यमुना मिशन |
#केवड़ा
केवड़ा के पौधे अब कम ही दीखते है....जहाँ पुराने थे उन्होंने भी काट दिये....कुछ लोग पौधे लगाते नही है पर उस पौधे के बारे में भ्रम जरूर फैलाते है....जिस कारण कई पौधो की जान पर बन आती है....।
केवड़ा अपनी खुशबू को लेकर विश्वविख्यात है....केवड़े के फूल की खुशबु एक माह से लेकर एक वर्ष तक बनी रहती है....केवड़ा की मादा जाति को #केतकी कहते है....जिसके फूल भी काफी सुंगधित होते है...।।
केवड़ा के पौधे अब कम ही दीखते है....जहाँ पुराने थे उन्होंने भी काट दिये....कुछ लोग पौधे लगाते नही है पर उस पौधे के बारे में भ्रम जरूर फैलाते है....जिस कारण कई पौधो की जान पर बन आती है....।
केवड़ा अपनी खुशबू को लेकर विश्वविख्यात है....केवड़े के फूल की खुशबु एक माह से लेकर एक वर्ष तक बनी रहती है....केवड़ा की मादा जाति को #केतकी कहते है....जिसके फूल भी काफी सुंगधित होते है...।।
केवड़े के पुष्पगुच्छ से केवड़ाजल और इत्र बनाए जाते हैं... केवड़ा का उपयोग इत्र, पान मसाला, गुलदस्ते, लोशन ,तम्बाखू, केश तेल, अगरबत्ती , साबुन में सुगंध के रूप में किया जाता है ।
केवड़ा जल का उपोग मिठाई, सायरप और शीतल पेय पदार्थों में सुगंध लाने के लिए करते है ...रसगुल्ला, गुलाब, जामुन, रबड़ी, रस-मलाई, श्रीखंड .अत्यंत सुगंधित व्यंजन जैसे मुगलाई व्यंजनों में भी इसका उपयोग किया जाता है, इससे थोड़े में ही संतुष्टि का आभास होता है।
इसकी पत्तियों के रेशे से रस्सी बनाने के काम आते हैं वही इसकी पत्तियों का उपयोग झोपड़ियों को ढ़कने, चटाई तैयार करने, टोप, टोकनियों और कागज निर्माण करने के लिए किया जाता है।
इसका पुष्पजल गणेश जी को अर्पित किया जाता है...।
केवड़ा जल का उपोग मिठाई, सायरप और शीतल पेय पदार्थों में सुगंध लाने के लिए करते है ...रसगुल्ला, गुलाब, जामुन, रबड़ी, रस-मलाई, श्रीखंड .अत्यंत सुगंधित व्यंजन जैसे मुगलाई व्यंजनों में भी इसका उपयोग किया जाता है, इससे थोड़े में ही संतुष्टि का आभास होता है।
इसकी पत्तियों के रेशे से रस्सी बनाने के काम आते हैं वही इसकी पत्तियों का उपयोग झोपड़ियों को ढ़कने, चटाई तैयार करने, टोप, टोकनियों और कागज निर्माण करने के लिए किया जाता है।
इसका पुष्पजल गणेश जी को अर्पित किया जाता है...।
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