Wednesday, 14 March 2018


अयोध्या में बाबरी ढांचे के नीचे मिले मंदिर के 85 पिलर बेस और मूर्तियां...

बाबरी मस्जिद के नीचे से भगवान राम के मंदिर के सबूत मिलने अभी तो शुरू हुए थे। जैसे जैसे खुदाई आगे बढ़ी पुरातत्वविदों की आंखें खुली की खुली रह गईं। ऐसा हुआ मानो अयोध्या की जमीन खुद राम के सबूत पेश कर रही हो। अंग्रेजों के जमाने में कई बार ये फैसला हुआ कि जन्मभूमि पर हिन्दूओं को पूजा का हक है क्योंकि वहां मंदिर ही था लेकिन हर बार किसी न किसी बहाने फिर विवाद पैदा किया गया और मामला कोर्ट में पहुंच गया और अब जो सबूत मिले उससे दूध का दूध और पानी का पानी हो गया।

अयोध्या में दो बार खुदाई हुई। सवाल दोनों बार एक था, मस्जिद के नीचे मंदिर है या नहीं, मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई या नहीं। एक बार खुदाई 1977 में हुई और दूसरी बार 2003 में। दोनों बार खुदाई के वक्त एक अन्तर था। जब पहली बार खुदाई हुई तो विवादित जमीन पर बाबरी मस्जिद खड़ी थी और दूसरी बार जब खुदाई हुई तब बाबरी मस्जिद का नामो निशान नहीं था।

चालीस साल पहले अयोध्या में हुई खुदाई के वक्त ASI के चीफ थे प्रोफेसर बीबी लाल। इस टीम में ASI के अफसर केके मोहम्मद भी थे। ASI की टीम को एक दो नहीं पूरे चौदह पिलर मिले। सारे पिलर मंदिर के थे लेकिन इन पर बाबरी मस्जिद खड़ी थी। काले पत्थर के इन पिलर्स पर हिन्दू पूजा पद्धति के चिन्ह भी साफ दिख रहे हैं। इन पत्थर के पिलर्स पर मूर्तियां भी हैं। किसी मस्जिद में हिन्दू मान्यताओं के निशान का क्या मतलब?

1977 में मस्जिद के बाहर पिलर बेस मिले जो एक लाइन में थे और बराबर दूरी पर थे। इस तरह के पिलर बेस और उसकी संरचना मंदिरों में मंडप बनाने के लिए इस्तेमाल होती है। चूंकि उस वक्त बाबरी ढ़ाचा खड़ा था इसलिए ये पता नहीं लगाया जा सका कि ये पिलरबेस कहां तक जाते हैं। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई। 2003 में हाईकोर्ट के आदेश से फिर खुदाई हुई।

इस बार खुदाई का नेतृत्व किया ASI के अफसर बी आर मणि ने। चूंकि बाबरी ढ़ांचा 1992 में जमींदोज हो चुका था इसलिए इस बार खुदाई उस जगह पर भी हुई जहां बाबरी मस्जिद खड़ी थी। खुदाई में सबसे पहले पिलरबेस मिले। 1977 में दस पिलरबेस मिले थे लेकिन 2003 में 85 पिलरबेस मिले। यानि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनी और उसके पिलर्स का इस्तेमाल हुआ और मंडप के खंभों को तोड़ पर उस जमीन को समतल कर दिया गया।

बाबरी मस्जिद के नीचे से भगवान राम के मंदिर के सबूत मिलने अभी तो शुरू हुए थे। जैसे जैसे खुदाई आगे बढ़ी पुरातत्वविदों की आंखें खुली की खुली रह गईं। ऐसा हुआ मानो अयोध्या की जमीन खुद राम के सबूत पेश कर रही हो। उमामहेश्वर की मूर्ति जिसके हाथ में त्रिशूल है, कुबेर की मूर्ति, देवी-देवताओं की मूर्ति, भगवान शिव का वाहन नंदी, पत्थरों पर मौजूद कमल की आकृति इन सभी पुरातत्वों को उसी विवादित हिस्से की खुदाई कर निकाला गया जहां राम मंदिर औऱ बाबरी मस्जिद का विवाद चल रहा है।

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