Saturday, 10 March 2018

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खतरा है या अपनों से ही...

जब प्राचीन चीनीओं ने शांति से रहने का फैसला किया, उन्होंने चीन की महान दीवार बना दी। उन्होंने सोचा कि कोई भी इसकी ऊँचाई के कारण इस पर चढ़ नहीं सकेगा।
दीवार बनने के उपरांत, पहले 100 वर्षों के दौरान, चीनीओं पर तीन बार आक्रमण किया गया। और हर बार, दुश्मन की सेना को दीवार में सेंध लगाने या चढ़ने की कोई जरूरत नहीं पड़ी ...
क्योंकि हर बार वे गार्ड को रिश्वत देते थे और दरवाजे के माध्यम से घुस जाते थे ।
चीन ने दीवार का निर्माण किया, लेकिन दीवार के पहरेदारों का चरित्र निर्माण भूल गया! इस प्रकार, मानव चरित्र का निर्माण किसी और चीज के निर्माण से पहले आता है ।
हमारे छात्रों को आज इसी चीज़ की जरूरत है ।
किसी प्राच्य (ओरिएंटलिस्ट) ने कहा है : यदि आप किसी राष्ट्र की सभ्यता को नष्ट करना चाहते हैं तो 3 तरीके हैं:
1. परिवार की संरचना को नष्ट।
2. शिक्षा को नष्ट करें।
3. उनके रोल मॉडल और संदर्भों को कम करें।
1. परिवार को नष्ट करने के लिए: माँ की भूमिका को कम कर दीजिये, ताकि वह एक गृहिणी होने में शर्म महसूस कर सके।
2. शिक्षा को नष्ट करने के लिए: शिक्षक को कोई महत्व नहीं देना चाहिए और समाज में उसका सम्मान कम कर देना चाहिए ताकि छात्र उसे तुच्छ समझें।
3. रोल मॉडल को कम करने के लिए: विद्वानों को कमजोर करना चाहिए। उन पर इतना संदेह करना चाहिए कि कोई भी उनसे बात न करे और ना ही कोई उनका अनुसरण करे।
जब एक सचेत और समर्पित माता गायब हो जाती है, एक समर्पित शिक्षक गायब हो जाता है और रोल मॉडल्स का पतन हो जाता है, तो युवाओं को मूल्यों की शिक्षा देने वाला कोई भी नहीं बचता।
चिंतन का विषय यह है कि हमारे देश / समाज को बाहरी दुश्मन से खतरा है या अपनों से ही।
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किसी भी तथ्य का मूल्यांकन करने के लिए तार्किक होना आवस्यक है किन्तु हम वर्तमान परिस्थितियों में सही तर्क का चुनाव करने में असमर्थ है जिसके कारण एक संदेह का वातावरण निर्मित होता है,,
हम लोगों ने पाश्चात्य संस्कृति की मेहनत और लगन को दरकिनार कर केवल उसकी विलासिता को अपनाया है,,,
जिसके कारण हमारे नैतिक मूल्यों का छरण हो गया...और जिस समाज में नैतिकता हासिये पर हो उस समाज का पतन निश्चित है,,,

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रावण इसलिए नहीं हारा की राम ताक़तवर था बल्कि वह इसलिए हारा क्यूंकि उसका भाई विभीषण था बाली भी इसलिए मारा गया क्यूंकि उसका भाई सुग्रीव था हिरणकश्यप हिरणयाक्ष होलिका इसलिए नहीं मारे गए की दुश्मन ताकतवर थे बल्कि इसलिए मारे गए क्यूंकि उन्होंने प्रहलाद को पैदा किया हम आज भी गुलाम इसलिए नहीं है की शोषक ताकतवर है बल्कि हम गुलाम इसलिए है की आज हमारे लोग पढ़ लिखकर विभीषण, सुग्रीव और प्रहलाद की भूमिका निभा रहे है

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