यहां टाइगर का है इन्सानों से याराना;
मजे से खिंचवा सकते हैं सेल्फी भी--
टाइगर का इन्सान के साथ याराना..? आपको लग रहा होगा कि यह मजाक है। यह मजाक नहीं, बल्कि एक ऐसा सच है जो आपको हैरान कर देगा। थाईलैन्ड के कंचनबुरी प्रान्त में एक टाइगर टेम्पल है, जहां 150 से अधिक बाघ हैं, लेकिन खास बात यह है कि उनकी दोस्ती इन्सानों से है।
टाइगर का इन्सान के साथ याराना..? आपको लग रहा होगा कि यह मजाक है। यह मजाक नहीं, बल्कि एक ऐसा सच है जो आपको हैरान कर देगा। थाईलैन्ड के कंचनबुरी प्रान्त में एक टाइगर टेम्पल है, जहां 150 से अधिक बाघ हैं, लेकिन खास बात यह है कि उनकी दोस्ती इन्सानों से है।
इस मंदिर में बौद्ध भिक्षु पूजा-अर्चना और तपस्या में लीन होते हैं। और उनके साथ होते हैं ये बाघ, जो बिल्कुल आजाद घूमते हैं। बाहर से आने वाले लोगों के लिए भी ये बाघ खतरा नहीं हैं। यहां तक कि आप उनके साथ सेल्फी तक खींच सकते हैं। यहां बाघों और इन्सानों को देखकर लगता है कि इनके बीच जैसे कई जन्मों का रिश्ता हो।
इस टाइगर टेम्पल की स्थापना हुई थी वर्ष 1994 में। थाइलैन्ड और वर्मा की सीमा पर स्थित इस टेम्पल को शुरू से ही वन्य जीव संरक्षण से जोड़ दिया गया था।
शुरू में तो यहां कुछ जंगली जानवर और पक्षी ही रहा करते थे, लेकिन वर्ष 1999 में यहां शेर के बच्चे का लालन-पालन शुरू हुआ। धीरे-धीरे यहां शेरों की संख्या बढ़ती गई और यह टाइगर टेम्पल के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
बौद्ध भिक्षुओं का समूह इन टाइगरों को इस तरह से पालते हैं कि ये इन्सानों को अपना दोस्त समझने लगते हैं। इन्सान और पशु का यह प्रेम कहीं अन्यत्र देखने को नहीं मिलता।
इस टाइगर टेम्पल की स्थापना हुई थी वर्ष 1994 में। थाइलैन्ड और वर्मा की सीमा पर स्थित इस टेम्पल को शुरू से ही वन्य जीव संरक्षण से जोड़ दिया गया था।
शुरू में तो यहां कुछ जंगली जानवर और पक्षी ही रहा करते थे, लेकिन वर्ष 1999 में यहां शेर के बच्चे का लालन-पालन शुरू हुआ। धीरे-धीरे यहां शेरों की संख्या बढ़ती गई और यह टाइगर टेम्पल के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
बौद्ध भिक्षुओं का समूह इन टाइगरों को इस तरह से पालते हैं कि ये इन्सानों को अपना दोस्त समझने लगते हैं। इन्सान और पशु का यह प्रेम कहीं अन्यत्र देखने को नहीं मिलता।
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