस्ट्रिक अल्सर के लिए फायदेमंद है। इसका पौधा 1 से 6 फुट तक होता है। यह मीठा होता है इसलिए इसे ज्येष्ठीमधु भी कहा जाता है। असली मुलेठी अंदर से पीली, रेशेदार एवं हल्की गंधवाली होती है। यह सूखने पर अम्ल जैसे स्वाद की हो जाती है। मुलेठी की जड़ को उखाड़ने के बाद दो वर्ष तक उसमें औषधीय गुण विद्यमान रहता है। ग्लिसराइजिक एसिड के होने के कारण इसका स्वाद साधारण शक्कर से पचास गुना अधिक मीठा होता है।
मुलेठी के गुण -
- यह ठंडी प्रकृति की होती है और पित्त का शमन करती है .
- मुलेठी को काली-मिर्च के साथ खाने से कफ ढीला होता है। सूखी खांसी आने पर मुलेठी खाने से फायदा होता है। इससे खांसी तथा गले की सूजन ठीक होती है।
- अगर मुंह सूख रहा हो तो मुलेठी बहुत फायदा करती है। इसमें पानी की मात्रा 50 प्रतिशत तक होती है। मुंह सूखने पर बार-बार इसे चूसें। इससे प्‍यास शांत होगी।
- गले में खराश के लिए भी मुलेठी का प्रयोग किया जाता है। मुलेठी अच्‍छे स्‍वर के लिए भी प्रयोग की जाती है।
- मुलेठी महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है। मुलेठी का एक ग्राम चूर्ण नियमित सेवन करने से वे अपनी सुंदरता को लंबे समय तक बनाये रख सकती हैं।
- लगभग एक महीने तक , आधा चम्मच मुलेठी का चूर्ण सुबह शाम शहद के साथ चाटने से मासिक सम्बन्धी सभी रोग दूर होते है.
- फोड़े होने पर मुलेठी का लेप लगाने से जल्दी ठीक हो जाते है.
- रोज़ ६ ग्रा. मुलेठी चूर्ण , ३० मि.ली. दूध के साथ पिने से शरीर में ताकत आती है.
- लगभग ४ ग्रा. मुलेठी का चूर्ण घी या शहद के साथ लेने से ह्रदय रोगों में लाभ होता है.
- इसके आधा ग्राम रोजाना सेवन से खून में वृद्धि होती है.
- जलने पर मुलेठी और चन्दन के लेप से शीतलता मिलती है.
- इसके चूर्ण को मुंह के छालों पर लगाने से आराम मिलता है.
- मुलेठी का टुकड़ा मुंह में रखने से कान का दर्द और सूजन ठीक होता है.
- उलटी होने पर मुलेठी का टुकडा मुंह में रखने पर लाभ होता है.
- मुलेठी की जड़ पेट के घावों को समाप्‍त करती है, इससे पेट के घाव जल्‍दी भर जाते हैं। पेट के घाव होने पर मुलेठी की जड़ का चूर्ण इस्‍तेमाल करना चाहिए।
- मुलेठी पेट के अल्‍सर के लिए फायदेमंद है। इससे न केवल गैस्ट्रिक अल्सर वरन छोटी आंत के प्रारम्भिक भाग ड्यूओडनल अल्सर में भी पूरी तरह से फायदा करती है। जब मुलेठी का चूर्ण ड्यूओडनल अल्सर के अपच, हाइपर एसिडिटी आदि पर लाभदायक प्रभाव डालता है। साथ ही अल्सर के घावों को भी तेजी से भरता है।
- खून की उल्टियां होने पर दूध के साथ मुलेठी का चूर्ण लेने से फायदा होता है। खूनी उल्‍टी होने पर मधु के साथ भी इसे लिया जा सकता है।
- हिचकी होने पर मुलेठी के चूर्ण को शहद में मिलाकर नाक में टपकाने तथा पांच ग्राम चूर्ण को पानी के साथ खिला देने से लाभ होता है।
- मुलेठी आंतों की टीबी के लिए भी फायदेमंद है।
- ये एक प्रकार की एंटीबायोटिक भी है इसमें बैक्टिरिया से लड़ने की क्षमता पाई जाती है। यह शरीर के अन्‍दरूनी चोटो में भी लाभदायक होती है।
- मुलेठी के चूर्ण से आँखों की शक्ति भी बढ़ती है सुबह तीन या चार ग्राम खाना चाहिये।
- यदि भूख न लगती हो तो एक छोटा टुकड़ा मुलेठी कुछ देर चूसे, दिन में ३,४, बार इस प्रक्रिया को दोहरा ले ,भूख खुल जाएगी .
- कोई भी समस्या न हो तो भी कभी-कभी मुलेठी का सेवन कर लेना चाहिए आँतों के अल्सर ,कैंसर का खतरा कम हो जाता है तथा पाचनक्रिया भी एकदम ठीक रहती है
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सौंफ --
सौंफ त्रिदोषनाशक है. इस की तासीर ठंडी है , पर यह जठराग्नि को मंद नहीं करती.
- आंखों की रोशनी सौंफ का सेवन करके बढ़ाया जा सकता है। सौंफ और मिश्री समान भाग लेकर पीस लें। इसकी एक चम्मच मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ दो माह तक लीजिए। इससे आंखों की रोशनी बढती है।
- सौंफ खाने से पेट और कब्ज की शिकायत नहीं होती। सौंफ को मिश्री या चीनी के साथ पीसकर चूर्ण बना लीजिए, रात को सोते वक्त लगभग 5 ग्राम चूर्ण को हल्केस गुनगने पानी के साथ सेवन कीजिए। पेट की समस्या नहीं होगी व गैस व कब्ज दूर होगा।
- डायरिया होने पर सौंफ खाना चाहिए। सौंफ को बेल के गूदे के साथ सुबह-शाम चबाने से अजीर्ण समाप्त होता है और अतिसार में फायदा होता है।
- खाने के बाद सौंफ का सेवन करने से खाना अच्छे से पचता है। सौंफ, जीरा व काला नमक मिलाकर चूर्ण बना लीजिए। खाने के बाद हल्के गुनगुने पानी के साथ इस चूर्ण को लीजिए, यह उत्तम पाचक चूर्ण है।
- अगर आप चाहते हैं कि आपका कोलेस्ट्रॉल स्तर न बढ़े तो खाने के लगभग 30 मिनट बाद एक चम्मच सौंफ खा लें।
- आधी कच्ची सौंफ का चूर्ण और आधी भुनी सौंफ के चूर्ण में हींग और काला नमक मिलाकर 2 से 6 ग्राम मात्रा में दिन में तीन-चार बार प्रयोग कराएं इससे गैस और अपच दूर हो जाती है।
- भूनी हुई सौंफ और मिश्री समान मात्रा में पीसकर हर दो घंटे बाद ठंडे पानी के साथ फँकी लेने से मरोड़दार दस्त, आँव और पेचिश में लाभ होता है। यह कब्ज को दूर करती है। के स्वास्थ्य लाभ होते हैं।
- बादाम, सौंफ और मिश्री तीनों बराबर भागों में लेकर पीसकर भर दें और रोज दोनों टाइम भोजन के बाद 1 टी स्पून लें। इससे स्मरणशक्ति बढ़ती है।
- दो कप पानी में उबली हुई एक चम्मच सौंफ को दो या तीन बार लेने से कफ की समस्या समाप्त होती है। अस्थमा और खांसी में सौंफ सहायक है। कफ और खांसी के इलाज के लिए सौंफ खाना फायदेमंद है।
- गुड़ के साथ सौंफ खाने से मासिक धर्म नियमित होता है।
- सौंफ को अंजीर के साथ खाएँ और खाँसी व ब्रोन्काइटिस को दूर भगाएँ।
- गर्मियों में सौंफ को गला कर सेवन करने से ठंडक मिलती है। सौंफ के पावडर को शकर के साथ बराबर मिलाकर लेने से हाथों और पैरों की जलन दूर होती है।
- यह शिशुओं के पेट और उनके पेट के अफारे को दूर करने में बहुत उपयोगी है।एक चम्मच सौंफ को एक कप पानी में उबलने दें और 20 मिनट तक इसे ठंडा होने दें। इससे शिशु के कॉलिक का उपचार होने में मदद मिलती है। शिशु को एक या दो चम्मच से ज्यादा यह घोल नहीं देना चाहिए।
- जो लोग कब्ज से परेशान हैं, उनको आधा ग्राम गुलकन्द और सौंफ मिलाकर दूध के साथ रात में सोते समय लेना चाहिए। कब्ज दूर हो जाएगा।
- इसे खाने से लीवर ठीक रहता है। इससे पाचन क्रिया ठीक रहती है।
- रोजाना सुबह-शाम खाली सौंफ खाने से खून साफ होता है जो कि त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है, इससे त्वचा में चमक आती है।
- रोजाना दाल और सब्जी के तडके में सौंफ भी डाले.
- यदि बारबार मुंह में छाले हों तो एक गिलास पानी में चालीस ग्राम सौंफ पानी आधा रहने तक उबालें। इसमें जरा सी भुनी फिटकरी मिलाकर दिन में दो तीन बार गरारे करें।

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कलौंजी ---
- कलौंजी एक बेहद उपयोगी मसाला है। इसका प्रयोग विभिन्न व्यंजनों जैसे दालों, सब्जियों, नान, ब्रेड, केक और आचार आदि में किया जाता है। कलौंजी की सब्जी भी बनाई जाती है। 
- कलौंजी में एंटी-आक्सीडेंट भी मौजूद होता है जो कैंसर जैसी बीमारी से बचाता है। 
- आयुर्वेद कहता है कि इसके बीजों की ताकत सात साल तक नष्ट नहीं होती.
- अपच या पेट दर्द में आप कलौंजी का काढा बनाइये फिर उसमे काला नमक मिलाकर सुबह शाम पीजिये.दो दिन में ही आराम देखिये.
- कैंसर के उपचार में कलौजी के तेल की आधी बड़ी चम्मच को एक ग्लास अंगूर के रस में मिलाकर दिन में तीन बार लें। लहसुन भी खुब खाएं।
- हृदय रोग, ब्लड प्रेशर और हृदय की धमनियों का अवरोध के लिए जब भी कोई गर्म पेय लें, उसमें एक छोटी चम्मच कलौंजी का तेल मिला कर लें.
- सफेद दाग और लेप्रोसीः- 15 दिन तक रोज पहले सेब का सिरका मलें, फिर कलौंजी का तेल मलें।
- एक चाय की प्याली में एक बड़ी चम्मच कलौंजी का तेल डाल कर लेने से मन शांत हो जाता है और तनाव के सारे लक्षण ठीक हो जाते हैं।
- कलौंजी के तेल को हल्का गर्म करके जहां दर्द हो वहां मालिश करें और एक बड़ी चम्मच तेल दिन में तीन बार लें। 15 दिन में बहुत आराम मिलेगा।
- एक बड़ी चम्मच कलौंजी के तेल को एक बड़ी चम्मच शहद के साथ रोज सुबह लें, आप तंदुरूस्त रहेंगे और कभी बीमार नहीं होंगे; स्वस्थ और निरोग रहेंगे .
- याददाश्त बढाने के लिए और मानसिक चेतना के लिए एक छोटी चम्मच कलौंजी का तेल 100 ग्राम उबले हुए पुदीने के साथ सेवन करें।
- पथरी हो तो कलौंजी को पीस कर पानी में मिलाइए फिर उसमे शहद मिलाकर पीजिये ,१०-११ दिन प्रयोग करके टेस्ट करा लीजिये.कम न हुई हो तो फिर १०-११ दिन पीजिये.
- कलौंजी की राख को तेल में मिलाकर गंजे अपने सर पर मालिश करें कुछ दिनों में नए बाल पैदा होने लगेंगे.इस प्रयोग में धैर्य महत्वपूर्ण है.
- किसी को बार-बार हिचकी आ रही हो तो कलौंजी के चुटकी भर पावडर को ज़रा से शहद में मिलकर चटा दीजिये.
- गैस/पेट फूलने की समस्या --50 ग्राम जीरा, 25 ग्राम अजवायन, 15 ग्राम कलौंजी अलग-अलग भून कर पीस लें और उन्हें एक साथ मिला दें। अब 1 से 2 चम्मच मीठा सोडा, 1 चम्मच सेंधा नमक तथा 2 ग्राम हींग शुद्ध घी में पका कर पीस लें। सबका मिश्रण तैयार कर लें। गुनगुने पानी की सहायता से 1 या आधा चम्मच खाएं।

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प्याज के लाभ ---
- प्याज काट कर रखने से यह वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया सोख लेता है.
- कान दर्द : प्याज गर्म राख में भुनकर उसका पानी निचोड़कर कान में डाले। दर्द में तुरंत लाभ होगा

- मोतिया बिन्द : प्याज का रस एक तोला, असली शहद एक तोला, भीमसेनी कपूर तीन माशे सबको खूब मिलाकर लगाने से मोतिया का असर नहीं होता।

- पेट के कीड़े-प्याज का कच्चा रस पिलाने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हें
- बारूद से जलने पर- यदि शरीर का कोई भाग बारूद से जल जाये तो उस स्थान पर प्याज का रस लगाने से लाभ होता है।
- कब्‍ज दूर करता है .
- गले की खराश मिटाए- यदि आप सर्दी, कफ या खराश से पीडित हैं तो आप ताजे प्‍याज का रस पीजिये। इमसें गुड या फिर शहद मिलाया जा सकता है।
- ब्‍लीडिंग समस्‍या दूर करे- नाक से खून बह रहा हो तो कच्‍चा प्‍याज काट कर सूघ लीजिये।
- पाइल्‍स की समस्‍या में सफेद प्‍याज खाना शुरु कर दें। - मधुमेह करे कंट्रोल- कच्‍चा प्याज खाया जाए तो यह शरीर में इंसुलिन उत्‍पन्‍न करेगा।
- दिल की सुरक्षा- कच्‍चा प्‍याज हाई ब्‍लड प्रेशर को नार्मल करता है और बंद खून की धमनियों को खोलता है जिससे दिल की कोई बीमारी नहीं होती।
- कोलेस्‍ट्रॉल कंट्रोल करे- इसमें मिथाइल सल्‍फाइड और अमीनो एसिड होता है जो कि खराब कोलेस्‍ट्रॉल को घटा कर अच्‍छे कोलेस्‍ट्रॉल को बढाता है।
- कैंसर सेल की ग्रोथ रोके- प्‍याज में सल्‍फर तत्‍व अधिक होते हैं। सल्‍फर शरीर को पेट, कोलोन, ब्रेस्‍ट, फेफडे और प्रोस्‍टेट कैंसर से बचाता है।
- एनीमिया ठीक करे- प्‍याज काटते वक्‍त आंखों से आंसू टपकते हैं, ऐसा प्‍याज में मौजूद सल्‍फर की वजह से होता है। इस सल्‍फर में एक तेल मौजूद होता है जो कि एनीमिया को ठीक करने में सहायक होता है। खाना पकाते वक्‍त यही सल्‍फर जल जाता है, तो ऐसे में कच्‍चा प्‍याज खाइये।
- बाल गिरने की समस्या से निजात पाने के लिए प्याज बहुत ही असरकारी है। गिरते हुए बालों के स्थान पर प्याज का रस रगडने से बाल गिरना बंद हो जाएंगे। इसके अलावा लेप लगाने पर काले बाल उगने शुरू हो जाते हैं।
- पथरी की शिकायत में प्याज बहुत उपयोगी है। प्याज के रस को चीनी में मिलाकर शरबत बनाकर पीने से पथरी की से निजात मिलता है। प्याज का रस सुबह खाली पेट पीने से पथरी अपने-आप कटकर बाहर निकल जाती है।
- गठिया के लिए – गठिया में प्याज बहुत ही फायदेमंद होता है। गठिया में सरसों का तेल व प्याज का रस मिलाकर मालिश करें, फायदा होगा।
- प्याज का पेस्ट लगाने से फटी एडियों को राहत मिलती है।
- दांत में पायरिया है, तो प्याज के टुकड़ों को तवे पर गर्म कीजिए और दांतों के नीचे दबाकर मुंह बंद कर लीजिए। इस प्रकार 10-12 मिनट में लार मुंह में इकट्ठी हो जाएगी। उसे मुंह में चारों ओर घुमाइए फिर निकाल फेंकिए। दिन में 4-5 बार 8-10 दिन करें, पायरिया जड़ से खत्म हो जाएगा, दांत के कीड़े भी मर जाएंगे और मसूड़ों को भी मजबूती प्राप्त होगी ।
- प्याज के सेवन से आंखों की ज्योति बढ़ती है।
- प्याज के रस का नाभि पर लेप करने से पतले दस्त में लाभ होता है। अपच की शिकायत होने पर प्याज के रस में थोड़ा-सा नमक मिलाकर सेवन करें।
- सफेद प्याज के रस में शहद मिलाकर सेवन करना दमा रोग में बहुत लाभदायक है।
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नींबू --
नींबू को विटामिन ''सी'' का सबसे अच्छा स्त्रोत व स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक माना जाता है। विशेषकर पेट से संबंधित समस्याओं के लिए नींबू का प्रयोग अनेक तरीकों से किया जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं नींबू के ऐसे ही कुछ प्रयोगों के बारे में जिनसे आप कई छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याओं से निजात पा सकते हैं।

- नींबू की शिकंजी, चीनी के बजाय सेंधा नमक डालकर पिएं कब्ज दूर हो जाएगी। स्कर्वी रोग में नींबू कारगर है एक भाग नींबू का रस और आठ भाग पानी मिलाकर रोजाना दिन में एक बार लें। नींबू के रस में थोड़ी शकर मिलाकर इसे गर्म कर सिरप जैसा बना लें। फिर इसमें थोड़ा पानी मिलाकर पीएं पित्त के लिए यह अचूक औषधि है।
- आधे नींबू का रस और दो चम्मच शहद मिलाकर चाटने से तेज खांसी व जुकाम में लाभ होता है।

- नींबू से हृदय की असामान्य धड़कन सामान्य हो जाती है।

- उच्च रक्तचाप के रोगियों की रक्तवाहिनियों को यह शक्ति देता है।
- एक नींबू के रस में तीन चम्मच शकर, दो चम्मच पानी घोलकर बालों की जड़ों में लगाकर एक घंटे बाद अच्छे से सिर धोने से रूसी दूर हो जाती है और बाल गिरना बंद हो जाते हैं। बालों में रूसी है तो बालों की जड़ों में नींबू का रस थोड़ी देर के लिए लगाकर छोड़ दें। फिर कुछ देर बाद सिर धो लें। रूसी से छुटकारा मिल जाएगा। शैम्पू करने के बाद थोड़े-से पानी में नींबू का रस मिलाकर बालों पर लगाएं। बाल चमकदार व मुलायम हो जाएंगे।
- मोटापे से परेशान हैं तो सुबह हल्के गर्म पानी में नींबू का रस डालकर पीएं। निरंतर प्रयोग से वजन कम हो जाएगा।
- मलेरिया और हैजा जैसी बीमारियों में भी नींबू पानी बहुत ही फायदेमंद है। नींबू में पिसी काली मिर्च छिड़क कर जरा सा गर्म करके चूसने से मलेरिया ज्वर में आराम मिलता है।
- काली कोहनियों को साफ करने के लिए नींबू को दो भागों में काटें और उस पर खाने वाला सोडा डालकर कोहनियों पर रगड़ें। मैल साफ हो जाएगा, कोहनियां मुलायम हो जाएंगी।
- नींबू के सेवन से सूखा रोग दूर होता है।
- नींबू का छिलका पीसकर उसका लेप माथे पर लगाने से माइग्रेन ठीक होता है।
- नींबू के बीज को पीसकर लगाने से गंजापन दूर होता है।
- बहरापन हो तो नींबू के रस में दालचीनी का तेल मिलाकर कान में डालें।
- आधा कप गाजर के रस में नींबू का रस मिलाकर पीएं,खून की कमी दूर होगी।
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अगर आपको कभी भी चक्कर आने लगते हैं, सिर घूमने लगता है, या किसी किसी काम में मन नहीं लगता, कमजोरी महसूस होती है और नींद भी नहीं आती तो जरा सावधान हो जाइए। वर्तमान समय में बढ़ते मानसिक तनाव और भागदौड़ से लोगों में हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत होना आम हो गया है। थोड़ी सी टेंशन या जम्मेदारियों को पूरा न कर पाने का दबाव इस बीमारी को लगातार बढ़ावा दे रहा है। आयुर्वेद के कुछ घरेलू नुस्खों को अपनाकर आप काफी हद तक इस बीमारी से बच सकते हैं।

-प्याज का रस और शुद्ध शहद बराबर मात्रा में मिलाकर रोज करीब दस ग्राम की मात्रा में लें।

- तरबूज के बीज की गिरि और खसखस दोनों को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें रोज सुबह-शाम एक चम्मच खाली पेट पानी के साथ लें। यह प्रयोग करीब एक महीने तक नियमित करें।

- मेथीदाने के चूर्ण को रोज एक चम्मच सुबह खाली पेट लेने से हाई ब्लडप्रेशर से बचा जा सकता है।

- खाना खाने के बाद दो कच्चे लहसुन की कलियां लेकर मुनक्का के साथ चबाएं, ऐसा करने से हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत नहीं होती।

- 21 तुलसी के पत्ते तथा सिलबट्टे पर पीसकर एक गिलास दही में मिलाकर सेवन करने से हाई ब्लडप्रेशर में लाभ होता है।



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