सांप्रदायिक हिंसा बिल –आदित्य नाथ
उपाध्यक्ष महोदय मुझे आपने मुझे 193 की तहत बोलने का अवसर दिया उसके लिए आभारी हु....में यहा कांग्रेस के नेता माननीय खड्गे जी को सुन रहा था और मुझे आश्चय हुआ की बो अपना लिखित स्टेटमेंट पढ़ रहे थे की 113 घटनाएं घटित हुई .लेकिन जब मौखिक बोल रहे थे तो कह रहे थे की 600 से अधिक घटनाये घटित हई क्या सत्य हे यह पूर देश जनता है
.जो आंकड़े माननीय खडके जी लेके चल रहे थे में उसके पीछे लेके चलता हु और ये स्वीकार करेगे तो सचमुच इस देश में जो सम्प्रद्याकी हिंसा से चिंतीत हे तो जो सांप्रदायिक अधर पर जो इन्होने घोषनाए की हे तो पूरे देश से इनको मांफी मंगनी पड़ेगी
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महोदय 2011 में जिन प्रदेशो की में जिक्र कर रहा हु बहा पर और न केंद्र में बीजेपी की सरकार थी इस देश में 580 घटनाएं घटित हुई 91 लोग मारे गए 1899 घायल हुए इनमे सबसे अधिक उप में 84 घटनाये घटित हुई 12 लोग मारे गए और 347 घायल हुए दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र हे जिसमे 88 घटनाएं घटित हुई जिसमे 15 मारे गए तीसरे पर कर्नाटक 70 और केरल में 30 घटनाएं घटित हुई ये आंकड़े 2011 के हे अब 2012 में 668 घटनाये जिनमे 94 मौत 2117 घायल हुए 2013 में 823 से अधिक साम्प्रदायिक घटनाये घटी
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यद्यपि कानून व्यवस्था राज्य का विषय हे और राज्य सरकार की जेसी मंशा होती हे बहा का प्रशासन बैसा ही कारबाही करता हे मुझे लगता हे इमानदारी से इन्होने अपनी सरकार का विश्लेसन किया होता और अपने upa के घटकों की 11 राज्यों में संचालित सरकारे हे उन सरकारों के सांप्रदायिक एजेंडे पर ध्यान दिया होता की ये पोलोरायिजेसन हो क्यों रहा हे इसके कारन क्या हे
यदि हम ईमानदारी से विश्लेषण करेगे की मुझे लगता हे की एक तरफ हम कहते हे की हम सेक्युलर हे तो दूसरी और जो एजेंडा लागू करते हे बो सांप्रदायिक आधार पर लागू करते हे इस देशमे १२ लाख से अधिक साधू संत रहते हे मगर ये लोग अकेले इमामो के वेतन की घोषणा करते हे क्या यह सेक्युलर एजंडा हे दिल्ली की, बंगाल की और महाराष्ट्र की सरकार ने किया सिर्फ मौलवियों और इमामो को वेतन दिया क्या यही सेक्युलर एजेंडा हे देश में सांप्रदायिक आधार पर बाटते हे भेदभाव करते हे
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अब में उत्तर प्रदेश की बात करता हु बहा पर जो योजना हे उसमे २०% मुश्लिम अवादी के लिए आरक्षित हे कबिस्तान की बोंड्री बाल के लिए गाँव गाँव के फसाद पैदा किया जिसके लिए 300 करोड़ का आवंटित किया और विवाद पैदा किया गया
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सुप्रीम कोर्ट कहता हे की सार्वजानिक संपत्ति को मंदिरों के नाम पर मजारो मज्जिदो और बिभिन्न धार्मिक स्थलों के नाम पर कब्जा मत करने दो मगर कब्रिस्तान के बोंड्री बाल के नाम पर कब्जा किया जा रहा हे इसमें सासन की मर्जी सामिल हे तो क्या इसमें धुर्वीकरण नहीं होगा तो क्या होगा
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उससे भी खतरनाक स्तिथि आतंकबादियो पर दायर मुकद्दमे बापस लिए जाते हे इस देश में जो लोग राष्ट्रिय सुरखा केलिए ख़तरा बने हुए हे जिन लोगो ने राष्ट्र की सम्प्रभ्त्ता को चुनोती दी हे और देश में हिंसा को बढ़ावा दे रहे हे उन लोगो पर दया मुकद्दमे चाहे बो राम मंदिर पर आतंकी हमले हो या काशी का मामला हो या संकट मोचन का मामला हो या या काशी के CRPF केम्प का मामला हो या गोरखपुर के सीरियल ब्लास्ट का मामला ये जितने भी मामले हे इनमे जिन आतंकाबदियो के खिलाफ जितने भी मामले दर्ज हुए थे उत्तर प्रदेह की सरकार ने वोट बेंक के लिए उन मुकद्दमो को बापस लेने का अनुचित प्रयास किया वो तो भला हो की कोर्ट ने हस्तक्षेप किया न होता तो ये आतंकी बाहर झूट कर जो नरसंघार कर रहे होते इसके बाद भी ये कहते हे की देश में अन्दर सांप्रदायिक हिंसा न हो
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..महोदय अब तो चर्चा होनी चाहिए की कोण सांप्रदायिक हे जो हम लोगो ने जाना हे जो हम लोगो ने समझा हे की सांप्रदायिक बो होता हे जो कहता हे मेरा इष्ट या मेरा पैगम्बर ही श्रेष्ट हे उसके मानने बालो को तो जीवित रहने का अधिकार हे शेष को नहीं मेरे हिसाब से बो सांप्रदायिक हे
......हिन्दू जीवन दर्शन कभी इस बात की इजाजत नहीं देता हमने कुन्वंतो विश्बराभ और सर्बे भवन्तु सुखिना का सन्देश दिया था हमने इस देश में जियो और जीने दो की बात कही हे
......पूरे विश्ब में एसी कोन सी कोम हे और मजहब हे जिसे इस हिन्दू दर्शन ने बिपरीत परिस्तिथियों में अपने यहा शरण न दी हो और फलने फूलने का अवसर न दिया हो दुनिया में कोन सा मजहब हे जो ये करा हो मगर आज जिस हिन्दू दर्शन में सबको शरण और मौका दिया उसी के खिलाफ जब षड़यंत्र होता हे तो उसे एक जुट होना पड़ेगा ही
.......ये इन लोगो के कुकर्मो का फल हे की इस देश का हिन्दू जनमानस इस बात केलिए तैयार हो रहा हे यदि शासन तंत्र से इस प्रकार षड़यंत्र हो रहे हो तो उसे उसका जबाब अपने स्तर पर देना ही पड़ेगा और आज यही स्तिथि सामने आई हे
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में पूछना चाहता हु इन लोगो से जब भारत का मुसलमान हज यात्रा करने जाता हे तो तो उसकी पहचान हिन्दू नाम पर होती हे भारत या पाकिस्तान या एशिया उपमहाद्वीप के नाम पर नहीं होती लेकिन यही हिन्दू पहचान को हम यहाँ लागू करने की कोशिस करते हे तो इनको बुरा लगता हे
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...हिन्दू साम्प्रदायिकता का नहीं राष्ट्रीयता का प्रतिक हे और भारत की राष्ट्रीयता के प्रतिक हिन्दू को बदनाम करोगे तो इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी इस लिए महोदय आपके माध्यम से एक बात कहाँ चाहता हु की एक बार गुरुदेव रविन्द्र नाथ टेगोर ने कहा था भारत को समझना हे तो भारतीय स्मिता को पहचानना पड़ेगा ..और यदि भारतीय स्मिता को पहचानना हे तो स्वामी विवेकानंद को जान लीजिए उन्होंने कहा था की गर्व से कहो की हम हिन्दू हे ..क्या विवेकानंद सांप्रदायिक थे ...वो तो किसी पार्टी के नहीं थे उन्होंने तो भारत का प्रतिनिधित्व किया था पूरी दुनिया में
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जो हिन्दू अपने देश में दुनिया में अपनी सह्स्हुनिता के लिए पहचाना जाता था आज उस हिन्दू के साथ किस प्रकार का व्यव्हार किया जा रहा हे उसी हिन्दू को कश्मीर से निकला जाता हे तो इस सदन में चर्चा नहीं होती हे किसी का मूह नहीं खुलता हे
.
कश्मीर से साढ़े तीन लाख कश्मीरी पंडित निकाले जाते हे तब ये लोग चर्चा नहीं करते जब असम में २०१२ में तीन महीने तक बोडो जनजाति को मारा जाता रहा तब किसी ने चू तक नहीं बोला .....कश्मीर में कश्मीरी पंडितो को मर कर उनके घरो से बेदखल कर दिया गया कोई नहीं बोला
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ये पूरे विश्व में अपने आप में इकलोती घटना थी जिसमे अपने ही देश के लोग अपने ही देश में विस्थापित और खानाबदोश की जिन्दगी जी रहे हे इस शर्मनाक घटना की निंदा एकबार भी इन लोगो ने नहीं की
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.....मुंबई के दंगो और आजाद मैदान की घटना पर मौन रहे ..पूना और भागलपुर की घटना पर मौन रहे ये तो कांग्रेस की सर्कार की घटना थी उस पर एक बार भी इन्होने चिंता और चर्चा नहीं की
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और तो और 1984 में इस देश जिन सिख्ख गुरुओ ने इस देश की आन और मान को बचाने में अपनी जान लगादी थी उन सिख्खो के कत्लोआम पर इस कांग्रेस को शर्म महशूस नहीं होती हे इस देश में बात करते हे सांप्रदायिक शौहाद्र की ..जबकि इनका पूरा चेहरा सांप्रदायिक हिंसा से रंगा हुआ हे सांप्रदायिक एजेंडे से रंगा हुआ हे .
...माननीय महोदय इस देशमे क्या हो रहा हे इस देश में असम में बंगलादेशी घुसपैठिये इनके अपने हो गए और इस देश का नागरिक जो हजारो वर्षो से रह रहा था पराया होगया ..असम के कोकराझार में .....(ओविसी ने कहा की ये झूट बोल्रह हे ) महोदय सच बहुत कडवा होता हे और इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं क्यों की ये इन्ही की बीमारी हे जिससे ये त्रस्त हो चुके हे जो बीमारी इन्होने पूरे देश को दी हे
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जब कश्मीर से हिन्दू भगाए जाते हे असम में मौत का तांडव होता हे तो ये खामेश रहते हे एक बार कांग्रेसी मुख्यमंत्री में बोडो लोगो के बारे बोलोदिया तो कैसे बोल दिया अरे यदि बोडो के बार एमे नहीं बोलेगा तो किसके बारे में बोलेगा ..ये लोग बंगलादेशी घुसपैठियों की बकालत तो करते हे इन्होने जो पूरे उत्तर भारत का जो समीकरण बदला हे उसमे कोकराझार डोबरी चिरांग जिले हिंसा की सबसे अधिक चपेट में हे क्यों की बंगलादेशी बहा जमीन पर कब्ज़ा किये हे ..इन लोगो ने बहा उनके वर्क परमिट के साथ राशनकार्ड बनाये हे इन्होने पूरे देश के समीकरण के साथ खिलबाड़ किया हे
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महोदय में पूछना चाहता हु कांग्रेसियो और कम्यूनिस्टो से भी कोयम्बतूर और बेंगलूर बम धमाको में जो आतंकबादी हे उसके लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाता हे दो दल मिल कर अपील करते हे की उसे जेल से छुड्बाओ ..क्या यही सेकुलरिज्म हे
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.11 अगस्त २०१२ को मुंबई के आजाद मैदान में जो कुछ हुआ बर्मा के मुश्लिमो और बोद्धो के बीच झगडा होता हे और दंगा मुंबई में होता हे बहा शहीद स्मारक तोडा जाता हे पुलिश के जवानो की हत्या तक करदी जाती हे मीडिया को मारा जाता हे उस पर यही कांग्रेस चुप रहती हे और मीडिया भी चुप रहती हे
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बरेली कानपूर मेरठ लखनऊ पूना में मौन रहे और ये लोग बोले तो किसपे ...जब जो निहत्ते लोग बाबा रामदेव के आन्दोलन में वन्देमातरम का गान करने बालो पर लाठी चार्ज करते हे ..ये लोग देशमे सांप्रदायिक हिंसा की बात करते हे ..किसने इस देशमे सांप्रदायिक हिंसा फैलाई हे कोण इस देश में सांप्रदायिक हिंसा फैला रहा हे
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सन ४७ में देशको सांप्रदायिक अधर पर बांटा हे और अब पूरे देश को सांप्रदायिक आधार पर बाटने की तयारी हे ..पाकिस्तान के एजेंडे पर ये लोग कार्य कर रहे हे
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हमारा नारा तो सबका साथ सबका विकास था असंम में अली और कुली का नारा इनलोगों ने दिया था असम को बाटने और देश से अलग करने की साजिस कर रहे हे क्या यही इनका सेकुलरिज्म हे
उत्तर प्रदेस की घटना इतनी चौकाने बाली हे उत्तर प्रदेश में २०१२ में 118 घटनाये घटित हुई २०१३ में 247 और मार्च से मई तक 65 घटनाये घटित होचुकी हे सहारनपुर का दंगा इसलिए घटित हुआ की हाईकोर्ट के आदेश पर गुरूद्वारे का निर्माण हो रहा था अब न्यायलय के आदेश को उत्तर प्रदेश का प्रशासन नहीं मानेगा उ.प्र. की सरकार नहीं मानेगी
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काठ में इस लिए दंगा होता हे की बहा चार धर्मस्थल हे तीन मज्जिद और एक मंदिर ...मज्जिदो को छोड़ कर केवल मंदिर से लाऊड स्पीकर उतारा जाता हे क्या यही सेक्युलर एजेंडा हे इन लोगो का ..क्या इसी को सेकुलरिज्म कहेगे
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....मेरठ में बालिका का अपहरण होता हे और उसके बाद जो घटना घटित होती हे कितनी शर्मनाक थी मगर इस घटना पर इनकी जुबान बंद होजाती हे ..इस देश में न्याय का तराजू सभी के लिए बराबर चलेगा ...
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अब जब कांग्रेस ने सांप्रदायिक हिंसा की बात उठाई हे तो मेरा गृह मंत्री से अनुरोध हे की अब उत्तर प्रदेश सहित देश में जितनी घटनाये हुई हे उसकी जांच किसी SIT से करायी जाये और उनकी किसकिस के साथ सम्बन्ध हे इसकी भी जाँच होनी चाहिए दूध का दूध होजायेगा
उपाध्यक्ष महोदय मुझे आपने मुझे 193 की तहत बोलने का अवसर दिया उसके लिए आभारी हु....में यहा कांग्रेस के नेता माननीय खड्गे जी को सुन रहा था और मुझे आश्चय हुआ की बो अपना लिखित स्टेटमेंट पढ़ रहे थे की 113 घटनाएं घटित हुई .लेकिन जब मौखिक बोल रहे थे तो कह रहे थे की 600 से अधिक घटनाये घटित हई क्या सत्य हे यह पूर देश जनता है
.जो आंकड़े माननीय खडके जी लेके चल रहे थे में उसके पीछे लेके चलता हु और ये स्वीकार करेगे तो सचमुच इस देश में जो सम्प्रद्याकी हिंसा से चिंतीत हे तो जो सांप्रदायिक अधर पर जो इन्होने घोषनाए की हे तो पूरे देश से इनको मांफी मंगनी पड़ेगी
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महोदय 2011 में जिन प्रदेशो की में जिक्र कर रहा हु बहा पर और न केंद्र में बीजेपी की सरकार थी इस देश में 580 घटनाएं घटित हुई 91 लोग मारे गए 1899 घायल हुए इनमे सबसे अधिक उप में 84 घटनाये घटित हुई 12 लोग मारे गए और 347 घायल हुए दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र हे जिसमे 88 घटनाएं घटित हुई जिसमे 15 मारे गए तीसरे पर कर्नाटक 70 और केरल में 30 घटनाएं घटित हुई ये आंकड़े 2011 के हे अब 2012 में 668 घटनाये जिनमे 94 मौत 2117 घायल हुए 2013 में 823 से अधिक साम्प्रदायिक घटनाये घटी
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यद्यपि कानून व्यवस्था राज्य का विषय हे और राज्य सरकार की जेसी मंशा होती हे बहा का प्रशासन बैसा ही कारबाही करता हे मुझे लगता हे इमानदारी से इन्होने अपनी सरकार का विश्लेसन किया होता और अपने upa के घटकों की 11 राज्यों में संचालित सरकारे हे उन सरकारों के सांप्रदायिक एजेंडे पर ध्यान दिया होता की ये पोलोरायिजेसन हो क्यों रहा हे इसके कारन क्या हे
यदि हम ईमानदारी से विश्लेषण करेगे की मुझे लगता हे की एक तरफ हम कहते हे की हम सेक्युलर हे तो दूसरी और जो एजेंडा लागू करते हे बो सांप्रदायिक आधार पर लागू करते हे इस देशमे १२ लाख से अधिक साधू संत रहते हे मगर ये लोग अकेले इमामो के वेतन की घोषणा करते हे क्या यह सेक्युलर एजंडा हे दिल्ली की, बंगाल की और महाराष्ट्र की सरकार ने किया सिर्फ मौलवियों और इमामो को वेतन दिया क्या यही सेक्युलर एजेंडा हे देश में सांप्रदायिक आधार पर बाटते हे भेदभाव करते हे
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अब में उत्तर प्रदेश की बात करता हु बहा पर जो योजना हे उसमे २०% मुश्लिम अवादी के लिए आरक्षित हे कबिस्तान की बोंड्री बाल के लिए गाँव गाँव के फसाद पैदा किया जिसके लिए 300 करोड़ का आवंटित किया और विवाद पैदा किया गया
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सुप्रीम कोर्ट कहता हे की सार्वजानिक संपत्ति को मंदिरों के नाम पर मजारो मज्जिदो और बिभिन्न धार्मिक स्थलों के नाम पर कब्जा मत करने दो मगर कब्रिस्तान के बोंड्री बाल के नाम पर कब्जा किया जा रहा हे इसमें सासन की मर्जी सामिल हे तो क्या इसमें धुर्वीकरण नहीं होगा तो क्या होगा
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उससे भी खतरनाक स्तिथि आतंकबादियो पर दायर मुकद्दमे बापस लिए जाते हे इस देश में जो लोग राष्ट्रिय सुरखा केलिए ख़तरा बने हुए हे जिन लोगो ने राष्ट्र की सम्प्रभ्त्ता को चुनोती दी हे और देश में हिंसा को बढ़ावा दे रहे हे उन लोगो पर दया मुकद्दमे चाहे बो राम मंदिर पर आतंकी हमले हो या काशी का मामला हो या संकट मोचन का मामला हो या या काशी के CRPF केम्प का मामला हो या गोरखपुर के सीरियल ब्लास्ट का मामला ये जितने भी मामले हे इनमे जिन आतंकाबदियो के खिलाफ जितने भी मामले दर्ज हुए थे उत्तर प्रदेह की सरकार ने वोट बेंक के लिए उन मुकद्दमो को बापस लेने का अनुचित प्रयास किया वो तो भला हो की कोर्ट ने हस्तक्षेप किया न होता तो ये आतंकी बाहर झूट कर जो नरसंघार कर रहे होते इसके बाद भी ये कहते हे की देश में अन्दर सांप्रदायिक हिंसा न हो
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..महोदय अब तो चर्चा होनी चाहिए की कोण सांप्रदायिक हे जो हम लोगो ने जाना हे जो हम लोगो ने समझा हे की सांप्रदायिक बो होता हे जो कहता हे मेरा इष्ट या मेरा पैगम्बर ही श्रेष्ट हे उसके मानने बालो को तो जीवित रहने का अधिकार हे शेष को नहीं मेरे हिसाब से बो सांप्रदायिक हे
......हिन्दू जीवन दर्शन कभी इस बात की इजाजत नहीं देता हमने कुन्वंतो विश्बराभ और सर्बे भवन्तु सुखिना का सन्देश दिया था हमने इस देश में जियो और जीने दो की बात कही हे
......पूरे विश्ब में एसी कोन सी कोम हे और मजहब हे जिसे इस हिन्दू दर्शन ने बिपरीत परिस्तिथियों में अपने यहा शरण न दी हो और फलने फूलने का अवसर न दिया हो दुनिया में कोन सा मजहब हे जो ये करा हो मगर आज जिस हिन्दू दर्शन में सबको शरण और मौका दिया उसी के खिलाफ जब षड़यंत्र होता हे तो उसे एक जुट होना पड़ेगा ही
.......ये इन लोगो के कुकर्मो का फल हे की इस देश का हिन्दू जनमानस इस बात केलिए तैयार हो रहा हे यदि शासन तंत्र से इस प्रकार षड़यंत्र हो रहे हो तो उसे उसका जबाब अपने स्तर पर देना ही पड़ेगा और आज यही स्तिथि सामने आई हे
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में पूछना चाहता हु इन लोगो से जब भारत का मुसलमान हज यात्रा करने जाता हे तो तो उसकी पहचान हिन्दू नाम पर होती हे भारत या पाकिस्तान या एशिया उपमहाद्वीप के नाम पर नहीं होती लेकिन यही हिन्दू पहचान को हम यहाँ लागू करने की कोशिस करते हे तो इनको बुरा लगता हे
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...हिन्दू साम्प्रदायिकता का नहीं राष्ट्रीयता का प्रतिक हे और भारत की राष्ट्रीयता के प्रतिक हिन्दू को बदनाम करोगे तो इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी इस लिए महोदय आपके माध्यम से एक बात कहाँ चाहता हु की एक बार गुरुदेव रविन्द्र नाथ टेगोर ने कहा था भारत को समझना हे तो भारतीय स्मिता को पहचानना पड़ेगा ..और यदि भारतीय स्मिता को पहचानना हे तो स्वामी विवेकानंद को जान लीजिए उन्होंने कहा था की गर्व से कहो की हम हिन्दू हे ..क्या विवेकानंद सांप्रदायिक थे ...वो तो किसी पार्टी के नहीं थे उन्होंने तो भारत का प्रतिनिधित्व किया था पूरी दुनिया में
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जो हिन्दू अपने देश में दुनिया में अपनी सह्स्हुनिता के लिए पहचाना जाता था आज उस हिन्दू के साथ किस प्रकार का व्यव्हार किया जा रहा हे उसी हिन्दू को कश्मीर से निकला जाता हे तो इस सदन में चर्चा नहीं होती हे किसी का मूह नहीं खुलता हे
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कश्मीर से साढ़े तीन लाख कश्मीरी पंडित निकाले जाते हे तब ये लोग चर्चा नहीं करते जब असम में २०१२ में तीन महीने तक बोडो जनजाति को मारा जाता रहा तब किसी ने चू तक नहीं बोला .....कश्मीर में कश्मीरी पंडितो को मर कर उनके घरो से बेदखल कर दिया गया कोई नहीं बोला
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ये पूरे विश्व में अपने आप में इकलोती घटना थी जिसमे अपने ही देश के लोग अपने ही देश में विस्थापित और खानाबदोश की जिन्दगी जी रहे हे इस शर्मनाक घटना की निंदा एकबार भी इन लोगो ने नहीं की
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.....मुंबई के दंगो और आजाद मैदान की घटना पर मौन रहे ..पूना और भागलपुर की घटना पर मौन रहे ये तो कांग्रेस की सर्कार की घटना थी उस पर एक बार भी इन्होने चिंता और चर्चा नहीं की
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और तो और 1984 में इस देश जिन सिख्ख गुरुओ ने इस देश की आन और मान को बचाने में अपनी जान लगादी थी उन सिख्खो के कत्लोआम पर इस कांग्रेस को शर्म महशूस नहीं होती हे इस देश में बात करते हे सांप्रदायिक शौहाद्र की ..जबकि इनका पूरा चेहरा सांप्रदायिक हिंसा से रंगा हुआ हे सांप्रदायिक एजेंडे से रंगा हुआ हे .
...माननीय महोदय इस देशमे क्या हो रहा हे इस देश में असम में बंगलादेशी घुसपैठिये इनके अपने हो गए और इस देश का नागरिक जो हजारो वर्षो से रह रहा था पराया होगया ..असम के कोकराझार में .....(ओविसी ने कहा की ये झूट बोल्रह हे ) महोदय सच बहुत कडवा होता हे और इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं क्यों की ये इन्ही की बीमारी हे जिससे ये त्रस्त हो चुके हे जो बीमारी इन्होने पूरे देश को दी हे
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जब कश्मीर से हिन्दू भगाए जाते हे असम में मौत का तांडव होता हे तो ये खामेश रहते हे एक बार कांग्रेसी मुख्यमंत्री में बोडो लोगो के बारे बोलोदिया तो कैसे बोल दिया अरे यदि बोडो के बार एमे नहीं बोलेगा तो किसके बारे में बोलेगा ..ये लोग बंगलादेशी घुसपैठियों की बकालत तो करते हे इन्होने जो पूरे उत्तर भारत का जो समीकरण बदला हे उसमे कोकराझार डोबरी चिरांग जिले हिंसा की सबसे अधिक चपेट में हे क्यों की बंगलादेशी बहा जमीन पर कब्ज़ा किये हे ..इन लोगो ने बहा उनके वर्क परमिट के साथ राशनकार्ड बनाये हे इन्होने पूरे देश के समीकरण के साथ खिलबाड़ किया हे
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महोदय में पूछना चाहता हु कांग्रेसियो और कम्यूनिस्टो से भी कोयम्बतूर और बेंगलूर बम धमाको में जो आतंकबादी हे उसके लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाता हे दो दल मिल कर अपील करते हे की उसे जेल से छुड्बाओ ..क्या यही सेकुलरिज्म हे
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.11 अगस्त २०१२ को मुंबई के आजाद मैदान में जो कुछ हुआ बर्मा के मुश्लिमो और बोद्धो के बीच झगडा होता हे और दंगा मुंबई में होता हे बहा शहीद स्मारक तोडा जाता हे पुलिश के जवानो की हत्या तक करदी जाती हे मीडिया को मारा जाता हे उस पर यही कांग्रेस चुप रहती हे और मीडिया भी चुप रहती हे
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बरेली कानपूर मेरठ लखनऊ पूना में मौन रहे और ये लोग बोले तो किसपे ...जब जो निहत्ते लोग बाबा रामदेव के आन्दोलन में वन्देमातरम का गान करने बालो पर लाठी चार्ज करते हे ..ये लोग देशमे सांप्रदायिक हिंसा की बात करते हे ..किसने इस देशमे सांप्रदायिक हिंसा फैलाई हे कोण इस देश में सांप्रदायिक हिंसा फैला रहा हे
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सन ४७ में देशको सांप्रदायिक अधर पर बांटा हे और अब पूरे देश को सांप्रदायिक आधार पर बाटने की तयारी हे ..पाकिस्तान के एजेंडे पर ये लोग कार्य कर रहे हे
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हमारा नारा तो सबका साथ सबका विकास था असंम में अली और कुली का नारा इनलोगों ने दिया था असम को बाटने और देश से अलग करने की साजिस कर रहे हे क्या यही इनका सेकुलरिज्म हे
उत्तर प्रदेस की घटना इतनी चौकाने बाली हे उत्तर प्रदेश में २०१२ में 118 घटनाये घटित हुई २०१३ में 247 और मार्च से मई तक 65 घटनाये घटित होचुकी हे सहारनपुर का दंगा इसलिए घटित हुआ की हाईकोर्ट के आदेश पर गुरूद्वारे का निर्माण हो रहा था अब न्यायलय के आदेश को उत्तर प्रदेश का प्रशासन नहीं मानेगा उ.प्र. की सरकार नहीं मानेगी
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काठ में इस लिए दंगा होता हे की बहा चार धर्मस्थल हे तीन मज्जिद और एक मंदिर ...मज्जिदो को छोड़ कर केवल मंदिर से लाऊड स्पीकर उतारा जाता हे क्या यही सेक्युलर एजेंडा हे इन लोगो का ..क्या इसी को सेकुलरिज्म कहेगे
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....मेरठ में बालिका का अपहरण होता हे और उसके बाद जो घटना घटित होती हे कितनी शर्मनाक थी मगर इस घटना पर इनकी जुबान बंद होजाती हे ..इस देश में न्याय का तराजू सभी के लिए बराबर चलेगा ...
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अब जब कांग्रेस ने सांप्रदायिक हिंसा की बात उठाई हे तो मेरा गृह मंत्री से अनुरोध हे की अब उत्तर प्रदेश सहित देश में जितनी घटनाये हुई हे उसकी जांच किसी SIT से करायी जाये और उनकी किसकिस के साथ सम्बन्ध हे इसकी भी जाँच होनी चाहिए दूध का दूध होजायेगा
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