Monday 12 March 2018


कुशाग्र मिश्र के लिए
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विश्व में नयी व्यवस्था आना निश्चित है , शान्ति से हो या युद्ध से , यह इस्लाम और ईसाइयत पर निर्भर है
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प्रिय कुशाग्र ,
तुम्हारा उत्तर देने में विलंब हो गया .अब मैंने तुम्हारी सब पोस्ट ध्यान से पढ़ ली है और अत्यंत प्रसन्न हुआ हूं इसलिए अब उत्तर दे रहा हूं .क्रमशः
1) तुम्हारी अधिकांश बातें एकदम सही हैं
२ )तुमने कुसुम लता जी को श्रद्धा से सुना है और तुम्हें भारत के भविष्य के विषय में सच्ची श्रद्धा है इसलिए मैं तुमको पहली बार यह तथ्य बता रहा हूं कि:
3) पहली बात यह है कि श्री नरेंद्र मोदी जी कम से कम 2029 ईस्वी तक शासन करेंगे, ऐसा स्पष्ट रुप से आदरणीय प्रोफेसर कुसुमलता केडिया जी को अंतर दृष्टि से दिखा है और मुख्य बात यह है कि यह उन्होंने 2013 में अनेक महत्वपूर्ण लोगों की उपस्थिति में वाराणसी में एक बड़े ज्योतिषी के समक्ष कहा था जिन्होंने गणना करके बताया था कि इस मुहूर्त में केडिया जी का कथन अक्षरशः सत्य होगा अतः तुम्हारी यह बात सही है कि भारत को विश्व की महाशक्ति बनने से कोई भी नहीं रोक सकता परंतु इस पर अधिक जोर देने से कहीं प्रमाद ना हो जाए इसलिए सामान्यतः इसे बारंबार नहीं दोहराना चाहिए.
4) दूसरी बात यह है कि तुम मेधावी और अध्ययनशील हो और इसलिए देश के प्रति तुम्हारा बहुत बड़ा कर्तव्य है .शीघ्र ही तैयार होकर विद्या और लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हो जाओ .यह तुम्हारा कर्तव्य है.
५ ) तीसरी बात यह है कि यह सत्य है कि यहूदी बौद्ध पारसिक पैगन (यूरोप की जातियां )और न्यू साइंस वाले वैज्ञानिक तथा पर्यावरण आंदोलन --यह सब मिलकर हिंदू धर्म के साथ एक बहुत बड़ी शक्ति बनकर उदित हो रहे हैं.
६ ) चौथी बात यह भी सत्य है कि मध्य युग में ईसाई चर्च ने यहूदियों को तथा सूर्यवंशी यदुवंशी और शक , हूंण तथा तुरुष्क , जो कि सब भारतीय क्षत्रिय हैं ,उनके वंशजों को बहुत अधिक सताया है और बलपूर्वक उन्हें बपतिस्मा देकर अपने में समाहित किया है.
७ ) पांचवी बात यह भी सत्य है कि वह सब भीतर से प्रतिशोध की आग में जल रहे हैं और वंश परंपरा से उन्होंने यह स्मृति संजोयी है कि यदि सही समय आ जाता है और हिंदुत्व , यहूदी एवं बौद्ध धर्म का उत्कर्ष विश्व स्तर पर होता है तो ऐसे सभी पीड़ित लोग जो भय वश ईसाई पादरी के रूप में कार्यरत हैं और उनमें से कुछ एक पोप भी बने हैं, वे सभी सहसा अपने को सनातन धर्म के उपासक ,सूर्य पूजक ,शिवपूजक और बहु देव -देवी पूजक घोषित कर देंगे . उनकी यह पूरी तैयारी है.
८ ) छठी बात यह है कि इस बात को सबसे ज्यादा तो यूरोप के पादरी आदि जानते हैं जो खरबों डालर भारत तथा एशिया और अफ्रीका में ईसाइयत के फैलाव में लगाकर जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं ताकि किसी प्रकार विश्व में फिर से बहुदेववाद और सनातन धर्म का प्रकाश अपनी पूरी प्रभा के साथ न फैले .
९ ) सातवी बात यह है कि लुसिफर गॉड यानी सूर्य देवता की पूजा करने वाले अनेक लोग और कई प्रमुख पादरी हैं जो हृदय से हिंदू धर्म के प्रति आत्मीय हैं पर वे सब यूरोप में हैं ,भारत में नहीं ..
१० ) आठवीं बात यह है कि यूरोप के अनेक राज घराने स्वयं को सूर्य पूजक और सूर्य वंशी मानते हैं.
११ ) नौमी बात यह है कि तुम्हारा यह कथन सत्य है कि हॉलीवुड हिंदू धर्म बौद्ध धर्म और यहूदी धर्म का एक बहुत बड़ा केंद्र है और संगीत ऐसी सूक्ष्म किंतु अत्यंत प्रभावशाली विद्या के द्वारा वह मानव जाति के चित्त को उस प्रकार से कोमल बना रहे हैं ताकि सनातन धर्म का बहु पंथ वाद, बहु देव वाद स्वयं में समस्त विश्व में स्वीकृत हो जाए और इस प्रकार वह मानव जाति के कल्याण में बहुत बड़ा योगदान दे रहे हैं .
पॉप सिंगर और अनेक श्रेष्ठ अभिनेता तथा अभिनेत्रियां जिनका तुमने नाम बताया है वह सब इसमें बहुत बड़ा योगदान दे रहे हैं और मानव जाति उनके प्रति सदा कृतज्ञ रहेगी.
१२ ) दसवीं बात यह है कि यह सत्य है कि रोम में शकों का राज्य था जो भरतवंशी क्षत्रिय थे और जिन्हें कई बार भारत के सम्राटों ने अपने अधीन भी किया जिनमें सम्राट विक्रमादित्य का नाम सर्वोपरि है. सभी शक सम्राट मूलतः भरतवंशी क्षत्रिय ही थे.इसी प्रकार यवन वस्तुतः चंद्रवंशी सम्राट एल के ही वंशज हैं और इसीलिए वे आज तक स्वयं को एल या हेल गणराज्य ही कहते हैं.
१३ ) ग्यारहवीं बात यह है कि यह भी पूर्ण सत्य है कि महाभारत के युद्ध में 17 वीं रात को जो अनेक कुरु वंशी भागे थे , वे जाकर अरब और सीरिया आदि क्षेत्रों में बसे और वे सब के सब कुरु वंशी ही हैं.. कुरु शब्द से कुरुष और कुरैशी शब्द बने हैं और इस प्रकार मुहम्मद साहब जो पैग़ंबरे इस्लाम हुए , वे वस्तुतः मूल रूप में कुरु वंशी हैं और उनके पूर्वज शिवपूजक तथा बहुदेव पूजक थे .
१४ ) अगली बात यह है इस्लाम शब्द वस्तुतः ईशालयम जो मक्केश्वर महादेव मंदिर का ही नाम था , से ही बना है परंतु इसका अधिक महत्व इसलिए नहीं है कि मूल अर्थ की विस्मृति हो गई है और अब वे लोग सब विराट परमसत्ता के विरोधी होकर केवल एक देव रूप के उपासक हो चुके हैं और उनका स्मृति भ्रंश हो चुका है इसलिए अतीत का स्मरण करने से कोई लाभ नहीं .वर्तमान में वे सनातन धर्म के विरुद्ध युद्ध रत समूह हैं , यह वर्तमान का सत्य है .
१५ ) अगली बात यह है कि मक्केश्वर महादेव की स्थापना हिंदू सम्राट ने ही कराई थी और स्वयं मोहम्मद साहब के चाचा उसके एक पुजारी थे तथा गृह कलह और पारिवारिक विद्वेष के भाव के चलते उस पवित्र मंदिर को तोड़ा गया तथा इसमें कभी भी उसकी पुनः प्राण प्रतिष्ठा हो सकती है और तुर्क से लेकर विशाल अफ्रीकी क्षेत्र के समस्त सच्चे धर्म निष्ठ लोग फिर से शिव पूजा को अपना सकते हैं.पर उसके लिए शक्तिशाली हिन्दू राष्ट्र आवश्यक है .
१६ ) अगली बात यह है कि भारत का सही इतिहास लिखना आवश्यक है क्योंकि वर्तमान में इतिहास के नाम पर जो कूड़ा फैला हुआ है ,वह तो केवल कचरे में डाल देने के लायक ही है . उसे किसी भी प्रकार इतिहास नहीं कहा जा सकता .वह तो छोटे-छोटे जागीरदारों को भारत का सम्राट बताने की मूर्खता से रचा गया है.
१७ ) तुम्हारी यह बात भी सच है कि बप्पा रावल का साम्राज्य बगदाद तक था और इराक तथा अफगानिस्तान में राणा सांगा और राणा कुंभा का भी वर्चस्व था . भारत का इतिहास सम्राट बप्पा रावल, महाराणा सांगा महाराणा कुंभा और महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज , यादव राज्य , चोल , चेरि पांड्य राज्य , सातवाहन राज्य , विजयनगर साम्राज्य , मराठा साम्राज्य , सिख साम्राज्य ,पल वंश का साम्राज्य आदि को ही केंद्र में रखकर लिखा जाएगा, ना कि बाबर से लेकर औरंगजेब तक मामूली लोगों को केंद्र में रखकर. अभी जो लिखा गया है वह मूर्खों का प्रलाप है .पर शक्ति तो चाहिए न .शक्ति हीन सत्य को कौन पूछता है ? शकिशाली झूठ को तो सब पूज रहे हैं
यह सत्य है कि इन मुस्लिम बने लोगों ने भयंकर पापाचार अत्याचार और दुराचार किए हैं जिसकी हिंदुओं के चित्त में गहरी छाप है . पर उनकी बर्बरता की भयावहता से आतंकित होकर उनको विशाल दर्शाना गलत है .क्रूर होने के लिए बहुत शक्तिशाली होना आवश्यक नहीं है .
जिसे मुस्लिम काल कहा जाता है उसमें भारत में बड़े-बड़े हिंदू सम्राट और महाराजा महारानियां शासन कर रहे थे.
१८ ) तुम्हारा यह कथन सत्य है कि यहूदी वस्तुतः यदुवंशी हैं . द्वारिका नगरी के समुद्र मग्न होने के समय जो १०० जातियां या जनसमूह वहां से पलायन कर गए थे , वही जाकर उस क्षेत्र में रुके जहां आज इसराइल है और यहूदी मूलतः यदु वंशी ही हैं .
अतः तुम्हारा यह कथन सत्य है कि डोनाल्ड ट्रंप द्वारा यरुशलम को यहूदियों की राजधानी घोषित करना विश्व इतिहास में नया युगांतकारी मोड है और शीघ्र ही यरुशलम एक बहुत बड़ी शक्ति बने, इसमें भारत और अमेरिका दोनों का हित है, इजराइल का तो है ही .
१९ ) यदुवंशी यहूदियों ने बहुत बड़े-बड़े आर्थिक साम्राज्य स्थापित किए हैं और वे विश्व को नियंत्रित कर रहे हैं , अतः उनके साथ मिलकर हिंदुओं को काम करना ही चाहिए और करना ही होगा .
२० ) नई विश्व व्यवस्था के विषय में तुमने एकदम सही लिखा है और यह शीघ्र ही विश्व से एक पंथ वादियों के पापपूर्ण इरादों को विफल करके एक नया विश्व रचेंगे जिसमें यूरोप के समस्त पैगन और बहुपंथवादी लोग तथा न्यू साइंस के वैज्ञानिक और पर्यावरणवादी समूह और स्वयं को सूर्य पूजकों का उत्तराधिकारी मानने वाले अनेकानेक बड़े लोग, हिंदुओं बौद्धों , यहूदियों और पारसीको का साथ देंगे तथा तिब्बत और चीन की बहुत बड़ी आबादी उनका अनुसरण करेगी .
इस प्रकार एक नए विश्व का निर्माण सुनिश्चित है.
परंतु यदि एक पंथ वादियो ने बहुत जिद की और हठ किया तो विश्वयुद्ध भी सुनिश्चित है .अतः उसकी भी पूरी तैयारी होनी चाहिए और भारत की सैन्य संख्या बहुत अधिक बढ़नी चाहिए तथा आधुनिकतम शस्त्रास्त्रों का संग्रह भारत को करना चाहिए क्योंकि अंतिम निर्णय युद्ध के द्वारा ही होगा ऐसा लगता है .
तुमने जो जो लिखा है वह सब सत्य है सिवाय कुछ बचपन के जैसे कि राक्षसों के झुंड कम्युनिस्टों को परशुराम से जोड़ने की मूर्खता .
तुम एक अत्यंत मेधावी युवक हो .खूब पढ़ो और ज्ञान का विस्तार करो तथा भारत के एवं विश्व मानवता के उत्कर्ष में सहायक बनो .अपना योगदान दो . यह आशीर्वाद है .
संक्षेप में आज इतना ही .
रामेश्वर मिश्र पंकज
12-3-2018

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