शैलेंद्र सिंह की ईसाई मिशनरियों की चालों को उजागर करती हुई लेखमाला की अगली कड़ी -
बाइबल - बाइबल शब्द की उत्पत्ति लैटिन , ग्रीक शब्द बिबिलिया (bibila) से हुई है जिसका मतलब होता है किताबों का संग्रह तो पहला भ्रम यह दूर कर ले की बाइबल कोई एक किताब न होकर किताबों का संग्रह है , जिसके प्रमुख दो भाग हैं ओल्ड टेस्टामेंट (पुराना नियम) और न्यू टेस्टामेंट (नया नियम ) ।
अब आते हैं किताबों की संख्या पर जिसपर आज भी मतभेद है अगर प्रॉटेस्टंट ईसाइयों की बात माने तो पुराने नियम और नए नियम को मिलाकर कुल 66 किताब हैं ( ओल्ड टेस्टमेंट 39 और न्यू टेस्टमेंट 27) , वही अगर कैथोलिक या ईस्टर्न ईसाइयों की माने तो कुल 73 हैं ( ओल्ड टेस्टमेंट 46 और न्यू टेस्टमेंट 27 ) इस तरह कुल 7 किताबों का अंतर है
जिस पर कई बार सम्मेलन हो चुके हैं लेकिन अभी तक किताबों की संख्या को लेकर कोई आम सहमति नहीं बन पाई है यह जानबूझकर हटाई या कम की गई हैं लेकिन दोनो में से कोई भी यह मानने को तैयार नहीं है की सही संख्या कौन सी है
अब जैसा की हमारे हलेलूईया पास्टर , फ़ाधर , पोप या जो कुछ भी आप लोग बोलते हैं , उनका कहना है की मुक्ति का मार्ग सिर्फ़ यही है की इशु की शरण में आ जाओ वही अगर प्रकाशित वाक्य जो की न्यू टेस्टमेंट का पार्ट है उसको देख जाए तो
प्रकाशित वाक्य अध्याय : वर्सेज़ (22:18,19)
18 मैं हर एक को जो इस पुस्तक की भविष्यद्वाणी की बातें सुनता है, गवाही देता हूं, कि यदि कोई मनुष्य इन बातों में कुछ बढ़ाए, तो परमेश्वर उन विपत्तियों को जो इस पुस्तक में लिखीं हैं, उस पर बढ़ाएगा।
19 और यदि कोई इस भविष्यद्वाणी की पुस्तक की बातों में से कुछ निकाल डाले, तो परमेश्वर उस जीवन के पेड़ और पवित्र नगर में से जिस की चर्चा इस पुस्तक में है, उसका भाग निकाल देगा॥
यह वही पवित्र पेड़ है जिसका वर्णन जेनेसिस में किया गया माने स्वर्ग का वृक्ष ( मोक्ष ) , मुक्ति का ठिकाना । तो इस हिसाब से अगर किताबों की संख्या 73 है तो प्रॉटेस्टंट ईसाई शापित हैं उनको मोक्ष नहीं मिलेगा (हमारे यहाँ के कन्वर्टेड हलेलुइया ) क्यूँ की वर्सेज़ 18 में ऐसा कहा गया है , और यदि इसके उलट सही संख्या 66 है तो कैथोलिक , ईस्टर्न ईसाई शापित हैं जो की ख़ुद को मूल इशु का वंशज मानते हैं (शेम के वंश वृक्ष) ।
तो इस तरह से किसी को मुक्ति नहीं मिलने वाली और यह लोग पूरी दुनिया को हलेलूईया बनाकर मुक्ति दिलवा रहे हैं जा
जब भी कोई पास्टर आपको मिलता है उससे यह सवाल ज़रूर कीजिए एक तो हैम के वंशज शापित ऊपर से किताब का झगड़ा अलग तो पहले अपना निपटारा करो भाई !
आगे अन्य ख़ुलासे जारी .....
अगले भाग में नए नियम के फ़र्ज़ी होने का ख़ुलासा
अगले भाग में नए नियम के फ़र्ज़ी होने का ख़ुलासा
#हलेलूईया #भाग_8
हलेलूईया भाग 5 में जेनेसिस को उद्धृत करते समय हैम के शापित होने और उसके वंशजों को आजीवन ग़ुलामी करने (येपेथ और शेम के वंशजों की ) के कर्स माने श्राप का ज़िक्र किया था अब इस कड़ी में देखिए की दुनिया के कौन से हिस्से को ईसाई मिशनरीज़ इस षड्यंत्र में रखती है
जोशुआ में सबसे पहली बात हुई थी 10/40 विंडो की जिसका मतलब सीधा ग्लोब पर (10 degree अक्षांश 40 degree देशांश ) को रखा गया है जिसमें प्रमुख रूप से अफ़्रीका , यूरोप के कुछ हिस्से , भारत , पाकिस्तान , बांग्लादेश और चाइना है (लगभग पूरा एशिया )।
अफ़्रीका का हाल किसी से छुपा नहीं वहाँ के लिए एक कहावत है जो बहुत फ़ेमस है की जब ईसाई वहाँ आए तो
"उनके (मिशनरीज़) हाथ में बाइबल थी और अफ़्रीकियो के पास ज़मीन फिर उन्होंने कहा आँखें बंद करो प्रभु का ध्यान करो और जब आँखें खोली तो हमारे हाथ में बाइबल थी और उनके पास ज़मीन "
उनका प्लान यही है पहले तलवार बंदूक़ और तोपो के बल पर लूटा ग़ुलाम बनाया जो की उनका ओल्ड टेस्टामेंट कहता था अब न्यू टेस्टामेंट (बाइबल के नए नियम ) बनाए और उसके अनुसार कन्वर्ट करते हैं और लूटते हैं
यह 10/40 विंडो को वो लोग हार्वेस्ट बोलते हैं माने हम लोग हार्वेस्ट हैं यह इतना बड़ा भूभाग क़ब्ज़ा करने की उनकी नीति बहुत आराम से अंजाम की तरफ़ जा रही चाइना को अगर आप लोग ढंग से नहीं जानते तो बता दूँ की वहाँ भी लगभग 8-10 करोड़ ईसाई हो चुके हैं लेकिन चाइना की दमनकारी नीतियों की वजह से उनके पैर पसारने में दिक़्क़त हो रही है और अब तो चाइना बहुत ही सख़्ती से निपटने को तैयार है हाल ही में उसने दोनो के बीच हुए समझौते को तोड़ते हुए पादरी नियुक्त करने के वैटिकन के अधिकार समाप्त कर दिए हैं
भारत में यह काम खुलेआम चल रहा है पिछले लगभग तीन सौ सालों से , जिसमें प्रमुख सहयोग देने वाले कुछ नेता जो की विगत वर्षों में देश का शीर्ष नेतृत्व संभाल रहे थे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से , वामपंथी , दलित चिंतक और मिशनरीज़ शामिल हैं
कुछ के नाम लिख रहा हूँ काँचा इलैया , रोमिला थापर , इरफ़ान हबीब इत्यादि इस षड्यंत्र के प्रमुख हिस्से हैं काँचा इलैया की बक़ायदा आफ़्रो दलित प्रोजेक्ट में सदस्यता है , यह हम लोगों को आपस में जुड़े हुए कभी नहीं दिखते हैं उसकी वजह है
#केआस_थियरी शुरुआत में सभी चीज़ें और घटनाए तितर बितर प्रतीत होती है और उनका आपस में कोई सम्बंध नहीं प्रतीत होता है लेकिन वह सब कड़ियाँ ध्यान से देखने पर किसी ख़ास उद्देश्य या नियति से जुड़ी होती हैं यही इनके काम करने का तरीक़ा है
इनके उल ज़लुल बयान टेक्स्ट किताबें सब की सब धर्म पर प्रहार करने को केंद्रित हैं कहने को यह ईश्वर विरोधी हैं परंतु असल में ऐसा कुछ भी नहीं है यह सिस्टम को तोड़ने का काम करते हैं इनकी वजह से बिखराव जन्म लेता है जो एक भीड़ का निर्माण करता है दिशाबिहीन !
अब मिशनरीज़ का काम सुरु होता है और वह मुक्ति के एक मात्र उपाय यहोवा की शरण ( उनके अनुसार ) में लाने का कार्य करती हैं
आप कभी तमिलनाडु या अन्य जगहों पर जहाँ दलित और आदिवासियों की संख्या अधिक है उधर का मुआयना कीजिए यह किस क़दर घुसे हुए हैं सिस्टम में आपको समझ आएगा आस पास की ज़मीन मिशनरीज़ क़ब्ज़ा कर चुकी हैं स्कूल सारे मिशनरीज़ द्वारा या उनके सदस्यों द्वारा संचालित हैं आप अपने बच्चे को दाख़िला तक नहीं दिलवा सकते हैं
भारत को तोड़ने के प्रमुख हथियारों का ज़िक्र अब आगे भाग में किया जाएगा जारी.......
जय भवानी
✍🏻
शैलेंद्र सिंह
✍🏻
शैलेंद्र सिंह
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