Monday 19 March 2018



डॉ अम्बेडकर के नाम पर एक नया ड्रामा...


इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है...


इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है.. वर्तमान में गैर-अभिजात वर्ग गिने वाले जाट, अहीर, गुर्जर, लोध, कुर्मी , जाटव, भील, मुंडा संथाल, मेव, मीणा लुहार, बढई आदि भारत की लगभग पांच हज़ार जातियों और कबीलों को भारतीय इतिहास में उचित स्थान नहीं मिल पाया हैं| नस्लीय जातिगत पूर्वाग्रह तथा अभिजात्य मानसिकता की वज़ह से, बहुधा इनकी ऐतिहासिक उपलब्धियों की उपेक्षा की गई हैं या फिर इनके इतिहास को तोड मरोड़ कर अभिजात्य जातियों का इतिहास बना दिया गया हैं|. बाबा साहब डाक्टर भीम राव अम्बेडकर जी की लिखी पुस्तकों को पढ़ा जाए। छद्म क्रिप्टो क्रिश्चियन/इस्लामपरस्त अंबेडकरवादियों की आँख खुल जाएगी।


देखिये कैसे-


1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है।

अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं।


2. डॉ अम्बेडकर - इस्लाम समभाव एवं भ्रातृभाव का सन्देश देने में व्यवहारिक रूप से सक्षम नहीं है। इसलिए 1947 में पाकिस्तान बनने पर सभी दलित भारत आ जाये। इतिहास इस बात का गवाह है।

अम्बेडकरवादी - इस्लाम एकता और भाईचारे का सन्देश देता हैं। हमें इस्लाम स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं हैं।


3. डॉ अम्बेडकर - ईसाई समाज धन, शिक्षा, नौकरी, चिकित्सा सुविधा आदि के बल पर दरिद्र, अशक्त, पीड़ित हिन्दुओ का धर्म परिवर्तन करता हैं। यह गलत हैं।

अम्बेडकरवादी- धन लो और ईसाई बनो। बाप बड़ा न भइया सबसे बड़ा रुपया। ईसाईयों की इस कुटिल नीति का कभी विरोध नहीं करना।


4. डॉ अम्बेडकर - राष्ट्रवाद सबसे ऊपर है और रहेगा। राष्ट्र से ऊपर कुछ नहीं।

अम्बेडकरवादी- हम भारत की बर्बादी का नारा लगाने वालों के साथ है। स्वहित पहले राष्ट्रवाद बाद में।


5. डॉ अम्बेडकर- संविधान का सम्मान करना और उसका पालन करना हमारा नैतिक कर्त्तव्य हैं।

अम्बेडकरवादी- हम संविधान विरोधी इस्लामिक फतवों का समर्थन करते हैं। हम संविधान के आधार पर फांसी चढ़ाये गए अफ़जल गुरु और याकूब मेनन की फांसी का विरोध करते हैं। जहाँ जैसे काम निकले वैसा करो।


6. डॉ अम्बेडकर - देश तोड़ने वाली विदेशी ताकतों के हाथ की कठपुतली बनना गलत है। अनेक प्रलोभन मिलने के बाद भी मुझे अस्वीकार है।

अम्बेडकरवादी- दुकानदारी पहले देश बाद में। NGO का धंधा तो चलता ही विदेशी पैसे के बल पर हैं। विदेश से पैसे लो देश को बर्बाद करो।


7. डॉ अम्बेडकर- देश की आज़ादी के लिए संघर्ष करने वाले क्रांतिकारियों और भारत के वीर सैनिकों का सम्मान हो।

अम्बेडकरवादी- भारतीय सेना पर हमला करने वाले, पाक समर्थक कश्मीर के आतंकवादियों के लिए ज़िंदाबाद। असली सिपाही वही है। भारतीय सेना ने कश्मीर पर कब्ज़ा किया हुआ हैं।


8 . डॉ अम्बेडकर - वन्दे मातरम, भारत मत की जय आदि नारा लगाने का मैं समर्थन करता हूँ।

अम्बेडकरवादी- जय अम्मी, जय हिन्द का नारा लगाएंगे मगर भारत माता की जय और वन्दे मातरम कहने में दिक्कत हैं। क्यूंकि हम तो सहूलियत पर विश्वास करते है।


9. डॉ अम्बेडकर - देश की उन्नति करने वालों के साथ मिलकर काम करना गलत नहीं हैं।

अम्बेडकरवादी- हम केवल नास्तिकों, मुसलमानों और ईसाईयों का समर्थन करेंगे। क्यूंकि बाकि सभी ब्राह्मणवादी और मनुवादी हैं।


10. डॉ अम्बेडकर- जीवन में आगे बढ़ने के लिए पुरुषार्थ करो, सकारात्मक कार्य करो। सदाचारी, संयमी, शुद्ध आचरण वाला, प्रगतिशील बनो।

अम्बेडकरवादी- हम केवल विरोध करना जानते हैं। चाहे अच्छी बात हो चाहे बुरी बात हो। चिल्ला चिल्ला कर अपना हक लेंगे। मगर काम कुछ नहीं करेंगे।


11. डॉ अम्बेडकर- मांस खाना गलत है।

अम्बेडकरवादी- बीफ़ पार्टी करना हमारा मौलिक हक हैं। मांस खाने में कोई हिंसा नहीं हैं। गोमांस खाएंगे अम्बेडकरवादी कहलाएंगे। गोमांस खाने से हम मुसलमानों के मित्र बन जाते हैं।


12 डॉ अम्बेडकर- बुद्ध के अहिंसा के सन्देश पर चलो।

अम्बेडकरवादी- अहिंसा का तगमा गले में लटका कर हम सदा वैचारिक हिंसा और प्रदुषण करते हैं क्यूंकि हम अम्बेडकरवादी मत वाले हैं।


यहाँ कुछ उदहारण दिए गए हैं। मित्रों अम्बेडकरवादी मत के विषय में अपने विचार अवश्य लिखिए। इस मत को चलाने वालों का डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं से कुछ भी लेना देना नहीं हैं। ये लोग केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपनी रजनीतिक रोटियां सेकते हैं। डॉ अम्बेडकर के नाम पर देश विरोधी, समाज विरोधी कार्यों को करते हैं। इनके दुष्प्रचार के कारण जाने-अनजाने में अनेक दलित युवा भ्रमित होकर अपना और देश का अहित करने में लग गए हैं।


देशहित में जारी इस लेख को शेयर अवश्य कीजिये।


नोट- गाली गलोच, असभ्य भाषा आदि का प्रयोग करने के स्थान पर अम्बेडकरवादी इस पोस्ट को पढ़ कर आत्मचिंतन करें की वह डॉ अम्बेडकर के समर्थक हैं अथवा अम्बेडकरवाद मत के समर्थक हैं।


डॉ विवेक आर्य

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