Thursday, 8 March 2018

चौबे का लड़का है अशोक, MSc पास। नौकरी के लिए चौबे निश्चिन्त थे, कहीं न कहीं तो जुगाड़ लग ही जायेगी। बियाह कर देना चाहिए। ...
मिश्रा की लड़की है ममता, वह भी MA पास है, मिश्रा भी उसकी शादी जल्दी कर देना चाहते हैं।
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सयानों से पोस्ट ग्रेजुएट लड़के का भाव पता किया गया। पता चला वैसे तो रेट 5 - 6 लाख का चल रहा है, पर बेकार बैठे पोस्ट ग्रेजुएटों का रेट 3 - 4 लाख का है। सयानों ने सौदा साढ़े 3 में तय करा दिया।
बात तय हुए अभी एक माह भी नही हुआ था, कि कमीशन से पत्र आया कि अशोक का "डिप्टी कलक्टर" के पद पर चयन हो गया है।
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चौबे - "साले, कमीने हैं कमीशन वाले...!"
चौबन - "लड़के की इतनी अच्छी नौकरी लगी है नाराज क्यों होते हैं?"
चौबे - "अरे सरकार निकम्मी है, यही पत्र पहले नहीं भेज सकते थे, डिप्टी कलेक्टर का 40-50 लाख यूँ ही मिल जाता।"
चौबन - "तुम्हारी भी अक्ल मारी गई थी, मैं कहती थी महीने भर रुक जाओ, लेकिन तुम न माने... हुल-हुला कर सम्बन्ध तय कर दिया... मैं तो कहती हूँ मिश्रा जी को पत्र लिखिये वे समझदार आदमी हैं।"
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"प्रिय मिश्रा जी, अत्र कुशलं तत्रास्तु ! आपको प्रसन्नता होगी कि अशोक का चयन डिप्टी कलेक्टर के लिए हो गया है। विवाह के मंगल अवसर पर यह मंगल हुआ। इसमें आपकी सुयोग्य पुत्री के भाग्य का भी योगदान है। आप स्वयं समझदार हैं, नीति व मर्यादा जानते हैं। धर्म पर ही यह पृथ्वी टिकी हुई है। मनुष्य का क्या है, जीता मरता रहता है। पैसा हाथ का मैल है, मनुष्य की प्रतिष्ठा बड़ी चीज है। मनुष्य को कर्तव्य निभाना चाहिए, धर्म नहीं छोड़ना चाहिए। और फिर हमें तो कुछ चाहिए नहीं, आप जितना भी देंगे अपनी लड़की को ही देंगे।"
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मिश्रा परिवार ने पत्र पढ़ा, विचार किया और फिर लिखा ...,
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"प्रिय चौबे जी, आपका पत्र मिला, मैं स्वयं आपको लिखने वाला था। अशोक की सफलता पर हम सब बेहद खुश हैं। आयुष्मान अब डिप्टी कलेक्टर हो गया हैं। अशोक चरित्रवान, मेहनती और सुयोग्य लड़का है। वह अवश्य तरक्की करेगा।
आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि ममता का चयन IAS के लिए हो गया है। आयुष्मति की यह इच्छा है कि अपने अधीनस्थ कर्मचारी से वह विवाह नहीं करेगी। मुझे यह सम्बन्ध तोड़कर अपार हर्ष हो रहा है।
बेटी पढाओ, दहेज मिटाओ "
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