ऐसी होगी मोदी जी की स्मार्ट सिटी
अपराधी सड़क पर आया तो फेस स्कैन होकर बजेगा अलार्म
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से जुड़े पहले चार प्रमुख प्रेजेंटेशन सरकार में पेश हो चुके हैं। इनमें विभाग के सचिव के सामने तीसरा और चौथा प्रेजेंटेंशन अब मंत्री वेंकैया नायडू के सामने हुआ है। इस पूरे प्रोजेक्ट का आधार है दुनिया के बड़े शहरों के मॉडल। इन्हें भारतीय शहरों के हिसाब से ढाला जा रहा है। यमुना एक्सप्रेस वे के उदाहरण से इसे समझा जा सकता है। वहां क्लोज्ड सर्किट कैमरों से गाड़ी और पैदल चलने वालों की तस्वीरें खींची जा रही हैं। गाड़ियां कितनी तेज़ चल रही हैं, यह भी रिकॉर्ड हो रहा है। शहरी विकास मंत्रालय के निर्माण भवन में इस प्रोजेक्ट से जुड़े फैसले लिए जा रहे हैं।
100 स्मार्ट सिटी की घोषणा इसी माह संभव है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स के निदेशक जगन शाह के मुताबिक, कोशिश होगी कि लोगों को घर से निकलकर 500 मीटर के फासले पर ही पब्लिक वाहन मिल सके। इससे सड़कों पर निजी वाहनों की संख्या कम होगी और जाम लगने से भी छुटकारा मिलेगा। अाला अफसरों के मुताबिक, यह गलत है कि इस प्रोजेक्ट में नए शहर बनेाने लायक पैसा नहीं है। इसलिए जेएनएनयूआरएम स्कीम वाले 65 शहर और बाकी 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहर स्मार्ट सिटी बनेंगे। शहरी विकास मंत्रालय में सचिव रहे सुधीर कृष्णा के मुताबिक, राज्य और नगर निगमों के संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा।
फेस स्कैन होते ही अपराधी का रिकॉर्ड सामने होगा
(1) पेरिस की तर्ज पर फेस आईडेंटिफिकेशन सिस्टम तैयार किया जाएगा। अपराधियों और संदिग्ध लोगों की तस्वीर के साथ ही डीएनए और अन्य फीचर पहले ही कम्प्यूटर में फीड किए जाएंगे। यह दूसरे शहरों से भी जुड़ेगा।
(2) फेस स्कैन होने के बाद अलर्ट सीधे पुलिस कंट्रोल रूम में पहुंचेगा। इसके बाद संबंधित क्षेत्र में मौजूद पुलिस अपराधी को गिरफ्तार कर पाएगी। इस सिस्टम के जरिए अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकेगा।
(3) क्राइम, हेल्थ सर्विसेस और ट्रैफिक के लिए कंट्रोल रूम बनाए जाएंगे। ये होंगे अलग-अलग, लेकिन एक ही छत के नीचे। इससे फायदा सेवाओं के कोआॅर्डिनेशन में मिलेगा।
(4) स्मार्ट सिटी में सबसे अहम भूमिका होगी डेटा सेंटर की। यहीं शहर की सभी सूचनाओं काे इकट्ठा किया जाएगा।
अपराधी सड़क पर आया तो फेस स्कैन होकर बजेगा अलार्म
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से जुड़े पहले चार प्रमुख प्रेजेंटेशन सरकार में पेश हो चुके हैं। इनमें विभाग के सचिव के सामने तीसरा और चौथा प्रेजेंटेंशन अब मंत्री वेंकैया नायडू के सामने हुआ है। इस पूरे प्रोजेक्ट का आधार है दुनिया के बड़े शहरों के मॉडल। इन्हें भारतीय शहरों के हिसाब से ढाला जा रहा है। यमुना एक्सप्रेस वे के उदाहरण से इसे समझा जा सकता है। वहां क्लोज्ड सर्किट कैमरों से गाड़ी और पैदल चलने वालों की तस्वीरें खींची जा रही हैं। गाड़ियां कितनी तेज़ चल रही हैं, यह भी रिकॉर्ड हो रहा है। शहरी विकास मंत्रालय के निर्माण भवन में इस प्रोजेक्ट से जुड़े फैसले लिए जा रहे हैं।
100 स्मार्ट सिटी की घोषणा इसी माह संभव है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स के निदेशक जगन शाह के मुताबिक, कोशिश होगी कि लोगों को घर से निकलकर 500 मीटर के फासले पर ही पब्लिक वाहन मिल सके। इससे सड़कों पर निजी वाहनों की संख्या कम होगी और जाम लगने से भी छुटकारा मिलेगा। अाला अफसरों के मुताबिक, यह गलत है कि इस प्रोजेक्ट में नए शहर बनेाने लायक पैसा नहीं है। इसलिए जेएनएनयूआरएम स्कीम वाले 65 शहर और बाकी 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहर स्मार्ट सिटी बनेंगे। शहरी विकास मंत्रालय में सचिव रहे सुधीर कृष्णा के मुताबिक, राज्य और नगर निगमों के संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा।
फेस स्कैन होते ही अपराधी का रिकॉर्ड सामने होगा
(1) पेरिस की तर्ज पर फेस आईडेंटिफिकेशन सिस्टम तैयार किया जाएगा। अपराधियों और संदिग्ध लोगों की तस्वीर के साथ ही डीएनए और अन्य फीचर पहले ही कम्प्यूटर में फीड किए जाएंगे। यह दूसरे शहरों से भी जुड़ेगा।
(2) फेस स्कैन होने के बाद अलर्ट सीधे पुलिस कंट्रोल रूम में पहुंचेगा। इसके बाद संबंधित क्षेत्र में मौजूद पुलिस अपराधी को गिरफ्तार कर पाएगी। इस सिस्टम के जरिए अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकेगा।
(3) क्राइम, हेल्थ सर्विसेस और ट्रैफिक के लिए कंट्रोल रूम बनाए जाएंगे। ये होंगे अलग-अलग, लेकिन एक ही छत के नीचे। इससे फायदा सेवाओं के कोआॅर्डिनेशन में मिलेगा।
(4) स्मार्ट सिटी में सबसे अहम भूमिका होगी डेटा सेंटर की। यहीं शहर की सभी सूचनाओं काे इकट्ठा किया जाएगा।
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