Tuesday, 27 March 2018



नाना पाटेकर बॉलीवुड के वह एक्टर हैं, जिनके पास न तो सिक्स पैक एब्स हैं, न ही एक हॉट लुकिंग फेस. बावजूद इसके वह जब भी स्क्रीन पर आते हैं, बड़े से बड़ा एक्टर उनके आगे छोटा नज़र आता है.

ऐसा इसलिए, क्योंकि उनके पास डायलॉग डिलीवरी का एक खास अंदाज है, जो उन्हें लोकप्रिय बनाता है. फिल्म में उनके महज डायलॉग नहीं होते थे, बल्कि उसमें एक सच्चाई छलकती थी. यही कारण है कि दर्शकों को वह सबसे ज्यादा छूते थे.

चूंकि, बॉलीवुड फिल्मों में जिंदगी की असलियत बताने वाले का उनका अंदाज लोगों को हमेशा से भाता रहा है, इसलिए उनको तस्वीरों में जानना दिलचस्प रहेगा-1 जनवरी 1951 को महाराष्ट्र के रायगड जिले में नाना पाटेकर का जन्म हुआ था. वह एक आम मराठी घर से थे, जहां शायद ही किसी ने कभी बॉलीवुड में जाने का मन बनाया होगा. हालांकि, नाना को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था. वह कुछ अलग करना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने कम उम्र में ही नुक्कड़ नाटकों में काम करना शुरू कर दिया. उनकी एक्टिंग में एक दम था, जो शुरुआत में ही झलकने लगा था दिलचस्प बात तो यह थी कि नाना की नन्हीं आंखें उस उम्र में एक फिल्म स्टार बनने का सपना देख रही थी, जिस उम्र में उनके अपने पिता उन्हें छोड़कर चले गए थे. इससे नाना का परिवार आर्थिक तंगी का शिकार था. पिता के जाने के बाद परिवार की हालत इतनी खराब थी कि नाना को स्कूल के बाद काम तक करना पड़ा. वह फिल्मों कि पोस्टर चिपकाया करते थे. इस दौर में शायद नाना ने सोचा होगा कि एक वक्त ऐसा भी आएगा, जब उनकी खुद के फिल्मों के पोस्टर चिपकाए जाएंगे खैर, वक़्त के साथ नाना का जीवन सुधरा. उन्होंने शादी करके अपना घर भी बसा लिया. वह बात और है कि इस पड़ाव पर उनके अंदर एक्टिंग का चस्का ख़त्म नहीं हुआ. यह देखते हुए उनकी पत्नी ने ही उन्हें फिर से थिएटर पर ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित किया नाना ने पत्नी को निराशा नहीं किया और थिएटर में अपनी एक्टिंग को सुधारने में लग गए. जल्द ही उनकी मेहनत रंग लाई और उनकी बॉलीवुड में इंट्री हो गई. 1978 में उन्हें गमन नाम की फिल्म में काम करने का मौका मिला.इस फिल्म में नाना का किरदार बहुत छोटा था, मगर उसमें उन्होंने सभी का दिल जीत लिया. आगे उन्होंने कुछ-एक मराठी फिल्मों में भी काम किया. वहां नाना को एक अलग पहचान मिली.कहते हैं कि जिस तरह नाना स्क्रीन पर अपने किरदार को जीवित करते थे, वह उस दौर में बहुत कम लोग कर पाते थे. लोगों ने अभी तक चिकने, गोरे और प्यार भरी बातें करने वाले हीरो ही देखे थे, मगर किसी ने भी नाना की तरह दाढ़ी वाला और कड़वी बातें करने वाला व्यक्ति नहीं देखा था धीरे-धीरे बॉलीवुड ने भी नाना की कला को निहारना शुरू किया. थोड़े ही समय में उन्हें आज की आवाज़, अंकुश, प्रतिघात और मोहरे जैसी फ़िल्में मिली, जिनमें उन्होंने अपनी एक्टिंग से धमाल मचा दिया.इसी कड़ी में 1989 को आई नाना की फिल्म ‘परिंदा‘ ने उनकी जिंदगी ही बदल दी. उस फिल्म में उन्होंने एक डॉन की इतनी सच्ची और अच्छी एक्टिंग की थी कि, उन्हें उसके लिए नेशनल और फिल्म फेयर अवार्ड मिला. वह फिल्म बहुत बड़ी हिट हुई थी और 1990 में इंडिया की तरफ से ऑस्कर के लिए गई आगे 1991 में उन्होंने प्रहार फिल्म से अपना डॉयरेक्शनल डेब्यू किया. हालांकि, उन्होंने अभिनय करना नहीं छोड़ा और 1992 में फिल्म अंगार में विलन की भूमिका में दिखे थे जैसे-जैसे नाना पाटेकर फ़िल्में करते जा रहे थे, उनके डायलॉग और भी ज्यादा बढ़िया होते जा रहे थे. अपने डायलॉग की हद तो उन्होंने अपनी अगली दो फिल्म तिरंगा और क्रांतिवीर में पार कर दी. इन फिल्मों में उनके हर डायलॉग पर सिनेमाघरों में तालियाँ बजीं.क्रांतिवीर में आखिरी सीन में नाना पाटेकर का डायलॉग आ गए मेरी मौत का तमाशा देखने…सुनकर तो हर किसी के रोंगटे खड़े हो गए थे. कहते हैं कि उस सीन के लिए ही उन्हें एक बार और नेशनल अवार्ड मिला.(सफलता पाने के बाद नाना की कई फ़िल्में फ्लॉप भी रही. हालांकि, उसके बाद उन्होंने शक्ति, अब तक छप्पन, और अपहरण जैसी सुपरहिट फ़िल्में भी की. वहीं उन्होंने टैक्सी नंबर 9211 और वेलकम में कॉमेडी में भी अपना जौहर दिखाया 2013 में आई उनकी फिल्म ‘दी अटैक्स ऑफ़ 26/11’ में उन्होंने मुंबई हमले का वह चेहरा दिखाया, जिसपर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया था व्यक्तिगत जीवन में नाना किसी आम इंसान के जैसे ही हैं. वह अपनी अधिकतर कमाई किसानों में बाँट देते हैं. इतना ही नहीं, जो किसान पैसों की तंगी के कारण आत्महत्या कर लेते हैं. उनके परिवार को भी नाना अपनी और से मदद पहुंचाने की कोशिश करते हैं महाराष्ट्र में किसानों की मदद करने के लिए नाना हमेशा कुछ न कुछ करते रहते हैं. कभी वह ट्विट्टर पर कैम्पेन चलते हैं, तो कभी अपने एनजीओ से उनके लिए पैसे इकट्ठे करते हैं. तरीका जो भी हो वह जरूरतमंद के लिए हमेशा हाथ बढ़ाते हैं (Pic: indiapages)

बॉलीवुड में नाना पाटेकर जैसा एक्टर शायद ही कोई होगा. बॉलीवुड में जिन चीजों को एक कमी माना जाता है, उन्हीं को अपनी ताकत बनाकर नाना पाटेकर ने अपना नाम कमाया.

वह उन चुनिंदा एक्टरों में से हैं, जो किसी भी किरदार को जिंदा कर सकते हैं.

यूँ ही नहीं उन्हें बड़ा एक्टर माना जाता है.

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